जोधपुर. जोधपुर शहर विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस और भाजपा ने अपने पुराने चेहरों पर दांव खेला है. कांग्रेस ने यहां पर मनीषा पंवार को टिकट दिया है तो भाजपा ने अतुल भंसाली पर भरोसा जताया है. मनीषा ओबीसी वर्ग से आती हैं तो अतुल महाजन वर्ग से हैं. दोनों वर्ग अपने-अपने सियासी वजूद के लिए संघर्ष करेंगे, क्योंकि गत बार कांग्रेस ने महाजन को हटाकर ओबीसी को चुनावी मैदान में उतारा था और पार्टी को यहां जीत मिली थी. वहीं, अगर बात भाजपा की करें तो एक बार फिर से पार्टी ने महाजन पर दांव खेला है.
कहने को यहां राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी का भी उम्मीदवार मैदान में है, लेकिन वो कितना असरदार साबित होगा इसको लेकर फिलहाल कुछ भी कहा नहीं जा सकता है. अगर असरदार हुए तो नुकसान दोनों तरफ होगा. ऐसे में इस बार मुकाबला काफी रोचक होने की संभावना है. कांग्रेस ने मौजूदा विधायक मनीषा पंवार पर उतारा है तो भाजपा ने पिछली बार हारे अतुल भंसाली पर फिर से भरोसा व्यक्त किया है. साल 2003, 2008 और 2013 में यहां से भाजपा जीती थी. वहीं, 2018 से पहले 1998 में कांग्रेस को जीत मिली थी.
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जोधपुर शहर सीट के मुद्दे : भीतरी शहर की सड़कें, सीवरेज और यातायात व्यवस्था पूरी तरह से पस्त है, जिसका नुकसान व्यवसासियों को उठाना पड़ रहा है. साथ ही पर्यटन पर भी इसका प्रभाव पड़ रहा है. संकरी गलियों में पोल लेस बिजली भी इस बार चुनावी मुद्दा है.
मनीषा का मजबूत पक्ष : मनीषा पंवार रावणा राजपूत हैं, जो ओबीसी में आते हैं. इनकी क्षेत्र में अच्छी खासी संख्या है और ये वोटर्स यहां हमेशा निर्णायक की भूमिका निभाते हैं. इसके अलावा अल्पसंख्यक और अनुसूचित जाति के परंपरागत मतदाता भी मजबूत स्थिति में हैं. साथ ही सरदारपुरा से ये क्षेत्र लगा है. ऐसे में सीएम गहलोत की मौजूदगी का असर भी यहां देखने को मिल सकता है.
मनीषा का कमजोर पक्ष : पिछली बार ब्राह्मण वर्ग के मतदाताओं ने मनीषा का समर्थन किया था, लेकिन सूरसागर से कांग्रेस ने इस बार भी ब्राह्मण को मौका नहीं दिया है. इससे इस वर्ग के मतदाता कांग्रेस से नाराज बताए जा रहे हैं. इसके अलावा पिछले साल ईद पर हुए दंगों में पीड़ितों को आरोपी बनाए जाने और मुआवजा वितरण को लेकर भी ब्राह्मण नाराज हैं.
अतुल भंसाली का मजबूत पक्ष : पिछली बार की हार की सहानुभूति में इस बार महाजन वर्ग के मतदाता कुछ अधिक एकजुट नजर आ रहे हैं. साथ ही यह क्षेत्र महाजन बहुल भी है. वहीं, ब्राह्मणों समाज की कांग्रेस से दूरी का भंसाली को लाभ हो सकता है.
अतुल भंसाली का कमजोर पक्ष : भाजपा से भी इस बार इस सीट पर कई ओबीसी के नेता दावेदार थे, लेकिन पार्टी ने उनको दरकिनार कर अतुल भंसाली पर भरोसा जताया. ऐसे में नाराज टिकट के दावेदार पार्टी के लिए मुसीबत बन सकते हैं. इससे ओबीसी मतदाता और नेताओं की नाराजगी भाजपा को आगे भारी पड़ सकती है.
पंवार वर्सेस भंसाली : 43 साल की मनीषा पंवार क्षेत्र की मौजूदा विधायक हैं. इससे पहले वो पार्षद थीं और महिला कांग्रेस की जिलाध्यक्ष भी रह चुकी हैं. वहीं, क्षेत्र की सियासत में सक्रियता के साथ ही उनके अनुभव में भी बढ़ोतरी हुई है. वहीं, 53 साल के अतुल भंसाली को अपने चाचा व पूर्व विधायक कैलाश भंसाली की विरासत में यह सीट मिली है. फिलहाल उनके पास संगठन में कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी नहीं है. उन्हें कुछ नेताओं की नजदीकी का फायदा मिला है और पिछले चुनाव में हारने के बावजूद भी वो क्षेत्र में सक्रिय रहे थे.
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सीट की संरचना और मतदाता : जोधपुर शहर विधानसभा क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या एक लाख 99 हजार 577 मतदाता है. इसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 1 लाख 730 और महिला मतदाताओं की संख्या 98 हजार 830 है. इसके अलावा 17 थर्ड जेंडर मतदाता हैं. बात अगर जातीय समीकरण की करें तो यहां अनुमानित 38 हजार महाजन और बनिया, 32 हजार अल्पसंख्यक, 21 हजार रावणा राजपूत, 18 हजार ब्राह्मण, 15 हजार कुम्हार, 8 से 10 हजार घांची, 8 हजार जाट, सोनी 5 हजार, सैन 3 हजार, माली 6 हजार, दर्जी 3 हजार, गुर्जर 5 हजार और करीब 18 से 20 हजार अनुसूचित जाति के मतदाता हैं.