जोधपुर. शहर के भदवासिया क्षेत्र में शनिवार शाम को चाकू से गोदकर आपसी रंजिश में की गई वकील जुगराज चौहान की हत्या के मामले ने तूल पकड़ लिया है. प्रशासन के पूरे प्रयास के बावजूद रविवार को परिजनों ने मोर्चरी पर धरना देते हुए शव उठाने से इनकार कर दिया. परिजनों की मांग है कि परिवार को एक करोड़ रुपए का मुआवजा, सरकारी नौकरी और पुलिस सुरक्षा दी जाए. इस घटना के विरोध में प्रदेश भर में बार संघों ने सोमवार को कार्य बहिष्कार की घोषणा की है.
आरोप है कि रविवार को मृतक जुगराज के परिवार की मांग पर पूरे दिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. इससे नाराज होकर समाज के लोगों ने रविवार रात को रास्ता जाम कर दिया. पुलिस के अधिकारी मौके पर पहुंचे और लोगों से समझाइश की, लेकिन लोग नहीं माने. बाद में हाई कोर्ट एडवोकेट एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष नाथू सिंह राठौड़ मौके पर पहुंचे और मामला शांत करवाया.
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नाथू सिंह राठौड़ ने बताया कि हमारे प्रतिनिधि मंडल ने मुख्यमंत्री से शाम को मुलाकात की है. उन्होंने कल सुबह 11:00 बजे तक इस मामले में फैसला करने का आश्वासन दिया है. इसलिए हमें कल सुबह तक इंतजार करना चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर सुबह तक कोई फैसला नहीं होता है तो हम शव नहीं उठाएंगे और आंदोलन जारी रखेंगे. वकील जुगराज चौहान की हत्या के आरोपी मुकेश और अनिल को पुलिस ने शनिवार रात को ही गिरफ्तार कर लिया था.
प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने की मांग : रविवार देर शाम के बाद हाई कोर्ट एडवोकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष रणजीत जोशी के नेतृत्व में वकीलों के एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से सर्किट हाउस में मुलाकात की और उन्हें पूरे घटनाक्रम से अवगत कराया. रणजीत जोशी ने मुख्यमंत्री से कहा कि एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लंबे समय से लंबित है, उसे लागू किया जाए. लगातार वकीलों पर हमले हो रहे हैं, इससे सभी को सुरक्षा का अभाव महसूस हो रहा है. प्रतिनिधिमंडल के अनुसार मुख्यमंत्री ने उन्हें जुगराज चौहान के परिवार की मांगों को पूरा करने को लेकर भी आश्वस्त किया.
जयपुर में अदालत में नहीं होंगे न्यायािक काम : जोधपुर में वकील जुगराज सिंह चौहान की दिनदहाड़े हत्या करने के विरोध में शहर के अधिवक्ता आज अदालत में न्यायिक काम नहीं करेंगे. राजस्थान हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के महासचिव बलराज वशिष्ठ का कहना है कि जिस तरह वकील की जोधपुर में हत्या की गई है, वह निंदनीय है. इससे वकील समुदाय में काफी रोष है. हम लंबे समय से वकीलों की सुरक्षा के लिए कानून बनाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन अभी तक सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया है. ऐसे में हम विरोध स्वरूप न्यायिक बहिष्कार कर रहे हैं.