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कृषि ग्राह्य परीक्षण केंद्र का दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर संपन्न, गुणवत्तापूर्ण उत्पादन की दी जानकारी - कृषि ग्राह्य परीक्षण केंद्र

कृषि ग्राह्य परीक्षण केन्द्र एटीसी आबूसर में कृषि विभाग के ऑफिसर्स स्टाफ का दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन समारोहपूर्वक हुआ. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जिला कोषाधिकारी दीपिका सोहू रही. कार्यक्रम की अध्यक्षता सामाजिक न्याय व अधिकारिता विभाग के सहायक निदेशक नरेश बारोठिया ने की.

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कृषि ग्राह्य परीक्षण केंद्र का दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर संपन्न
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Published : Feb 24, 2021, 7:28 PM IST

झुंझुनू. कृषि ग्राह्य परीक्षण केन्द्र एटीसी आबूसर में कृषि विभाग के ऑफिसर्स स्टाफ का दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन समारोहपूर्वक हुआ. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जिला कोषाधिकारी दीपिका सोहू रही. कार्यक्रम की अध्यक्षता सामाजिक न्याय व अधिकारिता विभाग के सहायक निदेशक नरेश बारोठिया ने की. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा और तिलहन योजना अन्तर्गतएटीसी के शस्य वैज्ञानिक एग्रोनोमिस्टद्ध सुनील कुमार महला ने बताया कि इस प्रशिक्षण में झुंझुनू जिले के बीस अधिकारियों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा व तिलहन योजना अन्तर्गत दो दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया.

इस प्रशिक्षण में रबी व खरीफ की तिलहन, दलहन व अनाज वाली फसलों के उत्पादन के लिए अच्छी गुणवतापूर्वक किस्म का चयन, समय पर बुवाई, बुवाई से पूर्व फंफूदनाशी, कीटनाशी व राइजोबियम से बीज उपचार करने की प्रक्रिया की जानकारी दी. इसी प्रकार कीट वैज्ञानिक डॉ. अभिमन्यु सिंह शेखावत ने फसलों में भूमि के अंदर बुवाई के बाद जडों में लगने वाले कीडों व बीमारियों तथा खडी फसल में लगने वाले विभिन्न कीडों व रोगों से बचाव व उपचार की जानकारी दी.

पढ़ें: Rajasthan Budget 2021 : सीएम अशोक गहलोत ने पेश किया बजट, क्या रखा खास पढ़िये एक नजर में

कम लागत के साथ मिलता है गुणवत्तापूर्ण उत्पादन

कृषि अनुसंधान केन्द्र के उप निदेशक उत्तम सिंह सिलायच ने बताया कि फसल उत्पादन में न्यूनतम रासायनिक कीटनाशकों का कीडों व रोगों की रोकथाम के लिए उपयोग करने से लागत ही कम नहीं आती, बल्कि पर्यावरण के साथ-साथ गुणवता का उत्पाद मिलता है. इसके अतिरिक्त कीटनाशी रासायन का चयन, मात्रा, छिड़काव करने का समय और छिड़काव करने का तरीका बहुत ही महत्वपूर्ण है. कीटनाशी रासायनों का फसलों पर छिड़काव करते समय आंखों पर चश्में, चेहरे पर मास्क, हाथों में दस्ताने पहनकर ही करना चाहिए और हवा के विपरित छिड़काव नहीं करना चाहिए. एटीसी के पौध रोग विज्ञान के विशेषज्ञ डॉ. शीशराम ढीकवाल ने सरसों में सफेद रोली व्हाइट रस्ट रोग के उपचार के लिए में को जेब का प्रयोग किया जाना चाहिए. चने में काली जड रूटरोट के उपचार के लिए बीजोपचारित करके बोना चाहिए. इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का कृषि पर्यवेक्षक राजेन्द्र सिंह ने संचालन किया.

झुंझुनू. कृषि ग्राह्य परीक्षण केन्द्र एटीसी आबूसर में कृषि विभाग के ऑफिसर्स स्टाफ का दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन समारोहपूर्वक हुआ. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जिला कोषाधिकारी दीपिका सोहू रही. कार्यक्रम की अध्यक्षता सामाजिक न्याय व अधिकारिता विभाग के सहायक निदेशक नरेश बारोठिया ने की. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा और तिलहन योजना अन्तर्गतएटीसी के शस्य वैज्ञानिक एग्रोनोमिस्टद्ध सुनील कुमार महला ने बताया कि इस प्रशिक्षण में झुंझुनू जिले के बीस अधिकारियों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा व तिलहन योजना अन्तर्गत दो दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया.

इस प्रशिक्षण में रबी व खरीफ की तिलहन, दलहन व अनाज वाली फसलों के उत्पादन के लिए अच्छी गुणवतापूर्वक किस्म का चयन, समय पर बुवाई, बुवाई से पूर्व फंफूदनाशी, कीटनाशी व राइजोबियम से बीज उपचार करने की प्रक्रिया की जानकारी दी. इसी प्रकार कीट वैज्ञानिक डॉ. अभिमन्यु सिंह शेखावत ने फसलों में भूमि के अंदर बुवाई के बाद जडों में लगने वाले कीडों व बीमारियों तथा खडी फसल में लगने वाले विभिन्न कीडों व रोगों से बचाव व उपचार की जानकारी दी.

पढ़ें: Rajasthan Budget 2021 : सीएम अशोक गहलोत ने पेश किया बजट, क्या रखा खास पढ़िये एक नजर में

कम लागत के साथ मिलता है गुणवत्तापूर्ण उत्पादन

कृषि अनुसंधान केन्द्र के उप निदेशक उत्तम सिंह सिलायच ने बताया कि फसल उत्पादन में न्यूनतम रासायनिक कीटनाशकों का कीडों व रोगों की रोकथाम के लिए उपयोग करने से लागत ही कम नहीं आती, बल्कि पर्यावरण के साथ-साथ गुणवता का उत्पाद मिलता है. इसके अतिरिक्त कीटनाशी रासायन का चयन, मात्रा, छिड़काव करने का समय और छिड़काव करने का तरीका बहुत ही महत्वपूर्ण है. कीटनाशी रासायनों का फसलों पर छिड़काव करते समय आंखों पर चश्में, चेहरे पर मास्क, हाथों में दस्ताने पहनकर ही करना चाहिए और हवा के विपरित छिड़काव नहीं करना चाहिए. एटीसी के पौध रोग विज्ञान के विशेषज्ञ डॉ. शीशराम ढीकवाल ने सरसों में सफेद रोली व्हाइट रस्ट रोग के उपचार के लिए में को जेब का प्रयोग किया जाना चाहिए. चने में काली जड रूटरोट के उपचार के लिए बीजोपचारित करके बोना चाहिए. इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का कृषि पर्यवेक्षक राजेन्द्र सिंह ने संचालन किया.

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