जोधपुर. राजस्थान हाई कोर्ट में शनिवार को बंदी की पैरोल याचिका की सुनवाई हुई. जिसमें हाई कोर्ट ने बीकानेर के जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को फटकाल लगाई और भविष्य में ऐसी गलती नहीं करने के निर्देश भी दिए.
दरअसल, बीकानेर में बंद कैदी की पत्नी निरमा देवी ने कोर्ट में याचिका लगाया था. जिसमें उसने बताया कि पूर्व में उसके बंदी पति को हाई कोर्ट से पैरोल मिली थी. इसके बात उसके पति ने शुद्ध आचरण के साथ ही पैरोल समयावधि खत्म होने के साथ ही, दोबरा जेल में समर्पण कर दिया था. जिसके बाद निरमा देवी ने दोबारा पैरोल का प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया था, जिसको बिना किसी कारण के खारिज कर दिया गया. इसी मामले की शनिवार को हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही थी. जिसमेम हाईकोर्ट ने बीकानेर के जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को तलब किया था.
वहीं, याचिकाकर्ता निरमा देवी के अधिवक्ता कालूराम भाटी का तर्क था कि नियमानुसार बंदी तेजाराम द्वारा दूसरी बार पैरोल का प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करने पर उसे बिना किसी कारण के खारिज कर दिया गया. इसी मामले में हाईकोर्ट ने बीकानेर के जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को तलब किया था.
इधर, शनिवार को उक्त मामले में सुनवाई के तहत बीकानेर के जिला कलेक्टर कुमार पाल गौतम और पुलिस अधीक्षक प्रदीप मोहन शर्मा खंडपीठ के समक्ष उपस्थित हुए. जिस पर खंडपीठ ने उक्त मामले में अधिकारियों को इस प्रकार की गलती भविष्य में नहीं होने के निर्देश दिए. ऐसे में अधिकारियों ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि भविष्य में इस प्रकार की त्रुटि नहीं होगी. इस पर हाई कोर्ट खंडपीठ के जस्टिस संदीप मेहता, अभय मनोहर चतुर्वेदी की कोर्ट में बंदी तेजाराम को पैरोल देने के साथ ही उक्त मामले का निस्तारण किया. वहीं, राज्य सरकार की ओर से उक्त मामले में एए जी फरजंद अली और उनके सहायक अधिवक्ता अभिषेक पुरोहित ने अपना पक्ष रखा.