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जोधपुर में 22 जनवरी को मनेगी दिवाली, रामोत्सव के लिए मोयला मुस्लिम कुम्हार बना रहे महादीपक

Mahadeepak for Ramotsav, पूरे देश में राम मंदिर का जश्न मनाने की तैयारियां चल रही हैं. आगामी 22 जनवरी को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होनी है. ऐसे में जोधपुर भी अभी से ही रामोत्सव के रंग में रंगने लगा है. यहां 22 जनवरी को भव्य दिवाली मनाने के लिए विशेष तौर पर दीपक तैयार किए जा रहे हैं और इन दीपकों को मोयला मुस्लिम कुम्हार बना रहे हैं.

Mahadeepak for Ramotsav
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jan 12, 2024, 6:05 PM IST

मोयला मुस्लिम कुम्हार बना रहे महादीपक

जोधपुर. आगामी 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होनी है. इसको लेकर पूरे देश में उत्साह का माहौल है. देश भर में धार्मिक आयोजनों का सिलसिला अभी से ही शुरू हो गया है. कई जगहों पर महाआरती व पाठ होने हैं. वहीं, जोधपुर में भी इस तरह के आयोजन होने जा रहे हैं, जिसके लिए महादीपक बनाए जा रहे हैं. इन दीपकों की क्षमता 21 से 11 लीटर है, जो प्राण प्रतिष्ठा वाले दिन प्रज्ज्वलित होंगे.

मुस्लिम कुम्हार बना रहे दीपक : सबसे खास बात यह है कि इन दीपकों को मोयला मुस्लिम कुम्हार बना रहे हैं, जिन्हें सालासार सेवा संस्थान की ओर से आर्डर दिए गए हैं. वहीं, कई पीढ़ियों से मिट्टी के बर्तन व दीपक बनाने का काम करने वाले इन परिवारों को उम्मीद है कि आगे उन्हें और भी ऑर्डर मिलेंगे. हालांकि, मंदिरों में प्रज्ज्वलित होने वाले दीपकों के लिए इन परिवारों ने कोई धन राशि तय नहीं की है. ऐसे में जो कुछ भी इन्हें मिल रहा है, ये उसी में खुश हैं. पेशे कुम्हार असकर खान बताते हैं कि अगर दो दीवाली होने लगी तो उनका रोजगार वैसे भी बढ़ जाएगा. साथ ही उन्होंने कहा कि उनके दीपक गुजरात भी जा सकते हैं.

Mahadeepak for Ramotsav
रामोत्सव के लिए महादीपक बना रहे मुस्लिम कुम्हार

इसे भी पढ़ें - अजमेर की नंदिनी ने मिट्टी के दीपक पर उकेरी भगवान राम की अद्भुत तस्वीर, पीएम भी कर चुके हैं तारीफ

10 दिन में तैयार होता है दीपक : सांगसनी ग्राम के मोयला मुस्लिम कुम्हार अपने परंपरागत चाक पर ही दीपक बनाने का काम कर रहे हैं. उनके चाक में मोटर लगी है, जिससे तेजी से दीपक बन जाते हैं. समीर खान ने बताया कि बड़े दीपक को बनाने में करीब एक घंटे का वक्त लगता है. इसके बाद इसे सुखाने में दो से तीन दिन का समय लगता है. वहीं, सूखने के बाद इसे आग में पकाया जाता है और फिर दीपकों की रंगाई होती है. इस तरह से करीब 10 दिन मिट्टी के दीपक तैयार होते हैं. इधर, सालासर सेवा संस्थान के अध्यक्ष अरविन्द कच्छवाह ने बताया कि झंडों के साथ दीपक का भी मंदिरों में वितरण किया जाएगा. इसलिए बड़े स्तर पर दीपकों को बनवाया जा रहा है.

मिट्टी की परेशानी से जूझ रहे कुम्हार : मोयला जाति के मुस्लिम जोधपुर व बाड़मेर क्षेत्र में पिछले लंबे अरसे से मिट्टी के बर्तन व मटके बनाने का काम कर रहे हैं. इनके बनाए मटके का पानी बेहद ठंडा होता है, लेकिन इन दिनों इन चीजों को बनाने के लिए मिट्टी की उपलब्धता एक बड़ी चुनौती बनी हुई है. बुजुर्ग कुम्हार अशफाक बताते हैं कि मिट्टी पाली के रोहट क्षेत्र से लानी पड़ती है. वहां पर भी गांववालों ने मिट्टी निकालने पर रोक लगा दी है. ऐसे में हमारी सरकार से विनती है कि उन्हें मिट्टी लाने की अनुमति दी जाए.

मोयला मुस्लिम कुम्हार बना रहे महादीपक

जोधपुर. आगामी 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होनी है. इसको लेकर पूरे देश में उत्साह का माहौल है. देश भर में धार्मिक आयोजनों का सिलसिला अभी से ही शुरू हो गया है. कई जगहों पर महाआरती व पाठ होने हैं. वहीं, जोधपुर में भी इस तरह के आयोजन होने जा रहे हैं, जिसके लिए महादीपक बनाए जा रहे हैं. इन दीपकों की क्षमता 21 से 11 लीटर है, जो प्राण प्रतिष्ठा वाले दिन प्रज्ज्वलित होंगे.

मुस्लिम कुम्हार बना रहे दीपक : सबसे खास बात यह है कि इन दीपकों को मोयला मुस्लिम कुम्हार बना रहे हैं, जिन्हें सालासार सेवा संस्थान की ओर से आर्डर दिए गए हैं. वहीं, कई पीढ़ियों से मिट्टी के बर्तन व दीपक बनाने का काम करने वाले इन परिवारों को उम्मीद है कि आगे उन्हें और भी ऑर्डर मिलेंगे. हालांकि, मंदिरों में प्रज्ज्वलित होने वाले दीपकों के लिए इन परिवारों ने कोई धन राशि तय नहीं की है. ऐसे में जो कुछ भी इन्हें मिल रहा है, ये उसी में खुश हैं. पेशे कुम्हार असकर खान बताते हैं कि अगर दो दीवाली होने लगी तो उनका रोजगार वैसे भी बढ़ जाएगा. साथ ही उन्होंने कहा कि उनके दीपक गुजरात भी जा सकते हैं.

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रामोत्सव के लिए महादीपक बना रहे मुस्लिम कुम्हार

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10 दिन में तैयार होता है दीपक : सांगसनी ग्राम के मोयला मुस्लिम कुम्हार अपने परंपरागत चाक पर ही दीपक बनाने का काम कर रहे हैं. उनके चाक में मोटर लगी है, जिससे तेजी से दीपक बन जाते हैं. समीर खान ने बताया कि बड़े दीपक को बनाने में करीब एक घंटे का वक्त लगता है. इसके बाद इसे सुखाने में दो से तीन दिन का समय लगता है. वहीं, सूखने के बाद इसे आग में पकाया जाता है और फिर दीपकों की रंगाई होती है. इस तरह से करीब 10 दिन मिट्टी के दीपक तैयार होते हैं. इधर, सालासर सेवा संस्थान के अध्यक्ष अरविन्द कच्छवाह ने बताया कि झंडों के साथ दीपक का भी मंदिरों में वितरण किया जाएगा. इसलिए बड़े स्तर पर दीपकों को बनवाया जा रहा है.

मिट्टी की परेशानी से जूझ रहे कुम्हार : मोयला जाति के मुस्लिम जोधपुर व बाड़मेर क्षेत्र में पिछले लंबे अरसे से मिट्टी के बर्तन व मटके बनाने का काम कर रहे हैं. इनके बनाए मटके का पानी बेहद ठंडा होता है, लेकिन इन दिनों इन चीजों को बनाने के लिए मिट्टी की उपलब्धता एक बड़ी चुनौती बनी हुई है. बुजुर्ग कुम्हार अशफाक बताते हैं कि मिट्टी पाली के रोहट क्षेत्र से लानी पड़ती है. वहां पर भी गांववालों ने मिट्टी निकालने पर रोक लगा दी है. ऐसे में हमारी सरकार से विनती है कि उन्हें मिट्टी लाने की अनुमति दी जाए.

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