जोधपुर. जिले में शनिवार शाम को आए तेज अंधड उसके बाद बारिश ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है. खरीफ की खड़ी फसलों के खराब होने की आशंका बन गई है. हालांकि, अगले एक दो दिनों में खराब हुए फसलों के आंकलन का कार्य पूरा होग. लेकिन जिले में खरीफ की बुवाई भारी मात्रा में हुई थी. उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह बदले मौसम ने किसानो की कमर तोड़ दी है. कहा जा रहा है कि खेतों में खड़ी और काटी हुई फसल जो अभी खेत में ही है उसमें 50 से 80 फीसदी का नुकसान हुआ है. जीरा व इसबगोल में सर्वाधिक नुकसान हुआ है.
भारतीय किसान संघ के प्रदेश मंत्री तुलछाराम सिंवर का कहना है कि किसानों को बड़ा नुकसान हुआ है. इसबगोल की फसल 80 फीसदी बर्बाद हो गई है. जीरे की खड़ी फसल की गुणवत्ता भी प्रभावित हुई है. इस नुकसान की भरपायी के लिए सरकार को क्लेम व आंकलन का काम तेजी से करना होगा. बता दें कि जोधपुर जिला प्रशासन ने रविवार रात को ही किसानों से अपील की है कि वे नुकसान हुए फसल की सूचना प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत बीमा कंपनी के टोल फ्री नंबर 18002664141 पर 72 घंटे के भीतर दर्ज कराएं. इसके अलावे निर्धारित प्रारूप में नुकसान की सूचना भरकर बीमा कंपनी की ई-मेल आईडी pmfbyrajasthan@futuregenerali.in एवं kumar.shashwat90@futuregenerali.in या कृषि विभाग/बीमा कंपनी के प्रतिनिधि/बैंक में शिकायत दर्ज करवा सकते हैं.
गेहूं व प्याज की फसल को भी नुकसान : रविवार शाम को हुए मौसम में बदलाव के चलते जिले के मथानियां तिंवरी क्षेत्र में प्याज व गेहूं की फसल को भी नुकसान पहुंचा है. मथानिया के आस पास के रामपुरा भाटियान, चौपासनी चारणा, नेवरा रोड, किरमसरिया, नेवरा गांव, तेजानगर, उम्मेदनगर, कोतवाली, गोपासरिया, खुडियाला समेत कई गांवों में बारिश से जीरे व इसबगोल की फसलें प्रभावित हुई है. इसके अलावा क्षेत्र में गेहूं व प्याज की फसल को भी नुकसान पहुंचा है.
छह लाख हेक्टेयर में खरीफ की फसल : जिले में इस बार खरीफ की फसल की बुवाई छह लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में हुई है. इसमें सबसे ज्यादा सरसों की दो लाख दो हजार हेक्टेयर क्षेत्र में हुई है. इसके अलावा एक लाख 65 हजार हेक्टेयर में जीरा, 32,700 हेक्टेयर में इसबगोल, 48,700 हेक्टेयर में चना, 69, 800 में गेहूं, 16, 800 में तारामीरा, 10,000 में मेथी, 25 हजार हैक्टेयर में अरंडी, दस हजार हेक्टेयर में लहसुन, 17 हजार हेक्टेयर में प्याज व अन्य जिंस की 17, 800 हेक्टेयर में बुवाई हुई है.