जोधपुर. राजस्थान साहित्य उत्सव में रविवार को एक के बाद सात सत्रों का आयोजन हुआ, जिनमें भाषा, कला, लेखन, मीडिया, साहित्य, सर्वधर्म समभाव सहित अन्य विषयों पर मंथन किया गया. इसके बाद पद्मश्री लोक कलाकार अनवर खां ने भी सुरों का आलाप लगाया. मीराबाई सभागार में दिन की शुरुआत गांधी-नेहरू दर्शन की सार्वकालिकता विषय पर चर्चा के साथ हुई.
फारुख आफरीदी ने कहा कि नेहरू गांधी इस दुनिया में हमेशा ही प्रासंगिक रहेंगे, इस बात में कोई संदेह नहीं है. खास तौर पर आज की युवा पीढ़ी को इस बात को जानना जरूरी है कि गांधी और नेहरू की धरोहर कितनी महत्व रखती है. बनारस से आए प्रो. सतीश राय ने कहा कि गांधी जी कहते थे कि झूठ बोलना पाप है. आज का युग व्हाट्सएप पर चल रहा है, ऐसे में झूठे मैसेज फॉरवर्ड करना भी पाप है. कुछ फॉरवर्ड करने से पहले क्रॉस चेक जरूर करें.
अंग्रेजी के लेख ट्रांसलेट कर छापे जा रहे : जस्टिस गोविन्द माथुर ने कहा कि भारत और पाकिस्तान साथ में ही अलग-अलग हुए, लेकिन भारत का संविधान समृद्ध है क्योंकि भारत के पास गांधी की दृष्टि थी. मीडिया बदलते स्वरूप पर आयोजित सत्र में ओम थानवी ने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की वर्किंग पर सवाल उठाए.
अमित वाजपेई ने कहा कि आज प्रिंट मीडिया के सामने सोशल मीडिया चुनौती है, जहां सूचनाएं सबसे पहले आती हैं. नारायण बारेठ ने कहा कि सवाल पूछने की परंपरा खत्म हो रही है, यदि सवाल नहीं होते तो गीता और गौतम बुद्ध नहीं होते. एकलव्य सवाल नहीं पूछते तो अंगूठा नहीं कटवाना पड़ता. इस दौरान प्रो. सुधि राजीव, मनोज वार्ष्णेय, डॉ. यश गोयल ने भी अपने विचार रखे.
बालम जी म्हारा रिमझिम बरसे मेघ : उत्सव में राजस्थानी लोक गीतों की महफिल सजी. मांगणियार गायक पद्मश्री अनवर खां मांगणियार व उनके साथियों की गायन प्रस्तुति ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया. 'आज तो म्हारे द्वार महादेव आए' गीत के साथ उन्होंने प्रस्तुति की शुरुआत की. 'कठे हेलगो', 'जनकपुरी में जनक विराजे', 'गोरबन्द' और 'बालम जी म्हारा रिमझिम बरसे मेघ' गीतों पर श्रोता झूमते नजर आए. उनके साथ के कलाकारों ने अपने वाद्य यंत्रों से जोरदार प्रस्तुतियां दी.