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जोधपुर कृषि विश्वविद्यालय ने तैयार किए बाजरे के हाइब्रिड बीज, अभी तक दूसरे राज्यों से किसान लेकर आते थे

जोधपुर के कृषि विश्वविद्यालय ने बाजरे का हाईब्रिड बीज तैयार किया है. इसे किसान भी खूब पसंद कर रहे हैं. इससे पहले बारिश का सीजन आने से पहले बीज लेने के लिए दूसरे राज्यों में जाना होता था लेकिन अब किसान जोधपुर कृषि विश्वविद्यालय द्वारा तैयार हाईब्रिड बिज से फसल उगा सकेंगे.

hybrid seeds of millet, Jodhpur Agricultural University
जोधपुर कृषि विश्वविद्यालय ने तैयार किए बाजरे के हाइब्रिड बीज
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Published : Jun 22, 2021, 10:54 AM IST

जोधपुर. बाजरा का उत्पादन राजस्थान में भी काफी होता है. बाजरे की फसल की विशेषता होती है कि वह सूखा प्रभावित क्षेत्र में भी उपज देती है. यही कारण है कि बाजरे को राजस्थान के उन क्षेत्रों में उगाया जाता है जहां तापमान अधिक होता है और पानी की कमी होती है. अमूमन बाजरे की फसल को वर्षा ऋतु में बोया जाता है.

जोधपुर कृषि विश्वविद्यालय ने तैयार किए बाजरे के हाइब्रिड बीज

जोधपुर के कृषि विश्वविद्यालय ने बाजरे को लेकर एक नवाचार किया है. कृषि विश्वविद्यालय ने बाजरे की आगामी सीजन को देखते हुए हाइब्रिड बीज तैयार किया है. अब तक राजस्थान में इस तरह के बीजों का उत्पादन नहीं होता था और किसानों को यह बीच अन्य प्रदेशों से मंगवाने पड़ते थे.

कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डॉक्टर सीताराम ने बताया कि विश्वविद्यालय परिसर स्थित फॉर्म पर करीब 6 हेक्टेयर भूमि में बाजरे के उन्नत हाइब्रिड बीज तैयार किए गए हैं. यह किस्म पश्चिमी राजस्थान के सूखाग्रस्त क्षेत्रों में अधिक उत्पादन देने में सक्षम है. इस किस्म का बीज बालू युक्त मिट्टी में उपजाउ होता है और दाना पीला गोलाकार होता है. खाने में भी काफी स्वादिष्ट होता है.

hybrid seeds of millet, Jodhpur Agricultural University
हाइब्रिड बीज की फसल

डॉ. सीताराम ने बताया कि इस बीज से किसान पहले से ज्यादा बाजरे का उत्पादन कर पाएंगे. इसकी खासियत यह है कि फसल उगने के बाद इसकी पत्तियां हमेशा हरी रहती हैं जिससे कि उसे चारे के उपयोग में भी आसानी से लिया जा सकता है.

ये भी पढ़ें: सभी विभाग पीपीपी परियोजनाओं की रूपरेखा 31 जुलाई तक करें तैयार : मुख्य सचिव निरंजन आर्य

कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक का कहना है कि 6 हेक्टेयर भूमि में उगाए गए बाजरे के हाइब्रिड बीज में नर और मादा दोनों है जिसे 2 अनुपात 4 के अनुपात में लगाया गया है. जहां दो लाइन में न बीज उगा गए हैं. वहीं चार लाइन में मादा के बीज लगाये गए हैं. डॉ. सीताराम का कहना है कि विश्वविद्यालय की ओर से विकसित बाजरे की हाइब्रिड किस्म एमपीएमएच-17 को किसान भी काफी पसंद कर रहे हैं.

hybrid seeds of millet, Jodhpur Agricultural University
हाइब्रिड बीज की फसल

ये भी पढ़ें: घर वापसी के लंबे अरसे बाद BJP मुख्यालय में दिखे घनश्याम तिवाड़ी, कुछ ने बनाई दूरी...तो कई के साथ दिखी नजदीकियां

किसानों को अब दूसरे राज्यों से बाजरे के बीज की खरीद नहीं करनी पड़ेगी. इस किस्म के बीज से किसान अच्छा उत्पादन कर पा रहे हैं. अमूमन बाजरे के बीज तैयार करने के लिए वर्षा ऋतु में बीज बोए जाते हैं लेकिन कृषि विश्वविद्यालय के नवाचार के चलते वर्षा ऋतु से पहले ही बाजरे की हाइब्रिड किस्म के बीज को तैयार कर लिया गया है.

जोधपुर. बाजरा का उत्पादन राजस्थान में भी काफी होता है. बाजरे की फसल की विशेषता होती है कि वह सूखा प्रभावित क्षेत्र में भी उपज देती है. यही कारण है कि बाजरे को राजस्थान के उन क्षेत्रों में उगाया जाता है जहां तापमान अधिक होता है और पानी की कमी होती है. अमूमन बाजरे की फसल को वर्षा ऋतु में बोया जाता है.

जोधपुर कृषि विश्वविद्यालय ने तैयार किए बाजरे के हाइब्रिड बीज

जोधपुर के कृषि विश्वविद्यालय ने बाजरे को लेकर एक नवाचार किया है. कृषि विश्वविद्यालय ने बाजरे की आगामी सीजन को देखते हुए हाइब्रिड बीज तैयार किया है. अब तक राजस्थान में इस तरह के बीजों का उत्पादन नहीं होता था और किसानों को यह बीच अन्य प्रदेशों से मंगवाने पड़ते थे.

कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डॉक्टर सीताराम ने बताया कि विश्वविद्यालय परिसर स्थित फॉर्म पर करीब 6 हेक्टेयर भूमि में बाजरे के उन्नत हाइब्रिड बीज तैयार किए गए हैं. यह किस्म पश्चिमी राजस्थान के सूखाग्रस्त क्षेत्रों में अधिक उत्पादन देने में सक्षम है. इस किस्म का बीज बालू युक्त मिट्टी में उपजाउ होता है और दाना पीला गोलाकार होता है. खाने में भी काफी स्वादिष्ट होता है.

hybrid seeds of millet, Jodhpur Agricultural University
हाइब्रिड बीज की फसल

डॉ. सीताराम ने बताया कि इस बीज से किसान पहले से ज्यादा बाजरे का उत्पादन कर पाएंगे. इसकी खासियत यह है कि फसल उगने के बाद इसकी पत्तियां हमेशा हरी रहती हैं जिससे कि उसे चारे के उपयोग में भी आसानी से लिया जा सकता है.

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कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक का कहना है कि 6 हेक्टेयर भूमि में उगाए गए बाजरे के हाइब्रिड बीज में नर और मादा दोनों है जिसे 2 अनुपात 4 के अनुपात में लगाया गया है. जहां दो लाइन में न बीज उगा गए हैं. वहीं चार लाइन में मादा के बीज लगाये गए हैं. डॉ. सीताराम का कहना है कि विश्वविद्यालय की ओर से विकसित बाजरे की हाइब्रिड किस्म एमपीएमएच-17 को किसान भी काफी पसंद कर रहे हैं.

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हाइब्रिड बीज की फसल

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किसानों को अब दूसरे राज्यों से बाजरे के बीज की खरीद नहीं करनी पड़ेगी. इस किस्म के बीज से किसान अच्छा उत्पादन कर पा रहे हैं. अमूमन बाजरे के बीज तैयार करने के लिए वर्षा ऋतु में बीज बोए जाते हैं लेकिन कृषि विश्वविद्यालय के नवाचार के चलते वर्षा ऋतु से पहले ही बाजरे की हाइब्रिड किस्म के बीज को तैयार कर लिया गया है.

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