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Sachin Pilot Protest : पायलट के अनशन पर दिव्या की चुप्पी, क्या गहलोत विरोधियों को साध नहीं पाए ?

सचिन पायलट के अनशन को लेकर विधायक दिव्या मदेरणा ने चुप्पी साध रखी है. किसी बड़े नेता का भी साथ नहीं मिला है. ऐसे में सवाल उठने लगे हैं कि क्या पायलट गहलोत विरोधी विधायकों को साध नहीं पा रहे हैं. जबकि केंद्रीय नेताओं के बयान से पायलट समर्थकों को निराशा ही हाथ लगी है.

Sachin Pilot Protest
पायलट के अनशन पर दिव्या की चुप्पी
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Published : Apr 11, 2023, 3:47 PM IST

जोधपुर. राजस्थान में गत वर्ष 25 सितंबर को हुए सियासी ड्रामे के किरदारों को लेकर सबसे ज्यादा मुखर ओसियां विधायक दिव्या मदेरणा हुई थीं. सचिन पालयट के पक्ष में उस दिन विधायक दल की बैठक होने वाली थी, लेकिन नहीं हुई. गहलोत समर्थक विधायकों ने इस्तीफे का दांव खेल दिया. उस समय दिव्या मदेरणा ने घटनाक्रम के किरदारों के खिलाफ कार्रवाई की पुरजोर मांग कर मुखर हुई थीं, जिससे यह संदेश दिख रहा था कि वह पायलट के पक्ष में हैं.

लेकिन अब जब सचिन पायलट गहलोत को उनका वसुंधरा सरकार के भ्रष्टाचार की जांच का वादा याद दिलाने के लिए अनशन पर बैठे हैं तो दिव्या शांत हैं. पायलट की प्रेस कॉन्फ्रेंस से लेकर मंगलवार को उनका अनशन शुरू होने तक दिव्या मदेरणा ने सोशल मीडिया पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या पायलट गहलोत विरोधी विधायकों को साध नहीं पा रहे हैं ? या अलग-थलग पड़ गए हैं.

पढ़ें : Sachin Pilot protest : महात्मा गांधी की शरण में पायलट, अनशन स्थल पर लगे पोस्टर में न कांग्रेस का झंडा न ही आलाकमान की तस्वीर

अनशन की घोषणा के बाद जिस तरह से दिल्ली से बयान आए हैं, उनसे भी चुनाव की स्थिति साफ होती नजर आ रही है. यह भी सामने आ रहा है कि पायलट के इस कदम से आलाकमान खुश नहीं है. यही वजह है कि आलकमान से नाराजगी मोल लेना कोई नहीं चाहता, जिसके चलते पायलट के इस कदम के साथ कोई कदमताल नहीं कर रहा है. यह बात अलग है कि पायलट ने ही सभी को अनशन में शामिल होने से मना किया, लेकिन किसी ने उनके समर्थन में बयान तक नहीं दिया, जो पायलट समर्थकों को निराश कर रहे हैं.

चुनाव गहलोत के नाम पर, पायलट समर्थक निराश : सचिन पायलट ने हाल ही में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के कार्यकाल के घोटालों की जांच नहीं करवाने का आरोप लगाया, जिसका वादा उन्होंने किया था. लेकिन इसके बाद कांग्रेस के केंद्रीय नेताओं ने साफ कर दिया कि पार्टी गहलोत सरकार के कामों के आधार पर चुनाव में जाएगी. इससे साफ हो गया कि अगले चुनाव तक अगर पायलट कांग्रेस में रहते हैं तो उनके पास करने के लिए कुछ नहीं होगा. सबकुछ गहलोत ही करेंगे. इतना ही नहीं, प्रभारी रंधावा ने भी अनशन की घोषणा को गलत बता दिया. इससे पायलट समर्थकों को भारी झटका लगा है. क्योंकि सभी को उम्मीद थी कि चुनाव से पहले आलाकमान पायलट के लिए कुछ करेगा, लेकिन केंद्रीय नेतृत्व ने चुनाव का ताज गहलोत के सिर रखकर साफ इशारा कर दिया.

जोधपुर में पायलट खाली हाथ : जोधपुर में सचिन पायलट समर्थकों का टोटा बना हुआ है. जब वे प्रदेशाध्यक्ष उस समय भी गहलोत समर्थक उनके जोधपुर आने पर नहीं आते थे. उपमुख्यमंत्री पद से हटने के बाद तो यह संख्या और कम हो गई. उनके समर्थकों में सबसे बड़ा नाम प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष राजेंद्र चौधरी का है, जिन्होंने पायलट के अनशन का समर्थन किया है, लेकिन वे खुद इसमें शामिल नहीं हुए. इसके अलावा कोई बड़ा नाम उनके समर्थकों की सूची में शामिल नहीं हैं. मंगलवार के अनशन में भी गिनती के ही लोग जोधपुर से गए हैं.

जोधपुर. राजस्थान में गत वर्ष 25 सितंबर को हुए सियासी ड्रामे के किरदारों को लेकर सबसे ज्यादा मुखर ओसियां विधायक दिव्या मदेरणा हुई थीं. सचिन पालयट के पक्ष में उस दिन विधायक दल की बैठक होने वाली थी, लेकिन नहीं हुई. गहलोत समर्थक विधायकों ने इस्तीफे का दांव खेल दिया. उस समय दिव्या मदेरणा ने घटनाक्रम के किरदारों के खिलाफ कार्रवाई की पुरजोर मांग कर मुखर हुई थीं, जिससे यह संदेश दिख रहा था कि वह पायलट के पक्ष में हैं.

लेकिन अब जब सचिन पायलट गहलोत को उनका वसुंधरा सरकार के भ्रष्टाचार की जांच का वादा याद दिलाने के लिए अनशन पर बैठे हैं तो दिव्या शांत हैं. पायलट की प्रेस कॉन्फ्रेंस से लेकर मंगलवार को उनका अनशन शुरू होने तक दिव्या मदेरणा ने सोशल मीडिया पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या पायलट गहलोत विरोधी विधायकों को साध नहीं पा रहे हैं ? या अलग-थलग पड़ गए हैं.

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अनशन की घोषणा के बाद जिस तरह से दिल्ली से बयान आए हैं, उनसे भी चुनाव की स्थिति साफ होती नजर आ रही है. यह भी सामने आ रहा है कि पायलट के इस कदम से आलाकमान खुश नहीं है. यही वजह है कि आलकमान से नाराजगी मोल लेना कोई नहीं चाहता, जिसके चलते पायलट के इस कदम के साथ कोई कदमताल नहीं कर रहा है. यह बात अलग है कि पायलट ने ही सभी को अनशन में शामिल होने से मना किया, लेकिन किसी ने उनके समर्थन में बयान तक नहीं दिया, जो पायलट समर्थकों को निराश कर रहे हैं.

चुनाव गहलोत के नाम पर, पायलट समर्थक निराश : सचिन पायलट ने हाल ही में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के कार्यकाल के घोटालों की जांच नहीं करवाने का आरोप लगाया, जिसका वादा उन्होंने किया था. लेकिन इसके बाद कांग्रेस के केंद्रीय नेताओं ने साफ कर दिया कि पार्टी गहलोत सरकार के कामों के आधार पर चुनाव में जाएगी. इससे साफ हो गया कि अगले चुनाव तक अगर पायलट कांग्रेस में रहते हैं तो उनके पास करने के लिए कुछ नहीं होगा. सबकुछ गहलोत ही करेंगे. इतना ही नहीं, प्रभारी रंधावा ने भी अनशन की घोषणा को गलत बता दिया. इससे पायलट समर्थकों को भारी झटका लगा है. क्योंकि सभी को उम्मीद थी कि चुनाव से पहले आलाकमान पायलट के लिए कुछ करेगा, लेकिन केंद्रीय नेतृत्व ने चुनाव का ताज गहलोत के सिर रखकर साफ इशारा कर दिया.

जोधपुर में पायलट खाली हाथ : जोधपुर में सचिन पायलट समर्थकों का टोटा बना हुआ है. जब वे प्रदेशाध्यक्ष उस समय भी गहलोत समर्थक उनके जोधपुर आने पर नहीं आते थे. उपमुख्यमंत्री पद से हटने के बाद तो यह संख्या और कम हो गई. उनके समर्थकों में सबसे बड़ा नाम प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष राजेंद्र चौधरी का है, जिन्होंने पायलट के अनशन का समर्थन किया है, लेकिन वे खुद इसमें शामिल नहीं हुए. इसके अलावा कोई बड़ा नाम उनके समर्थकों की सूची में शामिल नहीं हैं. मंगलवार के अनशन में भी गिनती के ही लोग जोधपुर से गए हैं.

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