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जोधपुर: सामाजिक न्याय विभाग से जुडी याचिकाओं का निस्तारण, समय पूर्व नोटिस देकर नहीं हटाए किसी को भी

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Published : Mar 1, 2021, 10:42 PM IST

राजस्थान उच्च न्यायालय ने सामाजिक न्याय विभाग की ओर से लगाए गए प्रोटेक्शन ऑफिसर और आउटरीच वर्कर के मामले में दायर याचिकाओं को निस्तारित करते हुए याचिकाकर्ताओं को विभाग के समक्ष प्रतिवेदन देने के निर्देश दिए हैं. वहीं विभाग को कहा गया कि समय पूर्व नोटिस देकर नहीं किसी को हटाएं.

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सामाजिक न्याय विभाग से जुडी याचिकाओं का निस्तारण

जोधपुर. राजस्थान उच्च न्यायालय ने सामाजिक न्याय विभाग की ओर से लगाए गए प्रोटेक्शन ऑफिसर और आउटरीच वर्कर के मामले में दायर याचिकाओं को निस्तारित करते हुए याचिकाकर्ताओं को विभाग के समक्ष प्रतिवेदन देने के निर्देश दिए हैं. वहीं, विभाग को कहा कि समय पूर्व नोटिस देकर किसी को नहीं हटाएं. न्यायाधीश दिनेश मेहता की अदालत ने याचिकाओं को निस्तारित करते हुए कहा कि किसी को भी समय पूर्व नोटिस देकर नहीं हटाएं.

याचिकाकर्ता अर्जुन सिंह और अन्य की ओर से याचिकाए पेश कर बताया गया कि विभाग की ओर से उनको प्रोटेक्शन ऑफिसर और आउटरिच वर्कर के पदों पर एग्रीमेंट के आधार पर तीन साल के लिए नियुक्त किया गया था. लेकिन अब विभाग उनको पदों से हटा रहा है.

वहीं सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता अनिल गौड ने कहा कि साल 2016 में विज्ञप्ति में स्पष्ट रूप से कहा गया कि सभी को तीन साल के लिए एग्रीमेंट के आधार पर लिया जाएगा. जब उनका समय पूरा होगा तो हटाया जाएगा. हालांकि अभी विभाग इनको हटाकर प्लेसमेंट एजेंसी के जरिए नियुक्ति करना चाहता है. याचिकाकर्ता चाहे तो दुबारा प्लेसमेंट एजेंसी के जरिए आवेदन कर सकते हैं.

पढ़ें: SPECIAL : विधासभा में बजट सत्र में प्रश्नकाल के दौरान इन मंत्रियों ने दिए ये जवाब...सहकारिता मंत्री का 7 दिन में ऑनलाइन व्यवस्था ठीक होने का दावा

वहीं, दो याचिकाकर्ताओं का अभी समय पूरा नहीं हुआ था. ऐसे में उच्च न्यायालय ने कहा कि जब तक इनका समय पूरा नहीं हो, इनको नोटिस देकर नहीं हटाएं. इसके अलावा अन्य याचिकाकर्ताओं को समय पूरा होने पर हटा सकते हैं. इस पर याचिकाकर्ताओं ने कहा कि वे विभाग के समक्ष प्रतिवेदन पेश करने की छूट चाहते हैं.

जोधपुर. राजस्थान उच्च न्यायालय ने सामाजिक न्याय विभाग की ओर से लगाए गए प्रोटेक्शन ऑफिसर और आउटरीच वर्कर के मामले में दायर याचिकाओं को निस्तारित करते हुए याचिकाकर्ताओं को विभाग के समक्ष प्रतिवेदन देने के निर्देश दिए हैं. वहीं, विभाग को कहा कि समय पूर्व नोटिस देकर किसी को नहीं हटाएं. न्यायाधीश दिनेश मेहता की अदालत ने याचिकाओं को निस्तारित करते हुए कहा कि किसी को भी समय पूर्व नोटिस देकर नहीं हटाएं.

याचिकाकर्ता अर्जुन सिंह और अन्य की ओर से याचिकाए पेश कर बताया गया कि विभाग की ओर से उनको प्रोटेक्शन ऑफिसर और आउटरिच वर्कर के पदों पर एग्रीमेंट के आधार पर तीन साल के लिए नियुक्त किया गया था. लेकिन अब विभाग उनको पदों से हटा रहा है.

वहीं सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता अनिल गौड ने कहा कि साल 2016 में विज्ञप्ति में स्पष्ट रूप से कहा गया कि सभी को तीन साल के लिए एग्रीमेंट के आधार पर लिया जाएगा. जब उनका समय पूरा होगा तो हटाया जाएगा. हालांकि अभी विभाग इनको हटाकर प्लेसमेंट एजेंसी के जरिए नियुक्ति करना चाहता है. याचिकाकर्ता चाहे तो दुबारा प्लेसमेंट एजेंसी के जरिए आवेदन कर सकते हैं.

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वहीं, दो याचिकाकर्ताओं का अभी समय पूरा नहीं हुआ था. ऐसे में उच्च न्यायालय ने कहा कि जब तक इनका समय पूरा नहीं हो, इनको नोटिस देकर नहीं हटाएं. इसके अलावा अन्य याचिकाकर्ताओं को समय पूरा होने पर हटा सकते हैं. इस पर याचिकाकर्ताओं ने कहा कि वे विभाग के समक्ष प्रतिवेदन पेश करने की छूट चाहते हैं.

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