जोधपुर: राजस्थान हाईकोर्ट ने पूर्व मंत्री रामलाल जाट व उनके रिश्तेदारों के खिलाफ दर्ज एफआईआर में निष्पक्ष जंच नहीं होने के आरोपों के साथ पेश याचिका में पूरा मामला सीबीआई को सौंपने के आदेश दिए हैं. जस्टिस फरजंद अली की बेंच ने इस मामले में कहा कि निष्पक्षता और निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने और न्याय के उद्देश्यों को सुरक्षित करने के लिए दोनों एफआईआर की जांच सीबीआई को सौंपना आवश्यक है. लगातार देरी, अदालत के आदेशों का पालन न करने और राजनीतिक रूप से जुड़े व्यक्तियों के स्पष्ट प्रभाव के कारण राजस्थान पुलिस की निष्पक्षता प्रभावित हो रही है.
राजनीतिक प्रभाव और जांच में हेरफेर करने के स्पष्ट प्रयासों को देखते हुए, केवल सीबीआई जैसी स्वतंत्र और विश्वसनीय एजेंसी ही निष्पक्ष और पारदर्शी जांच सुनिश्चित कर सकती है. न्यायालय को यह भी लगता है कि समाज में यह संदेश गलत नहीं जाना चाहिए कि कानून झुक जाता है या हार मान लेता है. सत्ता, प्रभाव या ताकतवर लोगों के सामने न्याय नहीं हो पाता और न्याय अधूरा रह जाता है. इसके साथ ही याचिकाकर्ता परमेश्वर जोशी की ओर से पेश याचिका को स्वीकार किया गया.
कोर्ट ने इस मामले में याचिका को स्वीकार करते हुए निर्देश दिए हैं कि (क) एफआईआर संख्या 234/2024 पी.एस. करेड़ा और एफआईआर संख्या 202/2024 पी.एस. करेड़ा, जिला भीलवाड़ा, राजस्थान को मामले में आगे की जांच के लिए सीबीआई को स्थानांतरित करने का निर्देश दिया जाता है. (ख) सीबीआई के निदेशक को इन दोनों मामलों में नए सिरे से जांच करने के लिए एक जिम्मेदार अधिकारी को नियुक्त करने का निर्देश दिया है. (ग) पुलिस अधीक्षक, भीलवाड़ा राज्य अधिकारियों के माध्यम से सीबीआई कार्यालय को संबंधित फाइलें और पूरा रिकॉर्ड भेजने की व्यवस्था करेंगे. (घ) सीबीआई के नवनियुक्त अधिकारियों को केस डायरी पुलिस महानिदेशक, जयपुर, राजस्थान के कार्यालय से प्राप्त होगी. (ङ) सीबीआई के निदेशक सभी मामलों में निष्पक्ष, निष्पक्ष और त्वरित जांच सुनिश्चित करेंगे और उसके बाद बिना किसी अनावश्यक देरी के संबंधित न्यायालय में रिपोर्ट प्रस्तुत की जा सकेगी. भारत सरकार के डिप्टी सॉलिसीटर जनरल मुकेश राजपुरोहित भी सीबीआई के अधिकारियों को आदेश के बारे में सूचित करेंगे.
दरअसल, पूरा मामला राजसमंद में माइनिंग को लेकर बताया जा रहा है. परिवादी परमेश्वर जोशी के अधिवक्ता आर. आर. साहरण ने बताया कि परिवादी की माइनिंग में पूर्व मंत्री रामलाल जाट के साथ भागीदारी थी. पूर्व मंत्री ने इस मामले में माइनिंग को अपने रिश्तेदारों के नाम शेयर बेचने का दबाव बनाया था. जिसके बाद परिवादी परमेश्वर जोशी ने शेयर पूर्व मंत्री जाट के कहने पर उसके रिश्तेदारों के नाम ट्रांसफर कर दिए, लेकिन इसके बदले उसे जो रकम मिलनी थी वो नहीं दी गई.
ऐसे में परिवादी ने भीलवाड़ा के करेड़ा थाने में मुकदमा दर्ज करवाया, लेकिन उसमें नकारात्मक रिपोर्ट के साथ पुलिस ने फाइल बंद कर दी. परिवादी ने फिर से थाने में जाकर मुकदमा दर्ज कराने का प्रयास किया तो मुकदमा दर्ज नहीं किया गया. बाद में इस मामले में कोर्ट में इस्तगासे के जरिए मुकदमा दर्ज कराया गया, जिसमें निष्पक्ष जांच नहीं होने के आरोपों के साथ परिवादी ने अपने अधिवक्ता साहरण के जरिए विविध आपराधिक याचिका हाईकोर्ट में पेश की. हाईकोर्ट ने पूरे मामले की सुनवाई के बाद निस्तारित करते हुए इसकी जांच सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया है.
रामलाल जाट ने क्या कहा ? : इस मामले में पूर्व राजस्व मंत्री रामलाल जाट ने कहा कि न्यायलय ने जो आदेश दिए हैं, वह सर्वोपरि है. देश की सबसे बड़ी एजेंसी उन पर लगाए गए आरोपों की जांच करेगी तो निश्चित रूप से सच्चाई सभी के सामने आ जाएगी. यह राजनीतिक मैटर है. मेरे साथ राजनीति की जा रही है, जांच के बाद सब स्थिति स्पष्ट हो जाएगी.