जोधपुर. केंद्रीय कारागृह जोधपुर में बंद विचाराधीन बंदी सुभाष कुमार की ओर से जेल में आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त बंदियों की ओर से धर्म परिवर्तन करने के लिए दबाव बनाने के आरोपों को जिला प्रशासन ने बेबुनियाद बताया है. दो दिन पहले रविवार को जेल में सुभाष के साथ हुई मारपीट के बाद उसने अस्पताल में आरोप लगाया था कि जेल में धर्म परिवर्तन करवाया जा रहा है. इसके लिए उस पर हमला हुआ है. यह मामला सामने आने के बाद जिला प्रशासन ने जेल प्रशासन को जांच के निर्देश दिए. इस जांच में सुभाष के आरोपों को बेबुनियाद बताया.
एडीएम सिटी (प्रथम) डॉ भास्कर विश्नोई ने बताया कि विचाराधीन बंदी सुभाष कुमार 29 जनवरी सुबह 11 बजे पानी लेने जा रहा था, तभी अन्य बंदी बरकत अली एवं मारूफ से टकराने पर उनके बीच बहस और गाली-गलौच हुई. ड्यूटी प्रहरी पुखराज ने दोनों को अलग किया. इसी दौरान आपसी झगड़े में सुभाष के नाक पर चोट आने से स्थानीय डिस्पेन्सरी एवं महात्मा गांधी चिकित्सालय में उपचार करवाया गया तथा चिकित्सकीय परीक्षण के बाद बंदी को पुनः कारागृह में दाखिल करवा दिया गया है.
एडीएम ने बताया कि इस मामले में जबरन या किसी भी तरीके से धर्म-परिवर्तन करवाने, धर्म विरोधी या धर्मान्तरण से संबंधित कोई भी साहित्य पढ़ने के लिए दबाव डालने जैसे तथ्य जांच में सामने नहीं आए हैं. बता दें कि केंद्रीय कारागृह जोधपुर में बंद विचाराधीन बंदी सुभाष कुमार को महानिरीक्षक कारागार के आदेश पर जालोर से जोधपुर शिफ्ट किया गया था. उसे जेल के वार्ड संख्या 15 में रखा जा रहा था, इस दौरान रविवार को मारपीट की घटना हुई.