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जोधपुर: एम्स के 3 डॉक्टर्स के खिलाफ मामला दर्ज, प्रताड़ित करने का है आरोप

जोधपुर की बासनी थाना पुलिस ने एम्स में कार्यरत एक नर्सिंग अधिकारी की पत्नी को कोरोना काल में उपचार नहीं मिलने पर गर्भपात के मामले में एम्स के ही 3 डॉक्टर्स के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है. एम्स की ओर से गठित जांच कमेटी के डाक्टर्स से मिली प्रताड़ना के बाद नर्सिंग अधिकारी और उसकी पत्नी ने बासनी थाने में शिकायत दी थी.

Case registered , Doctors of AIIMS, जोधपुर न्यूज़
जोधपुर एम्स के 3 डॉक्टरों के खिलाफ मामला दर्ज
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Published : Jun 27, 2020, 3:58 AM IST

Updated : Jun 27, 2020, 4:13 AM IST

जोधपुर. जिले की बासनी थाना पुलिस ने एम्स में कार्यरत एक नर्सिंग अधिकारी की पत्नी को कोरोना काल में उपचार नहीं मिलने पर गर्भपात के मामले में प्रारंभिक जांच के बाद एम्स के गायनिक विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. प्रतिभा सिंह, रेजिडेंट डॉक्टर खुशबू और जांच कमेटी के डॉक्टर एमके गर्ग के साथ ही एक अन्य व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है. पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 315 और धारा 34 में ये मामला दर्ज किया है. इसके तहत अधिकतम 10 साल तक की सजा का प्रावधान है. एम्स की ओर से गठित जांच कमेटी के डाक्टर्स से मिली प्रताड़ना के बाद नर्सिंग अधिकारी और उसकी पत्नी ने बासनी थाने में शिकायत दी थी.

पढ़ें: ब्यूरोक्रेसी से काम नहीं चलेगा, मंत्रिमंडल सब कमेटी के साथ मीटिंग होः गुर्जर संघर्ष समिति

मामले में बताया जा रहा है कि नर्सिंग अधिकारी की पत्नी जब गर्भवती थी, तब 17 मई को उन्हें कुछ समस्या हुई. इसके बाद पर नर्सिंग अधिकारी ने पहले डॉक्टर से बात करने का प्रयास किया. इसके बाद वो अपनी पत्नी को लेकर एम्स के इमरजेंसी वार्ड में पहुंचे. लेकिन, वहां मौजूद गायनिक विभाग की डॉक्टर ने कहा कि उन्हें विभागाध्यक्ष की ओर से आदेश मिला है कि जो लोग कोरोना के कंटेनमेंट जोन में रहते हैं, उनका उपचार नहीं करना है. ऐसे में गायनिक विभाग की डॉक्टर ने मदद नहीं की और कहीं बाहर चले जाने के लिए कहा. उसके बाद नर्सिंग अधिकारी अपनी पत्नी को निजी अस्पताल में लेकर गए, जहां उनकी पत्नी का गर्भपात हो गया.

इसके बाद नर्सिंग अधिकारी के समर्थन में एम्स के नर्सिंग वेलफेयर एसोसिएशन ने मामले की जांच के लिए निवेदन किया और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की. लेकिन, करीब एक महीने तक इस मामले को टाला जाता रहा. नर्सिंग अधिकारी का आरोप है कि इस दौरान कई बार उन्हें बुलाकर प्रताड़ित किया गया. जब उन्होंने अपने मामले की शिकायत हर स्तर पर की तो एम्स प्रबंधन ने जांच के आदेश दिए. इसमें 5 डॉक्टर्स की कमेटी बनाई गई. इसमें एक एम्स के बाहर के डॉक्टर को भी शामिल किया गया.

पढ़ें: प्रदेश में 364 नए पॉजिटिव केस, 1 की मौत, कुल आंकड़ा 16660

वहीं, पीड़िता ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि जब वो 16 जून को जांच कमेटी के सामने पहुंची तो पहले उनके मोबाइल फोन रखवाए गए और उनसे लगातार सवाल पूछे गए. उस समय दोषी डॉक्टर भी मौजूद रहीं. लेकिन, उससे किसी तरह का सवाल नहीं पूछा गया.

नर्सिंग अधिकारी और उनकी पत्नी दोनों दिव्यांग हैं, इनकी एक संतान है. पीड़िता का पहले भी एक बार गर्भपात हो चुका है. ऐसे में कमेटी के डॉक्टर्स ने कहा कि जब पहले गर्भपात हुआ तो आपने डॉक्टर्स को क्यों नहीं फंसाया. बताया जा रहा है कि यहां तक कहा गया कि दिव्यांग हो, इसलिए संतान नहीं होगी. इससे आहत होकर पीड़िता के आत्महत्या के प्रयास की बात भी सामने आई थी. इसके बाद दंपति ने बासनी थाने में शिकायत की थी. अब प्रारंभिक जांच के बाद मामला दर्ज किया गया है. बासनी थाने की उपनिरीक्षक सुनीता डूडी मामले में जांच अधिकारी हैं.

जोधपुर. जिले की बासनी थाना पुलिस ने एम्स में कार्यरत एक नर्सिंग अधिकारी की पत्नी को कोरोना काल में उपचार नहीं मिलने पर गर्भपात के मामले में प्रारंभिक जांच के बाद एम्स के गायनिक विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. प्रतिभा सिंह, रेजिडेंट डॉक्टर खुशबू और जांच कमेटी के डॉक्टर एमके गर्ग के साथ ही एक अन्य व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है. पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 315 और धारा 34 में ये मामला दर्ज किया है. इसके तहत अधिकतम 10 साल तक की सजा का प्रावधान है. एम्स की ओर से गठित जांच कमेटी के डाक्टर्स से मिली प्रताड़ना के बाद नर्सिंग अधिकारी और उसकी पत्नी ने बासनी थाने में शिकायत दी थी.

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मामले में बताया जा रहा है कि नर्सिंग अधिकारी की पत्नी जब गर्भवती थी, तब 17 मई को उन्हें कुछ समस्या हुई. इसके बाद पर नर्सिंग अधिकारी ने पहले डॉक्टर से बात करने का प्रयास किया. इसके बाद वो अपनी पत्नी को लेकर एम्स के इमरजेंसी वार्ड में पहुंचे. लेकिन, वहां मौजूद गायनिक विभाग की डॉक्टर ने कहा कि उन्हें विभागाध्यक्ष की ओर से आदेश मिला है कि जो लोग कोरोना के कंटेनमेंट जोन में रहते हैं, उनका उपचार नहीं करना है. ऐसे में गायनिक विभाग की डॉक्टर ने मदद नहीं की और कहीं बाहर चले जाने के लिए कहा. उसके बाद नर्सिंग अधिकारी अपनी पत्नी को निजी अस्पताल में लेकर गए, जहां उनकी पत्नी का गर्भपात हो गया.

इसके बाद नर्सिंग अधिकारी के समर्थन में एम्स के नर्सिंग वेलफेयर एसोसिएशन ने मामले की जांच के लिए निवेदन किया और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की. लेकिन, करीब एक महीने तक इस मामले को टाला जाता रहा. नर्सिंग अधिकारी का आरोप है कि इस दौरान कई बार उन्हें बुलाकर प्रताड़ित किया गया. जब उन्होंने अपने मामले की शिकायत हर स्तर पर की तो एम्स प्रबंधन ने जांच के आदेश दिए. इसमें 5 डॉक्टर्स की कमेटी बनाई गई. इसमें एक एम्स के बाहर के डॉक्टर को भी शामिल किया गया.

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वहीं, पीड़िता ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि जब वो 16 जून को जांच कमेटी के सामने पहुंची तो पहले उनके मोबाइल फोन रखवाए गए और उनसे लगातार सवाल पूछे गए. उस समय दोषी डॉक्टर भी मौजूद रहीं. लेकिन, उससे किसी तरह का सवाल नहीं पूछा गया.

नर्सिंग अधिकारी और उनकी पत्नी दोनों दिव्यांग हैं, इनकी एक संतान है. पीड़िता का पहले भी एक बार गर्भपात हो चुका है. ऐसे में कमेटी के डॉक्टर्स ने कहा कि जब पहले गर्भपात हुआ तो आपने डॉक्टर्स को क्यों नहीं फंसाया. बताया जा रहा है कि यहां तक कहा गया कि दिव्यांग हो, इसलिए संतान नहीं होगी. इससे आहत होकर पीड़िता के आत्महत्या के प्रयास की बात भी सामने आई थी. इसके बाद दंपति ने बासनी थाने में शिकायत की थी. अब प्रारंभिक जांच के बाद मामला दर्ज किया गया है. बासनी थाने की उपनिरीक्षक सुनीता डूडी मामले में जांच अधिकारी हैं.

Last Updated : Jun 27, 2020, 4:13 AM IST
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