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गीता जयंती पर स्वर्ण भगवत गीता के दर्शन, साल में एक बार बाहर निकाली जाती है यह गीता - 1889 में लिखी गई थी स्वर्ण भगवत गीता

जोधपुर के सिवान गेट के पास स्थित गीता भवन में श्री कृष्ण मंदिर में स्वर्ण भगवत गीता स्थापित की गई. इसे वर्ष में एक बार ही बाहर निकाला जाता है. गीता जयंती के मौके पर इसे आमजन के दर्शन के लिए रखा जाता है.

golden Gita put for exhibition on Gita Jayanti
गीता जयंती पर स्वर्ण भगवत गीता के दर्शन
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Dec 23, 2023, 4:41 PM IST

Updated : Dec 23, 2023, 11:20 PM IST

गीता जयंती पर स्वर्ण भगवत गीता के दर्शन

जोधपुर. गीता जयंती के मौके पर पूरे शहर में कई कार्यक्रम हो रहे हैं. इनमें विशेष रूप से सिवान से गेट के पास स्थित गीता भवन में भी कई आयोजन किया जा रहे हैं. गीता भवन में आज के दिन विशेष रूप से स्वर्ण भगवत गीता प्रदर्शित की जाती है. 191 साल पहले सोने की स्याही से लिखी गई इस गीता को साल में एक बार सिर्फ इसी दिन निकाला जाता है. गीता भवन स्थित भगवान चक्रधारी कृष्ण मंदिर में इसे रखकर इसकी विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. आमजन के दर्शन के लिए भी पूरे दिन रखा जाता है. 191 वर्ष बाद भी इसकी चमक बनी हुई है.

1952 में बना गीता भवन: जोधपुर का गीता भवन 1952 में बना था. सबसे पहले शिवलिंग की स्थापना की गई और 1969 में चक्रधारी भगवान श्री कृष्ण का मंदिर यहां स्थापित किया गया. चक्रधारी भगवान का पूरे जोधपुर में यह इकलौता मंदिर है. जिसके दर्शन के लिए बड़ी संख्या में लोग आते हैं. गीता प्रचार मंडल के महामंत्री राजेश लोढा ने बताया कि चक्रधारी मंदिर बनने के बाद स्वर्ण भगवत गीता यहां पर स्थापित की गई जो पूरे साल में एक बार दर्शन के निकाली जाती है. बताया जाता है कि इस गीता की रचना के लिए विशेष कागज तैयार करवाया गया था, जो आज भी सुरक्षित है.

पढ़ें: मोक्षदा एकादशी और गीता जयंती आज, बन रहा है खास योग! पूजा की तो मनोकामना होगी पूर्ण

1889 में लिखी गई थी स्वर्ण भगवत गीता: स्वर्ण भगवत गीता संवत 1889 में पंडित नारायण दास और मदन दास द्वारा लिखी गई थी. इसके लिए सोने के घोल की स्याही बनाई गई. जिससे करीब डेढ़ सौ पेज में पूरी गीता के श्लोक लिखे गए. इस स्याही का उपयोग उस समय के राजा-महाराजा के निमंत्रण पत्र में काम में ली जाती थी. इसे लिखने में भी काफी समय लगा था. लिखे जाने के बाद से इसे सुरक्षित रखा गया. जोधपुर में चक्रधारी भगवान कृष्ण का मंदिर बनने के बाद यहां रखी गई.

पढ़ें: हर्षोल्लास के साथ मनाया गया गीता जयंती महोत्सव

जन सेवा से जुड़ा है गीता भवन: जोधपुर का गीता भवन पूरी तरह से जनसेवा से जुड़ा हुआ है. इस भवन के मार्फत लोगों के लिए चिकित्सा शिविर का आयोजन किया जाता है. इसके अलावा विवेकानंद केंद्र बिहार संचालित किया जाता है. गीता प्रचार मंडल और दिव्यांग समिति की ओर से छात्रों के लिए हाईटेक लाइब्रेरी भी बनाई गई है.

गीता जयंती पर स्वर्ण भगवत गीता के दर्शन

जोधपुर. गीता जयंती के मौके पर पूरे शहर में कई कार्यक्रम हो रहे हैं. इनमें विशेष रूप से सिवान से गेट के पास स्थित गीता भवन में भी कई आयोजन किया जा रहे हैं. गीता भवन में आज के दिन विशेष रूप से स्वर्ण भगवत गीता प्रदर्शित की जाती है. 191 साल पहले सोने की स्याही से लिखी गई इस गीता को साल में एक बार सिर्फ इसी दिन निकाला जाता है. गीता भवन स्थित भगवान चक्रधारी कृष्ण मंदिर में इसे रखकर इसकी विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. आमजन के दर्शन के लिए भी पूरे दिन रखा जाता है. 191 वर्ष बाद भी इसकी चमक बनी हुई है.

1952 में बना गीता भवन: जोधपुर का गीता भवन 1952 में बना था. सबसे पहले शिवलिंग की स्थापना की गई और 1969 में चक्रधारी भगवान श्री कृष्ण का मंदिर यहां स्थापित किया गया. चक्रधारी भगवान का पूरे जोधपुर में यह इकलौता मंदिर है. जिसके दर्शन के लिए बड़ी संख्या में लोग आते हैं. गीता प्रचार मंडल के महामंत्री राजेश लोढा ने बताया कि चक्रधारी मंदिर बनने के बाद स्वर्ण भगवत गीता यहां पर स्थापित की गई जो पूरे साल में एक बार दर्शन के निकाली जाती है. बताया जाता है कि इस गीता की रचना के लिए विशेष कागज तैयार करवाया गया था, जो आज भी सुरक्षित है.

पढ़ें: मोक्षदा एकादशी और गीता जयंती आज, बन रहा है खास योग! पूजा की तो मनोकामना होगी पूर्ण

1889 में लिखी गई थी स्वर्ण भगवत गीता: स्वर्ण भगवत गीता संवत 1889 में पंडित नारायण दास और मदन दास द्वारा लिखी गई थी. इसके लिए सोने के घोल की स्याही बनाई गई. जिससे करीब डेढ़ सौ पेज में पूरी गीता के श्लोक लिखे गए. इस स्याही का उपयोग उस समय के राजा-महाराजा के निमंत्रण पत्र में काम में ली जाती थी. इसे लिखने में भी काफी समय लगा था. लिखे जाने के बाद से इसे सुरक्षित रखा गया. जोधपुर में चक्रधारी भगवान कृष्ण का मंदिर बनने के बाद यहां रखी गई.

पढ़ें: हर्षोल्लास के साथ मनाया गया गीता जयंती महोत्सव

जन सेवा से जुड़ा है गीता भवन: जोधपुर का गीता भवन पूरी तरह से जनसेवा से जुड़ा हुआ है. इस भवन के मार्फत लोगों के लिए चिकित्सा शिविर का आयोजन किया जाता है. इसके अलावा विवेकानंद केंद्र बिहार संचालित किया जाता है. गीता प्रचार मंडल और दिव्यांग समिति की ओर से छात्रों के लिए हाईटेक लाइब्रेरी भी बनाई गई है.

Last Updated : Dec 23, 2023, 11:20 PM IST
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