जोधपुर. इस बार पश्चिमी राजस्थान में पहले बिपरजॉय तूफान और उसके बाद मानसून की अच्छी बारिश हुई है. ऐसे में मौसम में लगातार नमी रहने से टिड्डी का खतरा मंडराने लगा है. हालांकि अभी पाकिस्तान या अफ्रीकी देशों से टिड्डी दलों के सक्रिय होने की कोई जानकारी नहीं है. लेकिन जैसलमेर के मोहनगढ़ क्षेत्र के बड़े हिस्सों में टिड्डी के अंडों से फाके (हॉपर) निकले हैं. जिनकी जानकारी मिलते ही जोधपुर स्थित टिड्डी चेतावनी संगठन की टीम ने मौके पर पहुंचकर उन्हें खत्म कर दिया.
माना जा रहा है कि 3 साल पहले आए टिड्डी दल की कुछ टिड्डियां जीवित बच गई थी और उन्हीं मादा टिड्डियों ने अंडे दिए थे. टिड्डी चेतावनी संगठन के सहायक निदेशक डॉ वीरेंद्र कुमार का कहना है कि जैसलमेर के कुछ हिस्से में हॉपर मिले थे जिन पर पूरी तरह से नियंत्रण कर लिया गया है. फिलहाल परेशानी की कोई बात नहीं है. संगठन की क्षेत्र में लगातार नजर बनी हुई है. आशंका के चलते राजस्थान के सीमावर्ती क्षेत्रों के अलावा गुजरात के सीमावर्ती क्षेत्रों में भी सर्वे किया जा रहा है.
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टिड्डी बनने से पहले ही किया खत्म : टिड्डी के अंडे से निकले हॉपर एक निश्चित क्रम में विकसित होते हैं. विकास के इस क्रम को स्टार रैंकिंग से देखा जाता है. 5 स्टार हॉपर के बाद सीधी वयस्क अवस्था होती है. जिनमें प्रजनन क्षमता होने से तेजी से फैलते हैं. मोहनगढ़ में 5 स्टार हॉपर थे जिन्हें खत्म कर दिया गया है. टिड्डी को लेकर जैसलमेर, बाड़मेर और बीकानेर तक सर्वे किया जा रहा है. बाड़मेर जिले के कुछ हिस्सों में सॉलिटेरी यानी एक टिड्डी मिली है. जो झुंड में नहीं रहती है वहीं बीकानेर में ग्रास हॉपर भी मिले हैं.
2020 में हुई थी तबाही : 2020 में 26 साल बाद भारत में टिड्डियों का हमला हुआ था. उस समय 111 बड़े दल आए थे जिनके हमले से राजस्थान में 1000 करोड रुपए से अधिक की फसल खत्म हो गई थी. दल राजस्थान से होते हुए नेपाल तक पहुंच गए थे. जिसका आतंक जुलाई 2020 तक चला था.