जोधपुर. जोधपुर रेलवे स्टेशन पर बुनियादी सुविधाओं की कमी को लेकर दायर जनहित याचिका पर केन्द्र सरकार की ओर से दी गई रिपोर्ट का जवाब पेश नहीं किया गया है. कोर्ट ने न्यायहित में अंतिम अवसर देते हुए अगली सुनवाई पर जवाब पेश करने अन्यथा डीआरएम जोधपुर को व्यक्तिगत रूप से पेश होने के निर्देश दिए हैं. न्यायाधीश विजय विश्नोई व न्यायाधीश प्रवीर भटनागर की खंडपीठ में याचिकाकर्ता एवं अधिवक्ता विशाल सिंघल की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई है.
कोर्ट के निर्देश पर अधिवक्ता राजीव पुरोहित की ओर से रेलवे स्टेशनों का निरीक्षण कर विस्तृत रिपोर्ट पेश की गई थी. इस पर केन्द्र सरकार की ओर से जवाब पेश किया जाना था लेकिन अभी तक ऐसा नहीं किया गया. डिप्टी सॉलिसीटर जनरल मुकेश राजपुरोहित के सहयोगी ने कोर्ट से जवाब के लिए समय मांगा. इस पर कोर्ट ने न्यायहित में अंतिम अवसर देते हुए 20 फरवरी को सुनवाई मुकरर्र की है. साथ ही कोर्ट ने कहा कि यदि जवाब पेश नहीं किया जाता तो डीआरएम जोधपुर व्यक्तिगत रूप से पेश हों.
याचिकाकर्ता की ओर से वर्ष 2019 में जनहित याचिका के जरिए जोधपुर के रेलवे स्टेशनों पर बुनियादी सुविधाएं खराब होने और इस कारण यात्रियों को हो रही परेशानी को हाईकोर्ट के समक्ष रखा था. याचिकाकर्ता ने रेलवे स्टेशन पर बैटरी कार न होने, लिफ्ट और एस्केलेटर अक्सर खराब रहने तथा अन्य मूलभूत सुविधाओं की कमी के चलते वृद्ध, दिव्यांगजन तथा महिलाओं को हो रही असुविधाओं के बारे में याचिका में मामला उठाया था.
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इसके साथ ही रेलवे स्टेशन पर सार्वजनिक शौचालयों के गंदे होने के साथ ही रेलवे पार्किंग की ओर से मनमर्जी के पैसे मांगने से सम्बंधित शिकायत भी उठाई. इस मामले में पूर्व सुनवाई पर रेलवे डीआरएम को व्यक्तिगत रूप से भी तलब करते हुए समय-समय पर निर्देश दिए गए थे. रेलवे की ओर से याचिका का जवाब दाखिल किया गया था जिसमें रेलवे के अधिवक्ता ने यह दावा किया है कि जोधपुर के रेलवे स्टेशनों पर आम जनता के लिए सुविधाएं सही हैं और जो भी कमियां थीं उन्हें ठीक कर दिया गया है.
पक्षकारों के अधिवक्ताओं को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने अधिवक्ता राजीव पुरोहित से अनुरोध किया कि वे मुख्य रेलवे स्टेशन, जोधपुर, राईका बाग रेलवे स्टेशन और भगत-की-कोठी रेलवे स्टेशन का निरीक्षण करें. यह सुनिश्चित करें कि याचिकाकर्ता की ओऱ से याचिका में बताई गई कमियां अभी भी हैं या रेलवे की ओर से ठीक कर दी गई है. अधिवक्ता राजीव पुरोहित को निरींक्षण कर रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए थे. अधिवक्ता राजीव पुरोहित की ओर से निरीक्षण कर विस्तृत रिपोर्ट पेश कर दी थी जिस पर अभी तक केन्द्र सरकार की ओर से जवाब पेश नहीं किया गया है.