जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रतापगढ़ पुलिस की ओर से अस्पताल में युवक को हथकड़ी लगाने के मामले को गंभीरता से लेते हुए पुलिस महानिरीक्षक को निर्देश दिए हैं कि पूरी जांच उनके निर्देशन में करवाई जाए. प्रतापगढ़ पुलिस अधीक्षक अमित कुमार ने कहा कि वो अभी चार माह पहले ही पोस्टेड हुए हैं और मामले में थानाधिकारी एवं अनुसंधान अधिकारी को निलम्बित कर दिया है. इस पर पुलिस महानिरीक्षक को निर्देश दिए गए हैं.
जस्टिस अरूण भंसाली व जस्टिस राजेन्द्र प्रकाश सोनी की खंडपीठ के समक्ष पिछले दिनों कन्हैयालाल ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी, जिसमें अधिवक्ता राकेश अरोड़ा ने बताया था कि याची के पुत्र बलदेव को पुलिस ने बिना हिरासत में लिए कैदी वार्ड में हथकड़ी लगा के रखा है. पुलिस का अमानवीय चेहरा सामने आने पर तत्काल कोर्ट ने सीजेएम को जांच कर रिपोर्ट मांगी थी. सीजेएम की रिपोर्ट में भी बताया गया कि हथकड़ी पलंग के लगी है और युवक के पांव में फैक्चर है.
युवक ने सीजेएम को दिए बयान में कहा कि रात को हथकड़ी लगाते है और सवेरे खोल देते है. इस पूरे मामले में पुलिस अधीक्षक व तत्कालीन थानाधिकारी को कोर्ट ने तलब किया था. सरकार की ओर से एएजी कम जीए एमए सिद्दकी ने पैरवी करते हुए कहा कि प्रारम्भिक तौर पर दो पुलिस अधिकारियों को निलम्बित कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि इस तरह से केवल आंखों में धूल झांकने का प्रयास मात्र है.
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कोर्ट ने पूरे मामले पर सुनवाई के बाद याचिका को निस्तारित करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की पालना होना आवश्यक है. किसी भी कैदी को हथकड़ी नहीं लगाई जाए और जब यहां तक पुलिस ने माना भी है कि उसे गिरफ्तार नहीं किया गया, तो यह असंवैधानिक था. दोषियों के खिलाफ निष्पक्ष जांच जल्द से जल्द की जाए और पुलिस महानिरीक्षक व्यक्तिगत रूप से उसकी निगरानी करे. वहीं याची के पुत्र को गिरफ्तार नहीं किया गया है. इसीलिए उसे परिवार से मिलने से किसी प्रकार की रोकटोक नहीं होगी.