भोपालगढ़ (जोधपुर). कोरोना वायरस के संक्रमण से इंसानी जिंदगी को बचाने के लिए केन्द्र और राज्य सरकार हर संभव प्रयास में जुटी है. वायरस के खौफ के चलते लोग घरों में कैद हैं. कार्यालयों में अवकाश घोषित होने के बाद कोई घर में टीवी देख कर समय काट रहा है तो कोई बच्चों के साथ कैरम बोर्ड खेल रहा है. संकट की इस घड़ी में विभिन्न विभागों की महिला कार्मिक संकट की जांबाज बन दोहरी जिम्मेदारी का निर्वहन कर रही है.
वहीं, अपने परिवार और बच्चों से दूर रहकर ये कार्मिक लोगों को संक्रमण से बचाने की कवायद में जुटी है. जिनके जज्बे को सलाम है. एएनएम, आशा और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता मुन्नीदेवी गोदारा, गोमती कुड़िया, सेठु गोदारा, सन्तोष, सुवादेवी गोदारा, बेबी, कमला सहित कई कार्मिकों की दिनचर्या को लेकर जब ईटीवी भारत ने दूरभाष पर इनसे बात की तो कुछ कार्मिक भावुक हो गई.
इस दौरान उन्होंने बताया कि सुबह चार बजे उठकर पति और बच्चों का खाना तैयार करती है. खुद के लिए दोपहर का भोजन टिफिन में लेकर निकल जाती है. कोरोना संकट से जूझने को ये जब सुबह घर से निकलती है तो बच्चे ये कहते हुए भावुक हो जाते है कि मम्मी अपना ख्याल रखना.
मानदेय कम, फिर भी पूरी तरह से जुटी सेवा में-
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं आशा सहयोगिनियों को पर्याप्त मानदेय नहीं मिल रहा है. कई बार विरोध प्रदर्शन भी कर चुकी है, लेकिन इस संकट की घड़ी में मानदेय और परिवार की बिना फीक्र किए लोगों की सेवा में जुटी हुई है.
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यहां भोपालगढ ब्लॉक में 200 आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और 203 आशा सहयोगिनी है. जो देश और समाज हित के लिए अपना फर्ज निभा रही है. घर-घर जाकर लोगों को जागरुक करने के साथ ही बाहर से आने वाले लोगों की निगरानी और चिकित्सा कार्मिकों की टीम के साथ लोगों की जांच में भी सहयोग कर रही है. कुछ आंगनवाड़ी और आशा कार्यकर्ता लोगों की सुरक्षा के लिए घर पर शाम को मास्क भी तैयार कर रही है.