झुंझुनू. जिले की मिट्टी अपने कण-कण में अदम्य साहस और वीरता की कहानियों को समेटे हुए हैं. कई ऐतिहासिक युद्ध में झुंझुनू के वीरों ने भाग लिया और अपने पराक्रम का लोहा मनवाया.
माण्डण युद्ध जो 6 जून 1775 को हरियाणा के रेवाड़ी जिले में माण्डण नामक स्थान पर हुआ था. माण्डण का ऐतिहासिक युद्ध शेखावाटी और खासकर झुंझुनू के इतिहास का महत्वपूर्ण युद्ध रहा है. माण्डण युद्ध में झुंझुनू के लगभग सभी शेखावतों के पूर्वज जयपुर और भरतपुर की सेनाओं के साथ मिलकर दिल्ली की शाही सेना के बीच माण्डण युद्ध 6 जून 1775 को माण्डण नामक जगह पर हुआ था.
माण्डण युद्ध में झुंझुनू के शेखावतों की सेना दिल्ली की शाही सेना उस समय के उदयमान शक्ति फरुखनगर की ब्लोच सेना और रेवाड़ी की मित्र सेन अहीर के नेतृत्व की अहीर सेना से लड़े. इस युद्ध में झुंझुनू की शेखावत सेना का नेतृत्व नवलगढ़ के संस्थापक ठाकुर नवल सिंह जी ने किया.
पढ़ें: आबकारी विभाग की बड़ी कार्रवाई...40 लाख की अवैध शराब बरामद, चालक गिरफ्तार
इस युद्ध में शेखावतों की विजय हुई और भागती हुई शाही सेना से बिसाऊ के ठाकुर सूरजमल और सुल्ताना के ठाकुर हाथीरामजी ने बहुत सी सैन्य सामग्री और तोफे लूट ली थी जो आज भी कई ऐतिहासिक जगहों और सरकारी कार्यालय में रखी हुई है. इस युद्ध में शूर सिंह चिराणा और उनके पुत्र पहाड़ सिंह चिराणा, ठाकुर नवल सिंह के पुत्र कु.लाल सिंह सहित उस समय के झुन्झुनू और उदयपुरवाटी के अनेक लाल अपनी मातृभूमि की रक्षार्थ काम आए थे. आज भी मांडण में उन वीरों पर छतरियां बनी हुई है जो उन झुंझुनू के लालों की वीरता और अदम्य साहस का प्रमाण है.
6 जून को मनाया जाएगा स्मृति दिवस
माण्डण युद्ध के वीरों को याद करते हुए जिले में 6 जून स्मृति दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस बार कोरोना काल के चलते इसे 6 जून को वर्चुअल संवाद के जरिए मांडण युद्ध के समय की राजनैतिक पृष्ठभूमि से लेकर युद्ध का वर्णन और उस युद्ध में लड़ने वाले वीरों को याद किया जाएगा.