ETV Bharat / state

विश्व पर्यटन दिवस: शेखावाटी में तेजी से टूरिस्ट हब बनता जा रहा खेतड़ी शहर - भोपालगढ़ का किला

विश्व पर्यटन दिवस के मौके पर आपको राजस्थान के शेखावाटी अंचल में तेजी से पर्यटन क्षेत्र में बढ़ते शहर खेतड़ी के बारे में बताते है. जो आज के दौर में खेतड़ी टूरिस्ट हब बनता जा रहा है..यहां के दुर्ग में स्थापत्य कला व चित्रकारी का बेजोड़ नमूना उपलब्ध है. जिसको देखते हुए म्यूजिक एल्बम, धारावाहिकों और फिल्मों की शूटिंग भी होती है.

विश्व पर्यटन दिवस, World Tourism Day, tourist hub Khetri
author img

By

Published : Sep 27, 2019, 7:13 PM IST

खेतड़ी(झुंझुनूं). खेतड़ी की रियासत काल जयपुर व सीकर के बाद तीसरी बड़ी रियासत हुआ करती थी. द्वितीय विश्वयुद्ध में भी खेतड़ी से पच्चीस सौ सैनिकों ने युद्ध में भाग लिया था. युद्ध में हुए शहीदों की याद में खेतड़ी के प्रवेश द्वार पर एक दरवाजा भी बनाया हुआ है. यहीं नहीं भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के ताऊ जी पंडित नंदलाल नेहरू एक दशक तक खेतड़ी रियासत के प्रधानमंत्री रहे हैं.

शेखावाटी में तेजी से टूरिस्ट हब बनता जा रहा खेतड़ी शहर..देखें स्पेशल रिपोर्ट

विवेकानंद नगरी के नाम से भी जाना जाता है
खेतड़ी को स्वामी विवेकानंद नगरी के नाम से भी जाना जाता है. राजा अजीत सिंह व स्वामी विवेकानंद की दोस्ती जगजाहिर थी. शिकागो की विश्व धर्म सम्मेलन में स्वामी विवेकानंद को राजा अजीत सिंह ने ही अपने खर्चे पर भेजा था. राजा अजीत सिंह ने ही नरेंद्र को स्वामी विवेकानंद का नाम दिया था. शिकागो धर्म सम्मेलन में विवेकानंद जो पोशाक पहन कर गए थे. वह राजा अजीत सिंह ने ही भेंट की थी. जो साफा स्वामी विवेकानंद ने पहना था वह राजस्थानी साफा राजा द्वारा ही दिया गया था.

पढ़ें- विश्व पर्यटन दिवस: विश्व प्रसिद्ध हैं शेखावाटी की हवेलियां, प्रशासन की बेरूखी के चलते हो रही बदरंग

अजीत विवेक संग्रहालय बड़ा पर्यटन केंद्र
शेखावाटी क्षेत्र का पहला बड़ा पर्यटन केंद्र खेतड़ी बन रहा है. जिस फतेह विलास में स्वामी विवेकानंद 3 महीने तक रुके थे. उसी फतेह विलास महल को राजा अजीत सिंह व स्वामी विवेकानंद की यादों को चिरस्थाई बनाने के लिए इसको अजीत विवेक संग्रहालय में तब्दील कर दिया गया है. जो देश ही नहीं विदेशों के पर्यटकों का आकर्षण का केंद्र है.

पढ़ें- विश्व पर्यटन दिवस: गढ़ संग्रहालय में है हाड़ौती क्षेत्र की नायाब चीजें जो पूरे विश्व में हैं अद्वितीय

भोपालगढ़ का किला आकर्षण का केंद्र
खेतड़ी की अरावली पर्वतमाला पर स्थित भोपालगढ़ का किला भी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है. भोपालगढ़ किला, रानी का महल, आयुध भंडार, गढ़ पर रहने वाली प्रजा के लिए मकान, कुएं, मंदिर, बांध बने है. भोपालगढ़ फोर्ट के अंदर शीश महल है. जो दिन में भी तारों जैसा दिखाई देता है. शीश महल में सोने की नक्काशी की कारीगरी की गई थी. राजा के महल की बनावट इस तरह की है एक घुड़सवार महल की छत पर भी सीधा जा सकता है. किले में स्थापत्य कला व चित्रकारी का बेजोड़ नमूना उपलब्ध है. किले में म्यूजिक एल्बम, धारावाहिकों व फिल्मों की शूटिंग भी होती है. देसी व विदेशी पर्यटकों को स्वत: ही पर्यटकों को आकर्षित कर रही है.

पढ़ें- विश्व पर्यटन दिवस: स्वर्णनगरी को पर्यटन ने बहुत कुछ दिया, अब इसको हमारी जरूरत​​​​​​​

बॉसियाल खेतड़ी कंजर्वेशन में जल्द शुरू होगी सफारी
पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए बॉसियाल खेतड़ी कंजर्वेशन में वन्यजीवों के संरक्षण के लिए अभ्यारण बनाया जा रहा है. जिसमें हाल ही में 4 चीते, हिरण वह अन्य जानवर भी छोड़े गए हैं. अभ्यारण में ही समदेड़ा तालाब की बनावट और वहां की छतरियां भी पर्यटकों को आकर्षित कर रही है. अभ्यारण में जिस प्रकार रणथंभौर व सरिस्का में सफारी होती है. उसी तर्ज पर खेतड़ी में भी करवाई जाएगी. जिसके लिए सरकार द्वारा कार्य लगातार जारी है.

पढ़ें- विश्व पर्यटन दिवस: हनुमानगढ़ में है भारत का सबसे पुराना किला, लेकिन बदहाली के आंसू बहा रहा भटनेर दुर्ग​​​​​​​

राजसी महल जैसे मंदिर भी पर्यटन स्थल
खेतड़ी में मंदिर ऐसे हैं जैसे राजसी महल हो. यहां के मंदिर भी पर्यटकों को आकर्षित करते हैं. यहां के मंदिरों में चुंडावत मंदिर, गोविंद देव मंदिर, भटियाणी मंदिर, गंगा माता का मंदिर मुख्य है. इन मंदिरों की बनावट ऐसी है, जैसे राजाओं के महल हो. रियासत काल में भी राजा व रानियां इन मंदिरों में आकर पूजा-पाठ करती थी.

पढ़ें- विश्व पर्यटन दिवस: बॉलीवुड से लेकर हॉलीवुड तक की पहली पसंद बना जोधपुर​​​​​​​

खेतड़ी में जल संरक्षण के भी बेजोड़ उदाहरण
खेतड़ी के ऐतिहासिक तालाब, कुएं-बावड़िया और बांध जल संरक्षण के बेजोड़ उदाहरण है. ऐतिहासिक पन्ना सागर तालाब पर विष्णु भगवान की जगह-जगह मूर्तियां लगी हुई है. जो पाषाण युग की भी यादें ताजा करती है. महिला व पुरुषों के लिए स्नान के लिए अलग जगह बनी हुई है. क्षेत्र के अजीत सागर बांध, काला भुजा बांध, समदेड़ा तालाब, सोभ जी का बांध यह ऐसे जल संरक्षण के स्रोत थे. जो यहां की जनता के लिए पीने के पानी की पेयजल व्यवस्था का सहारा बने हुए थे. जो पहाड़ का पानी सीधा इन बांधों में फिल्टर होकर एकत्रित करता था. आज भी यह बांध खेतड़ी तहसील के लिए वरदान साबित हो रहे हैं. इन बांधों से पीने के पानी के अलावा सिंचाई के क्षेत्र में भी इनका उपयोग किया जा रहा है. जो पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है.

पढ़ें- विश्व पर्यटन दिवस: देश-दुनिया में झीलों के लिए प्रसिद्ध उदयपुर में लाखों की संख्या में आते हैं पर्यटक

यहां पर मूर्तिकला और चित्रकारी के बेजोड़ नमूने
रियासत काल में भी खेतड़ी में सिक्कों की ढलाई का कार्य होता था. सिंघाना में सिक्कों की टकसाल भी हुआ करती थी. अब यहां पर तांबे का बड़ा संयंत्र हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड है. जो एशिया का सबसे बड़ा संयंत्र हुआ करता था. खेतड़ी के महल, तालाब, मंदिर, बावरिया स्थापत्य मूर्तिकला वह चित्रकारी के बेजोड़ नमूने देखने को मिलते हैं. इन पर उकेरी गई चित्रकारी बेजोड़ है. जो पर्यटकों को खासा आकर्षित करती है. एशिया का सबसे बड़ा तांबे उद्योग यहां पर हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड के नाम से स्थित है. लेकिन अगर हम इतना शिक्षण में बात करें तो आईने अकबरी में यह जिक्र है कि यहां पर स्थित आ कावली वाली खानों से मुगल काल में तांबा लेकर जाता था.

पढ़ें- विश्व पर्यटन दिवस: मानसून ने बदला बूंदी के पर्यटन स्थलों का स्वरूप...सारे कुंड-बावड़ियां लबालब

पर्यटन के दृष्टि के हो रहे कई विकास कार्य
पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए नगर पालिका ने भी पूरी तैयारी की है. इसके लिए खेतड़ी को आकर्षक बनाने के लिए कार्य कर रही है. खेतड़ी शहर से भोपालगढ़ तक नगर पालिका द्वारा रोप-वे लगाया जाएगा. जिससे पर्यटक आसानी से गोपालगढ़ देखने के लिए पहुंच सकें. भोपालगढ़ के आगे पर्यटकों की सुविधा के लिए नगर पालिका ने पार्किंग प्लेस बनाया गया है. जल्द ही स्टेडियम का निर्माण भी करवाया जाएगा. पर्यटकों के रुकने के लिए अभयगढ़ पैलेस के नाम से फाइव स्टार सुविधाओं से लैस रिसोर्ट तैयार किया जा रहा है. जिस पर देसी व विदेशी पर्यटक भी रुकने का लुत्फ महलों जैसा उठा सकेंगे.

खेतड़ी(झुंझुनूं). खेतड़ी की रियासत काल जयपुर व सीकर के बाद तीसरी बड़ी रियासत हुआ करती थी. द्वितीय विश्वयुद्ध में भी खेतड़ी से पच्चीस सौ सैनिकों ने युद्ध में भाग लिया था. युद्ध में हुए शहीदों की याद में खेतड़ी के प्रवेश द्वार पर एक दरवाजा भी बनाया हुआ है. यहीं नहीं भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के ताऊ जी पंडित नंदलाल नेहरू एक दशक तक खेतड़ी रियासत के प्रधानमंत्री रहे हैं.

शेखावाटी में तेजी से टूरिस्ट हब बनता जा रहा खेतड़ी शहर..देखें स्पेशल रिपोर्ट

विवेकानंद नगरी के नाम से भी जाना जाता है
खेतड़ी को स्वामी विवेकानंद नगरी के नाम से भी जाना जाता है. राजा अजीत सिंह व स्वामी विवेकानंद की दोस्ती जगजाहिर थी. शिकागो की विश्व धर्म सम्मेलन में स्वामी विवेकानंद को राजा अजीत सिंह ने ही अपने खर्चे पर भेजा था. राजा अजीत सिंह ने ही नरेंद्र को स्वामी विवेकानंद का नाम दिया था. शिकागो धर्म सम्मेलन में विवेकानंद जो पोशाक पहन कर गए थे. वह राजा अजीत सिंह ने ही भेंट की थी. जो साफा स्वामी विवेकानंद ने पहना था वह राजस्थानी साफा राजा द्वारा ही दिया गया था.

पढ़ें- विश्व पर्यटन दिवस: विश्व प्रसिद्ध हैं शेखावाटी की हवेलियां, प्रशासन की बेरूखी के चलते हो रही बदरंग

अजीत विवेक संग्रहालय बड़ा पर्यटन केंद्र
शेखावाटी क्षेत्र का पहला बड़ा पर्यटन केंद्र खेतड़ी बन रहा है. जिस फतेह विलास में स्वामी विवेकानंद 3 महीने तक रुके थे. उसी फतेह विलास महल को राजा अजीत सिंह व स्वामी विवेकानंद की यादों को चिरस्थाई बनाने के लिए इसको अजीत विवेक संग्रहालय में तब्दील कर दिया गया है. जो देश ही नहीं विदेशों के पर्यटकों का आकर्षण का केंद्र है.

पढ़ें- विश्व पर्यटन दिवस: गढ़ संग्रहालय में है हाड़ौती क्षेत्र की नायाब चीजें जो पूरे विश्व में हैं अद्वितीय

भोपालगढ़ का किला आकर्षण का केंद्र
खेतड़ी की अरावली पर्वतमाला पर स्थित भोपालगढ़ का किला भी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है. भोपालगढ़ किला, रानी का महल, आयुध भंडार, गढ़ पर रहने वाली प्रजा के लिए मकान, कुएं, मंदिर, बांध बने है. भोपालगढ़ फोर्ट के अंदर शीश महल है. जो दिन में भी तारों जैसा दिखाई देता है. शीश महल में सोने की नक्काशी की कारीगरी की गई थी. राजा के महल की बनावट इस तरह की है एक घुड़सवार महल की छत पर भी सीधा जा सकता है. किले में स्थापत्य कला व चित्रकारी का बेजोड़ नमूना उपलब्ध है. किले में म्यूजिक एल्बम, धारावाहिकों व फिल्मों की शूटिंग भी होती है. देसी व विदेशी पर्यटकों को स्वत: ही पर्यटकों को आकर्षित कर रही है.

पढ़ें- विश्व पर्यटन दिवस: स्वर्णनगरी को पर्यटन ने बहुत कुछ दिया, अब इसको हमारी जरूरत​​​​​​​

बॉसियाल खेतड़ी कंजर्वेशन में जल्द शुरू होगी सफारी
पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए बॉसियाल खेतड़ी कंजर्वेशन में वन्यजीवों के संरक्षण के लिए अभ्यारण बनाया जा रहा है. जिसमें हाल ही में 4 चीते, हिरण वह अन्य जानवर भी छोड़े गए हैं. अभ्यारण में ही समदेड़ा तालाब की बनावट और वहां की छतरियां भी पर्यटकों को आकर्षित कर रही है. अभ्यारण में जिस प्रकार रणथंभौर व सरिस्का में सफारी होती है. उसी तर्ज पर खेतड़ी में भी करवाई जाएगी. जिसके लिए सरकार द्वारा कार्य लगातार जारी है.

पढ़ें- विश्व पर्यटन दिवस: हनुमानगढ़ में है भारत का सबसे पुराना किला, लेकिन बदहाली के आंसू बहा रहा भटनेर दुर्ग​​​​​​​

राजसी महल जैसे मंदिर भी पर्यटन स्थल
खेतड़ी में मंदिर ऐसे हैं जैसे राजसी महल हो. यहां के मंदिर भी पर्यटकों को आकर्षित करते हैं. यहां के मंदिरों में चुंडावत मंदिर, गोविंद देव मंदिर, भटियाणी मंदिर, गंगा माता का मंदिर मुख्य है. इन मंदिरों की बनावट ऐसी है, जैसे राजाओं के महल हो. रियासत काल में भी राजा व रानियां इन मंदिरों में आकर पूजा-पाठ करती थी.

पढ़ें- विश्व पर्यटन दिवस: बॉलीवुड से लेकर हॉलीवुड तक की पहली पसंद बना जोधपुर​​​​​​​

खेतड़ी में जल संरक्षण के भी बेजोड़ उदाहरण
खेतड़ी के ऐतिहासिक तालाब, कुएं-बावड़िया और बांध जल संरक्षण के बेजोड़ उदाहरण है. ऐतिहासिक पन्ना सागर तालाब पर विष्णु भगवान की जगह-जगह मूर्तियां लगी हुई है. जो पाषाण युग की भी यादें ताजा करती है. महिला व पुरुषों के लिए स्नान के लिए अलग जगह बनी हुई है. क्षेत्र के अजीत सागर बांध, काला भुजा बांध, समदेड़ा तालाब, सोभ जी का बांध यह ऐसे जल संरक्षण के स्रोत थे. जो यहां की जनता के लिए पीने के पानी की पेयजल व्यवस्था का सहारा बने हुए थे. जो पहाड़ का पानी सीधा इन बांधों में फिल्टर होकर एकत्रित करता था. आज भी यह बांध खेतड़ी तहसील के लिए वरदान साबित हो रहे हैं. इन बांधों से पीने के पानी के अलावा सिंचाई के क्षेत्र में भी इनका उपयोग किया जा रहा है. जो पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है.

पढ़ें- विश्व पर्यटन दिवस: देश-दुनिया में झीलों के लिए प्रसिद्ध उदयपुर में लाखों की संख्या में आते हैं पर्यटक

यहां पर मूर्तिकला और चित्रकारी के बेजोड़ नमूने
रियासत काल में भी खेतड़ी में सिक्कों की ढलाई का कार्य होता था. सिंघाना में सिक्कों की टकसाल भी हुआ करती थी. अब यहां पर तांबे का बड़ा संयंत्र हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड है. जो एशिया का सबसे बड़ा संयंत्र हुआ करता था. खेतड़ी के महल, तालाब, मंदिर, बावरिया स्थापत्य मूर्तिकला वह चित्रकारी के बेजोड़ नमूने देखने को मिलते हैं. इन पर उकेरी गई चित्रकारी बेजोड़ है. जो पर्यटकों को खासा आकर्षित करती है. एशिया का सबसे बड़ा तांबे उद्योग यहां पर हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड के नाम से स्थित है. लेकिन अगर हम इतना शिक्षण में बात करें तो आईने अकबरी में यह जिक्र है कि यहां पर स्थित आ कावली वाली खानों से मुगल काल में तांबा लेकर जाता था.

पढ़ें- विश्व पर्यटन दिवस: मानसून ने बदला बूंदी के पर्यटन स्थलों का स्वरूप...सारे कुंड-बावड़ियां लबालब

पर्यटन के दृष्टि के हो रहे कई विकास कार्य
पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए नगर पालिका ने भी पूरी तैयारी की है. इसके लिए खेतड़ी को आकर्षक बनाने के लिए कार्य कर रही है. खेतड़ी शहर से भोपालगढ़ तक नगर पालिका द्वारा रोप-वे लगाया जाएगा. जिससे पर्यटक आसानी से गोपालगढ़ देखने के लिए पहुंच सकें. भोपालगढ़ के आगे पर्यटकों की सुविधा के लिए नगर पालिका ने पार्किंग प्लेस बनाया गया है. जल्द ही स्टेडियम का निर्माण भी करवाया जाएगा. पर्यटकों के रुकने के लिए अभयगढ़ पैलेस के नाम से फाइव स्टार सुविधाओं से लैस रिसोर्ट तैयार किया जा रहा है. जिस पर देसी व विदेशी पर्यटक भी रुकने का लुत्फ महलों जैसा उठा सकेंगे.

Intro:Body:विश्व पर्यटन दिवस पर आपको रूबरू करवाते है शेखावाटी में तेजी से पर्यटन क्षेत्र में बढते शहर खेतड़ी से

खेतड़ी बन रहा पर्यटक हब
सरिस्का रणथंभौर के बाद खेतड़ी में बन रहा है अभ्यारण
भोपालगढ़ का किला व ऐतिहासिक पन्ना सागर तालाब भी है आकर्षण का केंद्र
स्वामी विवेकानंद व राजा अजीत सिंह की यादों का संग्रहालय भी है खेतड़ी में
अभय गढ़ के नाम से बन रहे होटल में मिलेंगी फाइव स्टार जैसी सुविधाएं
राजसी महलों जैसे है मंदिर यहां के
जल संरक्षण की मिसाल है अजीत सागर बांध व काला बुझा बांध

खबर-हर्ष स्वामी
खेतड़ी/झुंझुनू- खेतड़ी की रियासत काल जयपुर व सीकर के बाद तीसरी बड़ी रियासत हुआ करती थी। द्वितीय विश्वयुद्ध में भी खेतड़ी से पच्चीस सौ सैनिकों ने युद्ध में भाग लिया था। युद्ध में हुए शहीदों की याद में खेतड़ी के प्रवेश द्वार पर एक दरवाजा भी बनाया हुआ है। खेतड़ी को स्वामी विवेकानंद के नाम से व भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के ताऊ जी पंडित नंदलाल नेहरू एक दशक तक खेतड़ी रियासत के प्रधानमंत्री रहे हैं। खेतड़ी को स्वामी विवेकानंद नगरी के नाम से भी जाना जाता है। राजा अजीत सिंह व स्वामी विवेकानंद की दोस्ती जगजाहिर थी। शिकागो की विश्व धर्म सम्मेलन में स्वामी विवेकानंद को राजा अजीत सिंह ने ही अपने खर्चे पर भेजा था। राजा अजीत सिंह ने ही नरेंद्र को स्वामी विवेकानंद का नाम दिया था शिकागो धर्म सम्मेलन में जो पोशाक पहन कर गए थे वह राजा अजीत सिंह ने ही भेंट की थी। जो साफा स्वामी विवेकानंद ने पहना था वह राजस्थानी साफा राजा द्वारा ही दिया गया था। शेखावाटी क्षेत्र का पहला बड़ा पर्यटन केंद्र बन रहा है स्वामी विवेकानंद जिस फतेह विलास में 3 महीने तक रुके थे उसी फतेह विलास महल को राजा अजीत सिंह व स्वामी विवेकानंद की यादों को चिरस्थाई बनाने के लिए इसको अजीत विवेक संग्रहालय में तब्दील कर दिया गया है। जो देश ही नहीं विदेशों के पर्यटकों का आकर्षण का केंद्र है। इस म्यूजियम की महत्वता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रधानमंत्री जब खेतड़ी आए तो रामकिशन मिशन में आए। तो उन्होंने कहा था कि जो शांति खेतड़ी के रामकिशन मिशन में आकर मिली है ऐसी शांति अविस्मरणीय है।

खेतड़ी की अरावली पर्वतमाला पर स्थित भोपालगढ़ का किला भी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है भोपालगढ़ किला रानी का महल आयुध भंडार गढ़ पर रहने वाली प्रजा के लिए मकान कुए मंदिर बांध बने है भोपालगढ़ फोर्ट के अंदर शीश महल है जो दिन में भी तारो जैसा दिखाई देता है शीश महल मैं सोने की नक्काशी की कारीगरी की गई थी राजा के महल की बनावट इस तरह की है एक घुड़सवार महल की छत पर भी सीधा जा सकता है किले में स्थापत्य कला व चित्रकारी का बेजोड़ नमूना उपलब्ध है किले में एल्बमो धारावाहिकों व फिल्मों की शूटिंग भी होती है देसी व विदेशी पर्यटकों को स्वत: ही पर्यटकों को आकर्षित कर रही है।

पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए बॉसियाल खेतड़ी कंजर्वेशन में वन्यजीवों के संरक्षण के लिए अभ्यारण बनाया जा रहा है जिसमें हाल ही में चार चीते हिरण वह अन्य जानवर भी छोड़े गए हैं अभ्यारण में ही समदेङा तालाब की बनावट और वहां की छतरियां भी पर्यटकों को आकर्षित कर रही है अभ्यारण में जिस प्रकार रणथंभौर व सरिस्का में सफारी होती है उसी तर्ज पर खेतड़ी में भी करवाई जाएगी जिसके लिए सरकार द्वारा कार्य लगातार जारी है

खेतड़ी में मंदिर ऐसे हैं जैसे राजसी महल हो। यहां के मंदिर भी पर्यटकों को आकर्षित करते हैं यहां के मंदिरों में चुंडावत मंदिर, गोविंद देव मंदिर, भटियाणी मंदिर, गंगा माता का मंदिर मुख्य है इन मंदिरों की बनावट ऐसी है जैसे राजाओं के महल हो रियासत काल में भी राजा व रानियां इन मंदिरों में आकर पूजा-पाठ करती थी।

खेतड़ी के ऐतिहासिक तालाब कुए बावरिया व बांध जल संरक्षण के बेजोड़ उदाहरण है। ऐतिहासिक पन्ना सागर तालाब पर विष्णु भगवान की जगह-जगह मूर्तियां लगी हुई है जो पाषाण युग की भी यादें ताजा करती है। महिला व पुरुषों के लिए स्नान के लिए अलग जगह बनी हुई है क्षेत्र के अजीत सागर बांध, काला भुजा बांध, समदेङा तालाब, सोभ जी का बांध यह ऐसे जल संरक्षण के स्रोत थे जो यहां की जनता के लिए पीने के पानी की पेयजल व्यवस्था का सहारा बने हुए थे। जो पहाड़ का पानी सीधा इन बांधों में फिल्टर होकर एकत्रित होता था आज भी यह बांध खेतड़ी तहसील के लिए वरदान साबित हो रहे हैं इन बांधों से पीने के पानी के अलावा सिंचाई के क्षेत्र में भी इनका उपयोग किया जा रहा है जो पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है।

रियासत काल में भी खेतड़ी में सिक्कों की ढलाई का कार्य होता था सिंघाना में सिक्कों की टकसाल भी हुआ करती थी अब यहां पर तांबे का बड़ा संयंत्र हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड है जो एशिया का सबसे बड़ा संयंत्र हुआ करता था।

खेतड़ी के महल तालाब मंदिर बावरिया स्थापत्य मूर्तिकला वह चित्रकारी के बेजोड़ नमूने देखने को मिलते हैं इन पर उकेरी गई चित्रकारी बेजोड़ है जो पर्यटकों को खासा आकर्षित करती है।

एशिया का सबसे बड़ा तांबे उद्योग यहां पर हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड के नाम से स्थित है लेकिन अगर हम इतना शिक्षण में बात करें तो आईने अकबरी में यह जिक्र है कि यहां पर स्थित आ कावली वाली खानों से मुगल काल में तांबा जाया करता था।

पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए नगर पालिका ने भी पूरी तैयारी की है इसके लिए खेतड़ी को आकर्षक बनाने के लिए कार्य कर रही है खेतड़ी शहर से भोपालगढ़ तक नगर पालिका द्वारा रोपवे लगाया जाएगा जिससे रोपवे से पर्यटक आसानी से गोपालगढ़ देखने के लिए पहुंच सके। भोपालगढ़ के आगे पर्यटकों की सुविधा के लिए नगर पालिका ने पार्किंग प्लेस बनाया गया है जल्द ही स्टेडियम का निर्माण भी करवाया जाएगा पर्यटकों के रुकने के लिए अभयगढ पैलेस के नाम से फाइव स्टार सुविधाओं से लैस रिसोर्ट तैयार किया जा रहा है जिस पर देसी व विदेशी पर्यटक भी रुकने का लूत्फ महलों जैसा उठा सकेंगे।

खेतड़ी कितना महत्वपूर्ण है इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि यहां पर एक दशक तक नेहरू परिवार के नंद लाल नेहरू दीवान रहे।

बाइट- उमराव कुमावत, चैयरमेन
बाइट- शाहरूख खान, फोरेस्टर
बाइट- अनिल गुप्ता, अध्यक्ष व्यापार मण्डल
बाइट- सुधीर गुप्ता, खेतडी निवासी
बाइट- रमाकांत, अध्यापकConclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.