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Passenger Tweet To Rail Minister: रेल मंत्री से ट्वीट कर जताई नाराजगी, लिखा- टीटीई ने अस्थियों की सीट भी बेच दी!

TTE Sells seat of Asthikalas, स्वर्गवासी बुजुर्ग के दामाद हरीश मंगेश ने रेलमंत्री को शिकायत करते हुए कहा है कि जब ट्रेन में टीटीई आया तो उसने पूछा-चौथा पैसेंजर कहां है? कुछ देर बाद ही टीटीई ने किसी और यात्री को उस सीट की टिकट बेच दी .

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Published : Feb 28, 2023, 11:12 AM IST

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जोधपुर: क्या संवेदनाओं पर नियम भारी होते है? जिन्हें पालना लोगों की भावनाओं पर आघात पहुंचाती है. रेल में सफर के दौरान हुए ऐसा ही एक वाकए को लेकर जोधपुर निवासी एक व्यक्ति ने अपनी पीड़ा रेल मंत्री को ट्वीट कर बताई. उन्होंने संस्कारों और परम्परा का हवाला दे Ministry और रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव को टैग किया.

आखिर क्या है मामला: मारवाड़ में घर-परिवार के एक परिवार में 68 वर्षीय बुजुर्ग की मौत हुई. परिवार के सदस्य सोमवार को ट्रेन संख्या 14888 बाड़मेर-ऋषिकेश एक्सप्रेस में जोधपुर से हरिद्वार के लिए रवाना हुए. कुल चार सीट बुक करवाई गई. जिसमें से एक अस्थि कलश के लिए बुक किया. हरीश ने बताया कि जब इस सीट पर दूसरा यात्री आया तो हमने कहा कि यह हमारे पूजनीय की सीट है. यात्री ने कहा कि उसे तो टीटीई ने आवंटित कर दी है. परिवार को धक्का लगा कि उनसे बिना पूछे टीटीई ने हरिद्वार ले जाई जा रही अस्थियों की सीट भी बेच दी.

ट्वीट कर की शिकायत: हरीश ने ट्वीट के माध्यम से रेलमंत्री से सवाल किया है कि क्या रेलवे में कोई संवेदनशीलता नहीं बची है? जब हमने रेलवे को सीट का किराया दे दिया है और हम अपने बुजुर्ग की अस्थियां धार्मिक मान्यता के तौर पर ले जा रहे हैं तो सीट दूसरे को बेचने की क्या जरूरत थी? हरीश ने रेल मंत्री से मांग की है कि यह मानवीय संवेदनाओं से जुड़ा बहुत बड़ा मुद्दा है. रेलवे को ऐसी स्थिति में सीट अलाउ करनी चाहिए. जिससे अपनों के अंतिम सफर में कोई परेशानी नहीं हो.

  • I booked four tickets for Haridwar with PNR PNR-2156514648
    Trn:14888
    Dt:27-02-23
    Frm JU to HW
    One for ashthiya of my deceased "father in law". However TT cancelled the ticket of my deceased father in law. And gave ticket to someone else. @AshwiniVaishnaw

    — Harish Mangesh (@HarishMangesh) February 27, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

मारवाड़ की परम्परा: मारवाड़ में लोगों की आस्था और परम्परा से जुड़ा प्रश्न है. यहां के लोग अपने बुजुर्गों के अस्थि कलश को हरिद्वार लेकर पहुंचते हैं. जोधपुर से एक ही सीधी ट्रेन चलती है. लोग अपने साथ अस्थियों के लिए भी एक बर्थ बुक करवाते हैं. इस मान्यता के साथ कि वे भी हमारे साथ चल रहे हैं, उनके मोक्ष प्राप्ति के लिए अस्थियों के रूप में प्रवाहित कर लौट आएंगे.

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बसों में देते है किराया : मारवाड़ में ट्रेन के लोग अस्थियां विसर्जन के लिए सरकारी रोडवेज बस में भी सफर करते हैं उस बस में भी एक सीट मृतक के लिए रखते हैं उसका बाकायदा टिकट भी खरीदा जाता है. इतना ही नहीं माना हरिद्वार में अस्थियों का विसर्जन नहीं हो जाता तब तक रास्ते में हर बात का ध्यान रखा जाता है. जब परिवारजन कुछ खाते पीते हैं तो अस्थियों से भी इसके लिए आग्रह करते हैं.

जोधपुर: क्या संवेदनाओं पर नियम भारी होते है? जिन्हें पालना लोगों की भावनाओं पर आघात पहुंचाती है. रेल में सफर के दौरान हुए ऐसा ही एक वाकए को लेकर जोधपुर निवासी एक व्यक्ति ने अपनी पीड़ा रेल मंत्री को ट्वीट कर बताई. उन्होंने संस्कारों और परम्परा का हवाला दे Ministry और रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव को टैग किया.

आखिर क्या है मामला: मारवाड़ में घर-परिवार के एक परिवार में 68 वर्षीय बुजुर्ग की मौत हुई. परिवार के सदस्य सोमवार को ट्रेन संख्या 14888 बाड़मेर-ऋषिकेश एक्सप्रेस में जोधपुर से हरिद्वार के लिए रवाना हुए. कुल चार सीट बुक करवाई गई. जिसमें से एक अस्थि कलश के लिए बुक किया. हरीश ने बताया कि जब इस सीट पर दूसरा यात्री आया तो हमने कहा कि यह हमारे पूजनीय की सीट है. यात्री ने कहा कि उसे तो टीटीई ने आवंटित कर दी है. परिवार को धक्का लगा कि उनसे बिना पूछे टीटीई ने हरिद्वार ले जाई जा रही अस्थियों की सीट भी बेच दी.

ट्वीट कर की शिकायत: हरीश ने ट्वीट के माध्यम से रेलमंत्री से सवाल किया है कि क्या रेलवे में कोई संवेदनशीलता नहीं बची है? जब हमने रेलवे को सीट का किराया दे दिया है और हम अपने बुजुर्ग की अस्थियां धार्मिक मान्यता के तौर पर ले जा रहे हैं तो सीट दूसरे को बेचने की क्या जरूरत थी? हरीश ने रेल मंत्री से मांग की है कि यह मानवीय संवेदनाओं से जुड़ा बहुत बड़ा मुद्दा है. रेलवे को ऐसी स्थिति में सीट अलाउ करनी चाहिए. जिससे अपनों के अंतिम सफर में कोई परेशानी नहीं हो.

  • I booked four tickets for Haridwar with PNR PNR-2156514648
    Trn:14888
    Dt:27-02-23
    Frm JU to HW
    One for ashthiya of my deceased "father in law". However TT cancelled the ticket of my deceased father in law. And gave ticket to someone else. @AshwiniVaishnaw

    — Harish Mangesh (@HarishMangesh) February 27, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

मारवाड़ की परम्परा: मारवाड़ में लोगों की आस्था और परम्परा से जुड़ा प्रश्न है. यहां के लोग अपने बुजुर्गों के अस्थि कलश को हरिद्वार लेकर पहुंचते हैं. जोधपुर से एक ही सीधी ट्रेन चलती है. लोग अपने साथ अस्थियों के लिए भी एक बर्थ बुक करवाते हैं. इस मान्यता के साथ कि वे भी हमारे साथ चल रहे हैं, उनके मोक्ष प्राप्ति के लिए अस्थियों के रूप में प्रवाहित कर लौट आएंगे.

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बसों में देते है किराया : मारवाड़ में ट्रेन के लोग अस्थियां विसर्जन के लिए सरकारी रोडवेज बस में भी सफर करते हैं उस बस में भी एक सीट मृतक के लिए रखते हैं उसका बाकायदा टिकट भी खरीदा जाता है. इतना ही नहीं माना हरिद्वार में अस्थियों का विसर्जन नहीं हो जाता तब तक रास्ते में हर बात का ध्यान रखा जाता है. जब परिवारजन कुछ खाते पीते हैं तो अस्थियों से भी इसके लिए आग्रह करते हैं.

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