जोधपुर. शहर के जैसलमेर हाईवे से 3 किलोमीटर अंदर और जोधपुर शहर से लगभग 25 किलोमीटर दूर केरू ग्राम पंचायत में ईटीवी भारत पहुंचा. केरू ग्राम पंचायत की आबादी लगभग 11 हजार है. यहां सरकारी स्कूल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की सुविधा है जिसकी वजह से ग्रामीणों को चिकित्सा सुविधाओं के लिए गांव से बाहर नहीं जाना पड़ता. लेकिन इन दिनों कोरोना का असर गांव में दिख रहा है. कोरोना वायरस गांव तक नहीं पहुंचे इसके लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं.
केरू ग्राम पंचायत के बस स्टैंड, सब्जी मंडी इलाके में लगने वाली दुकानों पर दुकानदार हमें मास्क लगाकर बैठे मिले. वहीं सड़कों से निकलने वाले लोगों के चेहरों पर भी मास्क दिखाई दे रहा था. कोरोना वायरस से बचने के लिए ग्रामीण परिवेश के लोग भी सोशल डिस्टेंसिंग की पालना कर रहे हैं साथ ही अपने हाथों को समय-समय पर साबुन से धोना और मास्क लगाना नहीं भूलते.
ग्राम पंचायत में बाहर से आने वाले लोगों को गांव में बने क्वॉरेंटाइन सेंटर में रखा गया और 15 दिन तक क्वॉरेंटाइन सेंटर में रखने के बाद उन्हें उनके घर भेजा गया. ग्रामीणों ने बताया कि बाहर से आए प्रवासियों की रिपोर्ट भी नेगेटिव आने के साथ ही वर्तमान समय में केरु ग्राम पंचायत में एक भी कोरोना पॉजिटिव मरीज नहीं है. ग्रामीणों का कहना है कि वे समय-समय पर साबुन से हाथ धोते हैं, साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल और मास्क लगाना नहीं भूलते.
समय-समय पर टेस्टिंग-
पंचायत में स्थित राजकीय विद्यालय के प्रधानाचार्य ने बताया कि स्कूल में बने को क्वॉरेंटाइन सेंटर में लगभग 40 से अधिक प्रवासियों को रखा गया था. जिनकी समय-समय पर टेस्टिंग करवाई गई. ग्राम पंचायत में बीएलओ के रूप में काम कर रहे शिक्षकों का कहना है कि उनके द्वारा भी जब डोर-टू-डोर सर्वे किया गया इस दौरान सभी गांव वालों को कोविड-19 के नियमों के बारे में जानकारी दी गई और ग्रामीण परिवेश के लोगों ने उन नियमों की पालना भी की. फलस्वरूप, केरु ग्राम पंचायत जिसकी आबादी 11 हजार है यहां पर एक भी कोरोना पॉजिटिव मरीज नहीं मिला.
सरकारी गाइडलाइंस की पालना-
क्वॉरेंटाइन सेंटर में तैनात शिक्षकों ने बताया कि ग्रामीण कोरोना वायरस को लेकर काफी जागरूक हैं. अगर उनके इलाके में कोई बाहर से व्यक्ति आता है तो ग्रामीण इसकी सूचना बीएलओ या ग्राम सेवक को इसकी सूचना देते हैं. हमसे बात करते हुए एक महिला शिक्षक ने कहा कि केरू ग्राम पंचायत के हर एक घर में जाकर बातचीत की गई लोगों को समझाया गया. महिलाएं, बच्चे और बुजुर्गों को कोरोना वायरस से बचने के उपाय और सरकारी गाइडलाइंस के बारे में जानकारी दी गई.
3500 से ज्यादा लोगों की सैंपलिंग हुई-
वहीं केरू ग्राम पंचायत में बने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के मेडिकल ऑफिसर डॉ. सुरेश सैनी का कहना है कि केरू ग्राम पंचायत में लगभग 2 हजार से अधिक लोगों की स्क्रीनिंग करवाई जा चुकी है. प्रवासियों के साथ ही उनके संपर्क में आने वाले लगभग 3500 से अधिक लोगों के सैंपल भी लिए गए थे. सभी की सैंपल रिपोर्ट आ चुकी है जिसमें सभी कोरोना नेगेटिव पाए गए हैं. डॉ. सुरेश सैनी ने बताया कि उनके अस्पताल में आने वाले सभी लोगों का रिकॉर्ड मेनटेन किया जा रहा है. ऐसा इसलिए किया जा रहा है जिससे जरूरत पड़ने पर सभी का बायोडेटा खंगाला जा सके.
खांसी-जुकाम और बुखार की शिकायत पर हिदायत-
डॉ. सुरेश सैनी कहते हैं कि अस्पताल में जांच के लिए आने वाले जिन मरीजों को खांसी जुकाम और बुखार की शिकायत होती है उन्हें हम दवा देकर घर में ही रहने की हिदायत देते हैं. मरीजों से अपील की जाती है की वो दवा से आराम मिलने के बाद भी कम से कम 14 दिन तक घर से बाहर नहीं निकले. उन्होंने ने कहा की ऐसे मरीजों पर नजर भी हम रखते हैं.
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फिलहाल, गांव में अभी तक एक भी कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज नहीं मिला. लॉकडाउन 5.0 और अनलॉक-1 में यहां ग्रामीण अपने रोजमर्रा के कामकाज पर लौट रहे हैं. घर से बाहर भी निकल रहे हैं. कोरोना वायरस से अभी तक यह पंचायत हालांकि सुरक्षित है लेकिन फिर भी देश और प्रदेश में कोरोना के संक्रमण को देखते हुए सतर्क और सजग रहने की जरूरत है.