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जोधपुर: माघ पूर्णिमा पर शालिग्राम-तुलसी विवाह, सदियों पुरानी है परंपरा

जोधपुर के भोपालगढ़ में तुलसी और शालिग्राम का विवाह कई घरों में आयोजन किया गया. इस दौरान गाजे-बाजे के साथ शादी समारोह हुआ. भोपालगढ़ में सदियों पुरानी इस परंपरा का बखूबी निर्वहन किया जा रहा है.

Shaligram Tulsi wedding Bhopalgarh, शालिग्राम तुलसी विवाह
भोपालगढ़ में शालिग्राम-तुलसी विवाह का आयोजन
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Published : Feb 9, 2020, 1:24 PM IST

Updated : Feb 9, 2020, 2:30 PM IST

भोपालगढ़ (जोधपुर). भोपालगढ़ में तुलसी और शालिग्राम का विवाह कई घरों में आयोजन किया गया. इस दौरान गाजे-बाजे के साथ शादी समारोह किया गया. भोपालगढ़ में सदियों पुरानी इस परंपरा का बखूबी निर्वहन किया जा रहा है.

भोपालगढ़ में शालिग्राम-तुलसी विवाह का आयोजन

तुलसी के विवाह का महत्व कन्या दान के समतुल्य माना जाता है. इस दौरान पंडित दुलाराम महाराज के घर से बैंड-बाजों के साथ भगवान शालिग्राम की बारात निकल पंचायत समिति के सामने पहुंचकर लग्न वेद किए गए.

मेहमानों को तुलसी विवाह का निमंत्रण भेजा जाता है. पंडित मंत्रोच्चारण से भगवान शालिग्राम और माता तुलसी का विवाह संपन्न करवाते हैं. बताया जाता है कि जिन लोगों के घर में कन्या नहीं होती है, अधिकांश वह लोग तुलसी को बेटी मानकर उसका कन्यादान करते हैं. इससे उन्हें कन्यादान के समतुल्य पुण्य की प्राप्ति होती है.

यह भी पढ़ें- अनोखा शादी कार्ड : दूल्हे ने अमित शाह के फोटो के साथ लिखवाया 'I Support CAA'

भगवान शालिग्राम और माता तुलसी के विवाह के लिए साल में विशेष दिन निर्धारित होता है, जो साल में एक बार ही आता है. धार्मिक कथाओं में इस दिन श्री हरि विष्णु निंद्रा से भी जागते हैं. शालिग्राम-तुलसी के विवाह के अवसर पर क्षेत्र के कई लोग मौजूद रहे.

भोपालगढ़ (जोधपुर). भोपालगढ़ में तुलसी और शालिग्राम का विवाह कई घरों में आयोजन किया गया. इस दौरान गाजे-बाजे के साथ शादी समारोह किया गया. भोपालगढ़ में सदियों पुरानी इस परंपरा का बखूबी निर्वहन किया जा रहा है.

भोपालगढ़ में शालिग्राम-तुलसी विवाह का आयोजन

तुलसी के विवाह का महत्व कन्या दान के समतुल्य माना जाता है. इस दौरान पंडित दुलाराम महाराज के घर से बैंड-बाजों के साथ भगवान शालिग्राम की बारात निकल पंचायत समिति के सामने पहुंचकर लग्न वेद किए गए.

मेहमानों को तुलसी विवाह का निमंत्रण भेजा जाता है. पंडित मंत्रोच्चारण से भगवान शालिग्राम और माता तुलसी का विवाह संपन्न करवाते हैं. बताया जाता है कि जिन लोगों के घर में कन्या नहीं होती है, अधिकांश वह लोग तुलसी को बेटी मानकर उसका कन्यादान करते हैं. इससे उन्हें कन्यादान के समतुल्य पुण्य की प्राप्ति होती है.

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भगवान शालिग्राम और माता तुलसी के विवाह के लिए साल में विशेष दिन निर्धारित होता है, जो साल में एक बार ही आता है. धार्मिक कथाओं में इस दिन श्री हरि विष्णु निंद्रा से भी जागते हैं. शालिग्राम-तुलसी के विवाह के अवसर पर क्षेत्र के कई लोग मौजूद रहे.

Intro:भोपालगढ़ में तुलसी सालगराम विवाह आयोजीतBody:भोपालगढ़ में तुलसी सालगराम का विवाह आज भी कई घरों में हो रहे,सदियों पुरानी परंपरा आज भी ग्रामीण जीवित रख रहे है,गाजे बाजे के साथ शादी समारोह आयोजित,Conclusion:SPECIAL---भोपालगढ़ में सालिगराम आए तुलसी को ब्याह ले गए
पुरानी परंपरा आज भी भोपालगढ़ में जीवित
भोपालगढ़।
यहां आज भी युग बीती परंपरा का बखूबी निर्वाह हो रहा है। धर्म शास्त्रों से जुड़े लोग त्रेतायुग में राक्षस राज जालंधर की पत्नी वृंदा को भगवान विष्णु द्वारा दिए वचन का पालन कर रहे हैं। त्रेतायुग में वृंदा बनी मां तुलसी का विवाह हिंदु रीति रिवाजों से भगवान सालिगराम से किया जाता है।
भोपालगढ़ में सदियों पुरानी इस परंपरा का बखूबी निर्वहन किया जा रहा है। तुलसी के विवाह का महत्व कन्या दान के समतुल्य माना जाता है। कस्बे के पंडित दुलाराम महाराज के घर से बैंड बाजों से भगवान सालिगराम की बारात निकल कर शिक्षक नेता प्रियंका भागीरथ भँनगा के घर पंचायत समिति के सामने पहुंचकर लग्न वेद किए गए।
--बारातियों की आवभगत यजमान पक्ष करता है---मेहमानों को तुलसी विवाह का निमंत्रण भेजा जाता है। विद्वान पंडित मंत्रोच्चारण से भगवान सालिगराम और माता तुलसी का विवाह संपन्न करवाते हैं। बताते हैं कि जिन लोगों के घर में कन्या नहीं होती है। अधिकांश वह लोग तुलसी को बेटी मानकर उसका कन्यादान करते हैं।इससे उन्हें कन्यादान के समतुल्य पुण्य की प्राप्ति होती है। भगवान सालिगराम और माता तुलसी के विवाह के लिए साल में विशेष दिन निर्धारित होता है। जो साल में एक बार ही आता है। धार्मिक कथाओं में इस दिन श्री हरि विष्णु निंद्रा से भी जागते हैं।
सालगराम तुलसी के विवाह के अवसर पर पाली पूर्व सांसद बद्रीराम जाखड़,वरिष्ठ समाजसेवी नारायणराम जाखड़,पूर्व जिला प्रमुख मुन्नीदेवी गोदारा, ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष राजेश जाखड़, हरीराम गोदारा, दीनाराम भँनगा, ओमाराम भँनगा, सुरेश पूरी,बाबुलाल सारण,उम्मेदराम जाखड़,निम्बू चाचा सहित कई जने मौजूद थे।

बाईट-- राजेश जाखड़, मायरादार
बाईट-- मुन्नीदेवी गोदारा, पूर्व जिला प्रमुख जोधपुर
Last Updated : Feb 9, 2020, 2:30 PM IST
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