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जोधपुर में लहलहा उठी आंवले की फसल, अनुसंधान केन्द्र ने 20 किस्म के आंवले किए तैयार - Amla trees

Special जोधपुर के केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (काजरी) ने आंवले की किस्मों पर काम करते हुए 20 तरह के आंवले के पेड़ तैयार किए हैं. काजरी के वैज्ञानिक ने बताया कि आंवला का सेवन हर आयु वर्ग के लोगों के लिए लाभकारी है. आप भी जानिए इसके औषधीय गुणों के बारे में.

जोधपुर में लहलहा उठी आंवले की फसल
जोधपुर में लहलहा उठी आंवले की फसल
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jan 8, 2024, 8:42 PM IST

काजरी ने 20 किस्म के आंवले तैयार किए हैं

जोधपुर. विटामिन-C का सबसे बड़ा स्रोत आंवला होता है, जिसमें औषधीय गुणों की भी भरमार होती है. अच्छी बारिश के चलते जोधपुर के केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (काजरी) में इस बार आंवले की जबरदस्त फसल हुई है. इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि पश्चिमी राजस्थान के किसान अगर इसकी खेती करते हैं उनको अच्छा मुनाफा होगा. काजरी में इस बार 20 टन आंवला हुआ है. काजरी में शुष्क और अर्ध शुष्क क्षेत्रीय फलों पर काम कर रहे वैज्ञानिक डॉ. धीरज सिंह का कहना है कि काजरी में कुल 20 तरह के आंवले की किस्मों का संग्रह है. काजरी ने 8 वैरायटी के ऑर्गेनिक आंवले तैयार किए हैं, इनमें चेकैया, बनारसी, एनए-7, कृष्णा, कंचन, एनए-10, आनंद-2 व फ्रांसिस नामों की किस्में शामिल हैं जो पूरी तरग ऑर्गेनिक हैं. आंवले से रस, मुरब्बा, केंडी, चटनी व सुखाकर उपयोग में लिए जा सकते हैं. आंवला का सेवन हर आयु वर्ग के लोगों के लिए लाभकारी है. सर्दी में आंवला ज्यादा लाभकारी होता है.

किसानों के लिए फायदेमंद : धीरज सिंह का कहना है कि मारवाड़ में शुष्क जलवायु के चलते आंवले में कीड़े व बीमारियों का प्रकोप न के बराबर होता है. नकदी फसल होने से किसानों को बाजार में भाव अच्छा मिलता है. कम पानी में भी पौधा लग जाता है और तीन साल बाद फल आने लगते हैं. पौधे की औसत आयु तीस साल होती है. एक पौधे से 50 किलो से ज्यादा आंवले निकलते हैं. इसमें दिसंबर से मार्च तक फल आते हैं. किसान खेत में एक निश्चित जगह पर आंवले के पेड़ लगाकर दूसरी फसल भी ले सकता है. इसकी जड़े गहरी होने से ट्रैक्टर के उपयोग से भी नुकसान नहीं होता.

इसे भी पढ़ें-Organic Farming in Bharatpur: जैविक आंवला और अमरूद स्वाद में लाजवाब के साथ कमाई में भी दमदार, अरब तक हो रही सप्लाई

औषधीय गुणों की खान है आंवला : डॉ. धीरज सिंह बताया कि आंवला प्रचूर पोषक तत्वों वाला अद्वितीय गुणों से युक्त पौधा है. मारवाड़ की जलवायु व भूमि आंवला की खेती के लिए उपयुक्त है. इसका स्वाद अम्लीय व कसैलापन होता है. यह कसैलापन पालीफिनोल, गैलिक एसिड, इलैजिक एसिड तथा टैनिन के कारण होता है, जो सेहत के लिए फायदेमंद होता है.

काजरी ने विकसित की कई किस्में : उन्होंने बताया कि माना जाता है कि उत्तर भारत में आंवले के उत्पादन की शुरुआत अयोध्या से हुई थी. वहां पर आंवले की अच्छी किस्म विकसित की गई थी, जो गुणवत्ता में काफी आगे है. अयोध्या के बाद आंवले पर सर्वाधिक काम जोधपुर में हुआ है. काजरी ने यहां अलग-अलग किस्म के आंवले विकसित किए हैं, जो किसानों के लिए फायदे का सौदा साबित हो रहा है. काजरी में विकसित आंवले में रेशे सबसे कम होते हैं जो इस फल की गुणवत्ता बढ़ाते हैं.

काजरी ने 20 किस्म के आंवले तैयार किए हैं

जोधपुर. विटामिन-C का सबसे बड़ा स्रोत आंवला होता है, जिसमें औषधीय गुणों की भी भरमार होती है. अच्छी बारिश के चलते जोधपुर के केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (काजरी) में इस बार आंवले की जबरदस्त फसल हुई है. इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि पश्चिमी राजस्थान के किसान अगर इसकी खेती करते हैं उनको अच्छा मुनाफा होगा. काजरी में इस बार 20 टन आंवला हुआ है. काजरी में शुष्क और अर्ध शुष्क क्षेत्रीय फलों पर काम कर रहे वैज्ञानिक डॉ. धीरज सिंह का कहना है कि काजरी में कुल 20 तरह के आंवले की किस्मों का संग्रह है. काजरी ने 8 वैरायटी के ऑर्गेनिक आंवले तैयार किए हैं, इनमें चेकैया, बनारसी, एनए-7, कृष्णा, कंचन, एनए-10, आनंद-2 व फ्रांसिस नामों की किस्में शामिल हैं जो पूरी तरग ऑर्गेनिक हैं. आंवले से रस, मुरब्बा, केंडी, चटनी व सुखाकर उपयोग में लिए जा सकते हैं. आंवला का सेवन हर आयु वर्ग के लोगों के लिए लाभकारी है. सर्दी में आंवला ज्यादा लाभकारी होता है.

किसानों के लिए फायदेमंद : धीरज सिंह का कहना है कि मारवाड़ में शुष्क जलवायु के चलते आंवले में कीड़े व बीमारियों का प्रकोप न के बराबर होता है. नकदी फसल होने से किसानों को बाजार में भाव अच्छा मिलता है. कम पानी में भी पौधा लग जाता है और तीन साल बाद फल आने लगते हैं. पौधे की औसत आयु तीस साल होती है. एक पौधे से 50 किलो से ज्यादा आंवले निकलते हैं. इसमें दिसंबर से मार्च तक फल आते हैं. किसान खेत में एक निश्चित जगह पर आंवले के पेड़ लगाकर दूसरी फसल भी ले सकता है. इसकी जड़े गहरी होने से ट्रैक्टर के उपयोग से भी नुकसान नहीं होता.

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औषधीय गुणों की खान है आंवला : डॉ. धीरज सिंह बताया कि आंवला प्रचूर पोषक तत्वों वाला अद्वितीय गुणों से युक्त पौधा है. मारवाड़ की जलवायु व भूमि आंवला की खेती के लिए उपयुक्त है. इसका स्वाद अम्लीय व कसैलापन होता है. यह कसैलापन पालीफिनोल, गैलिक एसिड, इलैजिक एसिड तथा टैनिन के कारण होता है, जो सेहत के लिए फायदेमंद होता है.

काजरी ने विकसित की कई किस्में : उन्होंने बताया कि माना जाता है कि उत्तर भारत में आंवले के उत्पादन की शुरुआत अयोध्या से हुई थी. वहां पर आंवले की अच्छी किस्म विकसित की गई थी, जो गुणवत्ता में काफी आगे है. अयोध्या के बाद आंवले पर सर्वाधिक काम जोधपुर में हुआ है. काजरी ने यहां अलग-अलग किस्म के आंवले विकसित किए हैं, जो किसानों के लिए फायदे का सौदा साबित हो रहा है. काजरी में विकसित आंवले में रेशे सबसे कम होते हैं जो इस फल की गुणवत्ता बढ़ाते हैं.

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