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नगरीय बस सेवा बंद करने पर दायर याचिका पर नोटिस, कोर्ट ने नहीं दी याचिकाकर्ता को अंतरिम राहत - Jodhpur Bus Service

जोधपुर बस सर्विस लिमिटेड की ओर से संचालित नगरीय बस सेवा बंद करने पर चुनौती देने वाली याचिका पर राजस्थान हाईकोर्ट ने सुनवाई की. अदालत ने अप्रार्थीगणों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

राजस्थान हाईकोर्ट
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jan 6, 2024, 6:34 AM IST

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने जोधपुर बस सर्विस लिमिटेड की ओर से संचालित नगरीय बस सेवा बंद करने पर चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए स्थगन आदेश तो नहीं दिया, लेकिन अप्रार्थीगणों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. जस्टिस विनीत कुमार माथुर की एकलपीठ के समक्ष मैसर्स लक्ष्मी ट्रेवल्स कम्पनी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई की.

याचिका में कहा गया कि जेबीएसएल की ओर से अधिकारियों ने अचानक अल सवेरे बसों का संचालन बंद करवा दिया. वहीं, निगम की ओर से अधिवक्ता सुनील पुरोहित ने पैरवी करते हुए कहा कि बसों का संचालन करने के लिए राज्य सरकार के स्थानीय निकाय विभाग ने बजट स्वीकृत नहीं किया है. ऐसे में इसका भार निगम पर पड़ रहा है, जबकि जोधपुर बस सर्विस लिमिटेड ने नोटिस भी दिया था. कोर्ट ने सुनवाई के बाद नोटिस जारी करते हुए जवाब तलब किया है.

पढ़ें. हिट एंड रन कानून के खिलाफ हड़ताल समाप्त, रोडवेज को 2 दिन में 42 लाख की राजस्व हानि

कोर्ट ने कहा कि जब निगम ने बजट के अभाव में बसों के संचालन को बंद करने के आदेश दिए थे तो बंद क्यों नहीं की गई. उसके बावजूद बसों का संचालन किया गया तो यह तो फर्म की जवाबदेही होगी. इसमें सरकार क्या कर सकती है? याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता साहित्य सुभाष ने पैरवी करते हुए कहा कि बसों के संचालन के दो वर्ष का ठेके दिया गया, लेकिन इसको बीच में बंद कर दिया गया है. कोर्ट ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद सम्बंधित पक्षकार स्थानीय निकाय विभाग से 30 जनवरी जवाब मांगा है.

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने जोधपुर बस सर्विस लिमिटेड की ओर से संचालित नगरीय बस सेवा बंद करने पर चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए स्थगन आदेश तो नहीं दिया, लेकिन अप्रार्थीगणों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. जस्टिस विनीत कुमार माथुर की एकलपीठ के समक्ष मैसर्स लक्ष्मी ट्रेवल्स कम्पनी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई की.

याचिका में कहा गया कि जेबीएसएल की ओर से अधिकारियों ने अचानक अल सवेरे बसों का संचालन बंद करवा दिया. वहीं, निगम की ओर से अधिवक्ता सुनील पुरोहित ने पैरवी करते हुए कहा कि बसों का संचालन करने के लिए राज्य सरकार के स्थानीय निकाय विभाग ने बजट स्वीकृत नहीं किया है. ऐसे में इसका भार निगम पर पड़ रहा है, जबकि जोधपुर बस सर्विस लिमिटेड ने नोटिस भी दिया था. कोर्ट ने सुनवाई के बाद नोटिस जारी करते हुए जवाब तलब किया है.

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कोर्ट ने कहा कि जब निगम ने बजट के अभाव में बसों के संचालन को बंद करने के आदेश दिए थे तो बंद क्यों नहीं की गई. उसके बावजूद बसों का संचालन किया गया तो यह तो फर्म की जवाबदेही होगी. इसमें सरकार क्या कर सकती है? याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता साहित्य सुभाष ने पैरवी करते हुए कहा कि बसों के संचालन के दो वर्ष का ठेके दिया गया, लेकिन इसको बीच में बंद कर दिया गया है. कोर्ट ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद सम्बंधित पक्षकार स्थानीय निकाय विभाग से 30 जनवरी जवाब मांगा है.

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