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जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के अशैक्षणिक कार्मिकों से वसूली पर हाईकोर्ट की रोक

हाईकोर्ट ने जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय में कार्यरत अशैक्षणिक कर्मचारियों को जारी वसूली नोटिस के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी है. बता दें कि स्थानीय निधि अंकेक्षण दल की विशेष जांच द्वारा पेश रिपोर्ट के आधार पर विश्वविद्यालय ने नोटिस जारी किए थे. जिसे लेकर अदालत ने कुलसचिव से जवाब मांगा है.

विश्वविद्यालय कार्मिकों से वसूली पर रोक
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Published : Jul 3, 2019, 10:22 PM IST

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय में कार्यरत अशैक्षणिक कर्मचारियों को जारी वसूली नोटिस के क्रियान्वयन पर रोक लगाते हुए याचिकाकर्ताओं को राहत दी है. स्थानीय निधि अंकेक्षण दल की विशेष जांच द्वारा पेश रिपोर्ट के आधार पर विश्वविद्यालय ने वसूली से संबंधित आदेश जारी किए थे और उक्त वसूली योग्य राशि 15 दिन के भीतर जमा कराने का नोटिस दिया था.

विश्वविद्यालय कार्मिकों से वसूली पर रोक

जिससे असंतुष्ट होकर वाणिज्य संकाय के वरिष्ठ लिपिक नीलम गांधी ने अधिवक्ता डॉ. निखिल डूंगावत व निहार जैन के जरिए उच्च न्यायालय में रिट याचिका दायर की थी. उक्त याचिका पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि अशैक्षणिक कर्मचारियों की नियुक्तियों से पदोन्नति व अन्य नियमितिकरण के संबंध में राज्य सरकार के ऑडिटर जनरल विभाग द्वारा ऑडिट कराई गई थी. जिसमें ऑडिटर जनरल विभाग ने कोई भी अनियमितता नहीं पाई.

इसके बाद स्थानीय निधि अंकेक्षण दल की विशेष जांच द्वारा पुन: रिपोर्ट के आधार पर विश्वविद्यालय के अशैक्षणिक कर्मचारियों और शिक्षकों को पूर्व में दिए गए अनियमित अधिक भुगतान राशि की वसूली बाबत नोटिस जारी कर दिए, जो कि अनुचित है. प्रारम्भिक सुनवाई के बाद न्यायाधीश अरुण भंसाली की एकलपीठ ने विश्वविद्यालय के कुलसचिव को नोटिस जारी करते हुए चार सप्ताह में जवाब पेश करने और तब तक वसूली नोटिस के क्रियान्वयन पर अंतरिम रोक लगाने का आदेश पारित किया.

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय में कार्यरत अशैक्षणिक कर्मचारियों को जारी वसूली नोटिस के क्रियान्वयन पर रोक लगाते हुए याचिकाकर्ताओं को राहत दी है. स्थानीय निधि अंकेक्षण दल की विशेष जांच द्वारा पेश रिपोर्ट के आधार पर विश्वविद्यालय ने वसूली से संबंधित आदेश जारी किए थे और उक्त वसूली योग्य राशि 15 दिन के भीतर जमा कराने का नोटिस दिया था.

विश्वविद्यालय कार्मिकों से वसूली पर रोक

जिससे असंतुष्ट होकर वाणिज्य संकाय के वरिष्ठ लिपिक नीलम गांधी ने अधिवक्ता डॉ. निखिल डूंगावत व निहार जैन के जरिए उच्च न्यायालय में रिट याचिका दायर की थी. उक्त याचिका पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि अशैक्षणिक कर्मचारियों की नियुक्तियों से पदोन्नति व अन्य नियमितिकरण के संबंध में राज्य सरकार के ऑडिटर जनरल विभाग द्वारा ऑडिट कराई गई थी. जिसमें ऑडिटर जनरल विभाग ने कोई भी अनियमितता नहीं पाई.

इसके बाद स्थानीय निधि अंकेक्षण दल की विशेष जांच द्वारा पुन: रिपोर्ट के आधार पर विश्वविद्यालय के अशैक्षणिक कर्मचारियों और शिक्षकों को पूर्व में दिए गए अनियमित अधिक भुगतान राशि की वसूली बाबत नोटिस जारी कर दिए, जो कि अनुचित है. प्रारम्भिक सुनवाई के बाद न्यायाधीश अरुण भंसाली की एकलपीठ ने विश्वविद्यालय के कुलसचिव को नोटिस जारी करते हुए चार सप्ताह में जवाब पेश करने और तब तक वसूली नोटिस के क्रियान्वयन पर अंतरिम रोक लगाने का आदेश पारित किया.

Intro:स्थानीय निधि अंकेक्षण दल की विशेष जांच द्वारा पेश रिपोर्ट के आधार पर विश्वविद्यालय ने जारी किए थे नोटिस, कुलसचिव से जवाब तलब


Body:जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय में कार्यरत अशैक्षणिक कर्मचारियों को जारी वसूली नोटिस के क्रियान्वयन पर रोक लगाते हुए याचिकाकर्ताओं को राहत दी है। स्थानीय निधि अंकेक्षण दल की विशेष जांच द्वारा पेश रिपोर्ट के आधार पर विश्वविद्यालय ने वसूली बाबत आदेश जारी किए थे और उक्त वसूली योग्य राशि 15 दिवस के भीतर जमा कराने का नोटिस दिया था। जिससे असंतुष्ट होकर वाणिज्य संकाय के वरिष्ठ लिपिक नीलम गांधी ने अधिवक्ता डॉ. निखिल डूंगावत व निहार जैन के जरिए उच्च न्यायालय में रिट याचिका दायर की थी। उक्त याचिका पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि अशैक्षणिक कर्मचारियों की नियुक्तियों से पदोन्नति व अन्य नियमितिकरण के संबंध में राज्य सरकार के ऑडिटर जनरल विभाग द्वारा ऑडिट कराई गई थी। जिसमें ऑडिटर जनरल विभाग ने कोई भी अनियमितता नही पाई। इसके बाद स्थानीय निधि अंकेक्षण दल की विशेष जांच द्वारा पुन: रिपोर्ट के आधार पर विश्वविद्यालय के अशैक्षणिक कर्मचारियों और शिक्षकों को पूर्व में दिए गए अनियमित अधिक भुगतान राशि की वसूली बाबत नोटिस जारी कर दिए। जो कि अनुचित है। प्रारम्भिक सुनवाई के बाद न्यायाधीश अरुण भंसाली की एकलपीठ ने विश्वविद्यालय के कुलसचिव को नोटिस जारी करते हुए चार सप्ताह में जवाब पेश करने और तब तक वसूली नोटिस के क्रियान्वयन पर अंतरिम रोक लगाने का आदेश पारित किया।

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