जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पंकज मिथल और न्यायाधीश दिनेश मेहता ने हाईकोर्ट प्रशासन को कहा है कि वे दो सप्ताह में हलफनामा और आवश्यक सामग्री पेश कर बताएं कि अपने प्रशासनिक आदेश से हाईकोर्ट प्रशासन मोटर यान दुर्घटना दावा अधिकरण के लम्बित प्रकरण को अन्य न्यायालयों में क्षेत्राधिकार और श्रवनाधिकार बताकर उन्हें हस्तांतरित कर सकता है. कोर्ट ने राज्य सरकार को भी न्यायालय के 23 नवंबर के आदेश की पालना में यह विगत वार बताने का निर्देश दिया कि राज्य में स्थापित 31 दावा अधिकरण (Motor Accidents Claims Tribunal in Rajasthan) में पर्याप्त स्टाफ और संसाधन उपलब्ध हैं.
जिला अभिभाषक संघ, बांसवाड़ा की ओर से जनहित याचिका पर बहस करते हुए अधिवक्ता अनिल भंडारी ने कहा कि राज्य के दावा अधिकरणों में न तो समुचित स्टाफ है और न ही समुचित संसाधन और सुविधाएं हैं. उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट के प्रशासनिक आदेशों से श्रम न्यायालय जोधपुर महानगर और अन्य जगहों पर भी मोटर यान दुर्घटना दावा अधिकरण के लम्बित प्रकरण पारिवारिक न्यायालय, श्रम न्यायालय और अपर जिला न्यायालयों में क्षेत्राधिकार देकर हस्तांतरित कर दिए गए हैं. लेकिन अधिकांश जगह लेखाधिकारी, स्टेनोग्राफर और अन्य स्टाफ पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं किए जा रहे हैं, जिससे दुर्घटना दावों का निस्तारण देरी से हो रहा है.
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सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता और अतिरिक्त महाधिवक्ता संदीप शाह ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश की पालना में मोटर दावा अधिकरणों में अधिकांश जगह लेखाधिकारी और स्टेनोग्राफर नियुक्त कर दिए गए हैं. हाईकोर्ट की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ सचिन आचार्य ने कहा कि हाईकोर्ट के प्रशासनिक आदेशों से ही मोटर दावा अधिकरणों के काफी मामले अन्य न्यायालयों को क्षेत्राधिकार देते हुए हस्तांतरित किए गए हैं.
हाईकोर्ट खंडपीठ ने हाईकोर्ट प्रशासन को कहा कि वे दो सप्ताह में हलफनामा और आवश्यक सामग्री पेश कर बताएं कि क्या वे मोटर यान दुर्घटना दावा अधिकरण के क्षेत्राधिकार के प्रकरण अन्य न्यायालयों को अपने प्रशासनिक आदेश से उन्हें प्रदान कर सकते हैं. उन्होंने राज्य सरकार को भी इसी अवधि में अपने पूर्व आदेश की पालना में हलफनामा और तालिका पेश कर यह अवगत कराएं कि 31 मोटर दावा अधिकरणों में पर्याप्त स्टाफ और समुचित संसाधन और सुविधाएं उपलब्ध हैं.