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Rajasthan Election 2023 : सीएम अशोक गहलोत के खिलाफ मैदान में उतरेंगे गजेंद्र सिंह शेखावत! जानें इसके पीछे की वजह

Rajasthan Assembly Election 2023, भाजपा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को उनके ही गढ़ में घेरने की तैयारी कर रही है. इसके लिए पार्टी उनके चीर प्रतिद्वंदी केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को मैदान में उतार सकती है. वहीं, शेखावत के सरदारपुरा सीट से चुनाव लड़ने की चर्चाएं भी तेज है.

Rajasthan Election 2023
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 16, 2023, 6:03 PM IST

सीएम के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे शेखावत!

जोधपुर. केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के विधानसभा चुनाव लड़ने की चर्चा जोरों पर है. ऐसा भी कहा जा रहा है कि भाजपा उन्हें सरदारपुरा सीट से सीएम अशोक गहलोत के खिलाफ मैदान में उतार सकती है. इसकी सबसे बड़ी वजह यह मानी जा रही है कि शेखावत लगातार तीन सालों से गहलोत पर हमलावर हैं. ऐसे में पार्टी उन्हें सीएम गहलोत के खिलाफ मैदान में उतार कर मुकाबले को दिलचस्प बना सकती है. शेखावत कह भी चुके हैं कि जहां से भी पार्टी उन्हें कहेगी वो वहां से चुनाव लड़ने को तैयार हैं, लेकिन सीएम गहलोत भी सरदारपुरा से पिछले पांच चुनावों से लगातार जीत दर्ज करते आ रहे हैं.

आसान नहीं गहलोत को मात देना - भाजपा यहां सभी तरह के प्रयोग कर चुकी है, लेकिन उसे सफलता नहीं मिल पाई है. वहीं, यहां से जो भी चुनाव हारता है, उसे सत्ता में आने पर उसका प्रतिफल भी मिलता रहा है. भाजपा के लोगों का कहना है कि पार्टी के पास शेखावत के अलावा दूसरा कोई मजबूत विकल्प नहीं है. गहलोत को चुनौती सिर्फ शेखावत ही दे सकते हैं.

दोनों के बीच चल रही खींचतान - मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के बीच जोरदार खींचतान चल रही है. ईआरसीपी के मुद्दे पर गहलोत शेखावत को नकारा तक कह चुके हैं. इसके अलावा संजीवनी क्रेडिट कोआपरेटिव घोटाले को लेकर दोनों की अदावत इतनी बढ़ गई है कि सरकार की कार्रवाई की चलते शेखावत को गिरफ्तारी से बचने के लिए हाईकोर्ट से राहत लेनी पड़ी. साथ ही शेखावत ने भी गहलोत के खिलाफ मानहानि का दावा भी किया, जिसकी सुनवाई भी दिल्ली में हो रही है. गहलोत कह चुके हैं कि संजीवनी के लोगों के रुपए निकलवाने के लिए अगर उन्हें जेल भी जाना पड़ा तो वो उसके लिए तैयार हैं.

इसे भी पढ़ें - Rajasthan Assembly Election 2023 : सीएम अशोक गहलोत बोले- सरकार गिराने का षड्यंत्र करने वालों को जनता सिखाएगी सबक

दोनों चुनाव में सरदारपुरा से आगे रहे - गजेंद्र सिंह शेखावत 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में भारी मतों से जीते हैं. जोधपुर लोकसभा क्षेत्र में आठ विधानसभा क्षेत्र हैं. इसमें सरदारपुरा भी शामिल है. अपने दोनों चुनावों में शेखावत सरदारपुरा से अच्छी लीड से कांग्रेस प्रत्याशी से आगे रहे हैं. यहां तक कि 2019 के चुनाव में सीएम अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत से वे 18 हजार से अधिक मतों से आगे रहे थे. जबकि लोकसभा चुनाव से छह माह पहले की सरदारपुरा से अशोक गहलोत ने 45 हजार मतों से भाजपा के प्रत्याशी शंभूसिंह को हराया था.

सीएम के खिलाफ चुनाव लड़ने से इन नेताओं ने किया मना - सीएम अशोक गहलोत के सामने भाजपा पिछले पांच चुनाव में मौजूदा राज्यसभा सांसद राजेंद्र गहलोत, शंभूसिंह खेतासर, महेंद्र कुमार झाबक और मेघराज लोहिया चुनाव लड़ चुके हैं. खेतासर दो बार लड़ चुके हैं. राजेंद्र गहलोत ने चुनाव लड़ने से मना कर दिया है. ऐसे में अब पार्टी के पास शेखावत के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है, जो गहलोत को टक्कर दे सके, लेकिन शेखावत के पास सरदारपुर के अलावा जोधपुर शहर, लोहावट, पोकरण और शेरगढ़ विधानसभा भी विकल्प है.

इसे भी पढ़ें - Rajasthan Election 2023 : जोधपुर से चुनाव लड़ने की चर्चा के बीच अचानक आम लोगों के बीच पहुंचे केंद्रीय मंत्री गजेंद्र शेखावत

जातीय समीकरण भी बराबर - सरदारपुर विधानसभा क्षेत्र में माली और राजपूत दोनों जातियों के सर्वाधिक मतदाता हैं. गहलोत जब चुनाव लड़ते हैं तो लगभग सभी लोगों का झुकाव उनकी ओर होता है. भाजपा के परंपरागत वोटर राजपूत भी गहलोत के पक्ष में मतदान करते हैं, लेकिन अगर शेखावत चुनाव लड़े और राजपूत और रावना राजपूत शत प्रतिशत उनको मतदान किए तो फिर समीकरण बदल सकता है. साथ ही महाजन सहित अन्य जातियों का मतदान उनको टक्कर में ला सकता है. वहीं, गहलोत के लिए माली, जाट, अल्पसंख्यक और एससी मतदाता मुफीद हैं.

सीएम के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे शेखावत!

जोधपुर. केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के विधानसभा चुनाव लड़ने की चर्चा जोरों पर है. ऐसा भी कहा जा रहा है कि भाजपा उन्हें सरदारपुरा सीट से सीएम अशोक गहलोत के खिलाफ मैदान में उतार सकती है. इसकी सबसे बड़ी वजह यह मानी जा रही है कि शेखावत लगातार तीन सालों से गहलोत पर हमलावर हैं. ऐसे में पार्टी उन्हें सीएम गहलोत के खिलाफ मैदान में उतार कर मुकाबले को दिलचस्प बना सकती है. शेखावत कह भी चुके हैं कि जहां से भी पार्टी उन्हें कहेगी वो वहां से चुनाव लड़ने को तैयार हैं, लेकिन सीएम गहलोत भी सरदारपुरा से पिछले पांच चुनावों से लगातार जीत दर्ज करते आ रहे हैं.

आसान नहीं गहलोत को मात देना - भाजपा यहां सभी तरह के प्रयोग कर चुकी है, लेकिन उसे सफलता नहीं मिल पाई है. वहीं, यहां से जो भी चुनाव हारता है, उसे सत्ता में आने पर उसका प्रतिफल भी मिलता रहा है. भाजपा के लोगों का कहना है कि पार्टी के पास शेखावत के अलावा दूसरा कोई मजबूत विकल्प नहीं है. गहलोत को चुनौती सिर्फ शेखावत ही दे सकते हैं.

दोनों के बीच चल रही खींचतान - मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के बीच जोरदार खींचतान चल रही है. ईआरसीपी के मुद्दे पर गहलोत शेखावत को नकारा तक कह चुके हैं. इसके अलावा संजीवनी क्रेडिट कोआपरेटिव घोटाले को लेकर दोनों की अदावत इतनी बढ़ गई है कि सरकार की कार्रवाई की चलते शेखावत को गिरफ्तारी से बचने के लिए हाईकोर्ट से राहत लेनी पड़ी. साथ ही शेखावत ने भी गहलोत के खिलाफ मानहानि का दावा भी किया, जिसकी सुनवाई भी दिल्ली में हो रही है. गहलोत कह चुके हैं कि संजीवनी के लोगों के रुपए निकलवाने के लिए अगर उन्हें जेल भी जाना पड़ा तो वो उसके लिए तैयार हैं.

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दोनों चुनाव में सरदारपुरा से आगे रहे - गजेंद्र सिंह शेखावत 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में भारी मतों से जीते हैं. जोधपुर लोकसभा क्षेत्र में आठ विधानसभा क्षेत्र हैं. इसमें सरदारपुरा भी शामिल है. अपने दोनों चुनावों में शेखावत सरदारपुरा से अच्छी लीड से कांग्रेस प्रत्याशी से आगे रहे हैं. यहां तक कि 2019 के चुनाव में सीएम अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत से वे 18 हजार से अधिक मतों से आगे रहे थे. जबकि लोकसभा चुनाव से छह माह पहले की सरदारपुरा से अशोक गहलोत ने 45 हजार मतों से भाजपा के प्रत्याशी शंभूसिंह को हराया था.

सीएम के खिलाफ चुनाव लड़ने से इन नेताओं ने किया मना - सीएम अशोक गहलोत के सामने भाजपा पिछले पांच चुनाव में मौजूदा राज्यसभा सांसद राजेंद्र गहलोत, शंभूसिंह खेतासर, महेंद्र कुमार झाबक और मेघराज लोहिया चुनाव लड़ चुके हैं. खेतासर दो बार लड़ चुके हैं. राजेंद्र गहलोत ने चुनाव लड़ने से मना कर दिया है. ऐसे में अब पार्टी के पास शेखावत के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है, जो गहलोत को टक्कर दे सके, लेकिन शेखावत के पास सरदारपुर के अलावा जोधपुर शहर, लोहावट, पोकरण और शेरगढ़ विधानसभा भी विकल्प है.

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जातीय समीकरण भी बराबर - सरदारपुर विधानसभा क्षेत्र में माली और राजपूत दोनों जातियों के सर्वाधिक मतदाता हैं. गहलोत जब चुनाव लड़ते हैं तो लगभग सभी लोगों का झुकाव उनकी ओर होता है. भाजपा के परंपरागत वोटर राजपूत भी गहलोत के पक्ष में मतदान करते हैं, लेकिन अगर शेखावत चुनाव लड़े और राजपूत और रावना राजपूत शत प्रतिशत उनको मतदान किए तो फिर समीकरण बदल सकता है. साथ ही महाजन सहित अन्य जातियों का मतदान उनको टक्कर में ला सकता है. वहीं, गहलोत के लिए माली, जाट, अल्पसंख्यक और एससी मतदाता मुफीद हैं.

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