बिलाड़ा (जोधपुर). पीपाड़ शहर में नगर पालिका क्षेत्र का पहला कोरोना पॉजिटिव रोगी, जिसकी निगेटिव रिपोर्ट आने और स्वस्थ्य होने पर अस्पताल से डिस्चार्ज होकर घर लौटने के एक दिन बाद ही अचनाक उसकी मौत हो गई. वहीं स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना से निगेटिव हुए व्यक्ति की प्राकृतिक मौत बताने पर परिजनों ने पीपीई किट पहनकर अंतिम संस्कार कर दिया. मृतक की पत्नी और दो बेटे, जिनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव होने के कारण जोधपुर जिला अस्पताल में क्वॉरेंटाइन होने के कारण अंतिम संस्कार में शामिल भी नहीं हो पाए.
बता दें कि 18 मई को मुम्बई से लौटे पीपाड़ शहर निवासी, प्रवासी शंकरलाल की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद उन्हें जोधपुर के कोविड केयर सेंटर में भर्ती किया गया. जहां बीपी की शिकायत के बाद एममीएच रेफर किया था. इधर, 22 मई को उनकी पत्नी और दो बेटे व इनको मुंबई से लाने वाले चालक तथा उनके परिवार के तीन सदस्य सहित कोरोना सैंपल पॉजिटिव आने पर जोधपुर अस्पताल में क्वॉरेटांइन किया हुआ है. 25 मई को शंकरलाल की रिपोर्ट निगेटिव आने पर उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया. जो 26 मई मंगलवार को अपने घर पीपाड़ शहर पहुंचे. बताया जा रहा कि घर में अकेलेपन से सदमे में थे और बुधवार को उनकी अचानक मौत हो गई.
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क्षेत्रवासियों का कहना है कि मृतक की मृत्यु बुधवार काे तबीयत बिगड़ने से हार्ट अटैक और स्थानीय चिकित्सा अधिकारियाें की लापरवाही से हुई. उन्होंने बताया कि बुधवार दाेपहर 3 बजे तबियत बिगड़ने पर एंबुलेंस और स्थानीय मेडिकल टीम को बुलाने के लिए फोन किए, लेकिन न एंबुलेंस आई और न ही मेडिकल टीम. चार बार फोन करने के बाद शाम 6 बजे मेडिकल टीम उनके घर पहुंची. लेकिन तब तक शंकरलाल दम तोड़ चुका था. जाेधपुर में भर्ती उनकी पत्नी और बच्चे कोरोना संक्रमित होने के कारण वे लोग अंतिम दर्शन भी नहीं कर पाए. उनके साले चुन्नीलाल ने बताया कि हमने एंबुलेंस काे फोन किया तो जवाब मिला कि 3 घंटे तक काेई एंबुलेंस उपलब्ध नहीं होगी. फिर स्थानीय
सीएचसी में फोन कर मरीज के हालत की जानकारी दी. लेकिन 4 काॅल के बावजूद काेई नहीं आया. इतने में परिजन उन्हें अस्पताल ले जाने की तैयारी करने लगे, लेकिन तब तक उनका निधन हाे गया.
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जानकारी यह भी मिल रही है कि मृतक कोरोना सक्रमण से ठीक होकर घर लौटने के बाद से अपने में ही खोए हुए थे. बुधवार दोपहर बीवी-बच्चाें काे याद कर चिल्लाने लगे, फिर बेहोश हो गए. पीपाड़ सिटी सीएचसी के चिकित्सा प्रभारी डॉ. सुरेंद्र सिंह परिहार का कहना है कि एकमात्र एंबुलेंस 108 काेराेना राेगियाें में व्यस्त थी. वैसे भी उसे बुलाना उनके हाथ में नहीं था.
संवाददाता की पड़ताल में यह बात आई सामने...
पीपाड़ सीएचसी में एक एंबुलेंस के अलावा निजी एंबुलेंस भी तैनात की हुई है. अगर एंबुलेंस व्यस्त थी ताे इन दाेनाें एंबुलेंस का उपयाेग कर रोगी को अस्पताल ले जाने से उसकी जान बचाई जा सकती थी. रेस्पांस टीम भी 3 घंटे की देरी से पंहुची, तब तक रोगी दम तोड़ चुका था. ब्लाॅक चिकित्सा अधिकारी डाॅ. जितेंद्र सिंह चारण ने संवाददाता को बताया कि मृतक की स्वास्थ्य जांच के बाद डिस्चार्ज किया गया था. दो दिन बाद जिन परस्थियों में मौत हुई, वो एक प्राकृतिक मौत मानी जा सकती है. प्रशासनिक अधिकारियों की ओर से कोई संशय और आदेश नहीं मिलने पर बिना पोस्टमार्टम के सुरक्षित तरीके से परिजनों की ओर से अंतिम संस्कार कर दिया गया. जहां तक रोगी की सुविधा का सवाल है. घटना के समय एंबुलेंस में अन्य जगह पर आए कोरोना पॉजिटिव मरीज बिठाए जा चुके थे. ऐसी स्थिति का सामना पहली बार करना पड़ा है.