भोपालगढ़ (जोधपुर). भोपालगढ़ में तुलसी और शालिग्राम का विवाह कई घरों में आयोजन किया गया. इस दौरान गाजे-बाजे के साथ शादी समारोह किया गया. भोपालगढ़ में सदियों पुरानी इस परंपरा का बखूबी निर्वहन किया जा रहा है.
तुलसी के विवाह का महत्व कन्या दान के समतुल्य माना जाता है. इस दौरान पंडित दुलाराम महाराज के घर से बैंड-बाजों के साथ भगवान शालिग्राम की बारात निकल पंचायत समिति के सामने पहुंचकर लग्न वेद किए गए.
मेहमानों को तुलसी विवाह का निमंत्रण भेजा जाता है. पंडित मंत्रोच्चारण से भगवान शालिग्राम और माता तुलसी का विवाह संपन्न करवाते हैं. बताया जाता है कि जिन लोगों के घर में कन्या नहीं होती है, अधिकांश वह लोग तुलसी को बेटी मानकर उसका कन्यादान करते हैं. इससे उन्हें कन्यादान के समतुल्य पुण्य की प्राप्ति होती है.
यह भी पढ़ें- अनोखा शादी कार्ड : दूल्हे ने अमित शाह के फोटो के साथ लिखवाया 'I Support CAA'
भगवान शालिग्राम और माता तुलसी के विवाह के लिए साल में विशेष दिन निर्धारित होता है, जो साल में एक बार ही आता है. धार्मिक कथाओं में इस दिन श्री हरि विष्णु निंद्रा से भी जागते हैं. शालिग्राम-तुलसी के विवाह के अवसर पर क्षेत्र के कई लोग मौजूद रहे.