जोधपुर. नाबालिक के साथ यौन शोषण के आरोपी आसाराम ने इस बार रक्षाबंधन पर अपने श्रद्धालुओं से कहा है कि वह जेल में उसके लिए राखी नहीं भेजें अगर राखी भेजी तो वह इस अवज्ञा का दोषी होगा और नहीं भेजेगा वह पुण्य प्राप्त करेगा. आसाराम आश्रम की ओर से प्रकाशित मासिक पुस्तक ऋषि प्रसाद के जुलाई माह के अंक में आसाराम के लिखे गए रक्षाबंधन पर लेख में यह विशेष तौर से हिदायत दी गई है.
खास बात यह है कि इस लेख में यह भी लिखा गया है कि रक्षाबंधन का पवित्र धागा व्यक्ति को काम और क्रोध से मुक्त कर देता है उसे निश्चल कर देता है. लेकिन आसाराम ने खुद इस धागे से दूरी बनाई है ऐसे में माना जा सकता है कि क्या आसाराम जेल में बंद होने के बाद भी काम और क्रोध से मुक्त नहीं होना चाहता है ? जबकि इससे पहले 5 सालों में इसी जोधपुर की जेल के बाहर आसाराम के जन्मदिन पर सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु एकत्र होते रहे है, रक्षाबंधन के दिन जेल के दरवाजे पर भी सैकड़ों की तादात में राखी बांधी जाती रही है.
सैकड़ों की तादात में पोस्ट से राखियां आसाराम के लिए आती रही है. लेकिन इस बार आसाराम ने राखी के इस पवित्र बंधन से दूरी बनाई है. गौरतलब है कि आसाराम को गत वर्ष जोधपुर की अदालत में नाबालिग के साथ यौन शोषण के मामले में प्राकृतिक जीवन तक आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी जिसके बाद से आसाराम एक बार भी जेल से बाहर नहीं निकला है. एक वर्ष आसाराम की पहली तस्वीर विश्व योग दिवस के अगले दिन सामने आई थी. जबकि सजा से पहले सुनवाई के लिए आसाराम जेल से कोर्ट आता तो साधक दर्शन के एकत्र हो जाते थे. लेकिन यह सिलसिला अब बन्द हो गया है.