झुंझुनू. जिले के सोलाना निवासी हवलदार अनिल धनकड़ ने विश्व में भारत का नाम रोशन किया है. हवलदार अनिल धनखड़ ने 1 जून को अपनी टीम के साथ दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर सफलतापूर्वक चढ़ाई करके अपना और देश का नाम इतिहास के पन्नों में अमर कर लिया है. अनिल धनकड़ ने दो टीमें डब्लूएस और एनआईएम के सदस्य कर्नल अमित बिष्ट, हवलदार इकबाल खान, हवलदार चंदर नेगी और महफूज इलाही के साथ चढ़ाई शुरू की थी.
खराब मौसम भी नहीं तोड़ पाया हौसला
हवलदार अनिल धनखड़ 25 मार्च 2021 को माउंट एवरेस्ट के अभियान पर निकल पड़े थे. अपने 7 सदस्य दल जिसमें भारतीय सेना के दो कमीशन अधिकारी तीन हवलदार रैंक के व दो माउंटेनियरिंग इंस्ट्रक्टर सहयोगियों के साथ 2 अप्रैल को काठमांडू से होते हुए 8 अप्रैल को माउंट एवरेस्ट बेस कैंप पहुंचे. 7 दिन का एक्लेम्बिकेसन पूरा करने के बाद 21 अप्रैल को नेपाल की लबुचे चोटी 6119 मीटर पर चढ़ाई की. और खुदको माउंटेन की परिस्थिति के अनुसार ढाला. 21 मई को खराब मौसम और कम समय होने की वजह से बेस कैंप से सीधा कैंप टू पहुंचे. 24 मई से 28 मई तक हेवी स्नोफॉल और तेज हवा की मार ने कैम्प टू के करीब 150 से अधिक पर्वतारोही का हौंसला तोड़ दिया, लेकिन उनकी टीम ने हिम्मत नहीं हारी और डटे रहे. बर्फबारी के स्टेबल हो जाने पर 30 मई को कैंप टू से बिना कैंप थ्री में रुके. वहां से 31 मई को कैंप फॉर साउथ कोल पहुंचे के बाद उनका और टीम का हौंसला और मजबूत हो गया. जिसके बाद 31 मई को रात 8:00 बजे अपने अंतिम पड़ाव की ओर निकलकर 1जून सुबह 6:30 बजे अपने साथियों के साथ माउंट एवरेस्ट की चोटी पर फतह हासिल कर राष्ट्र ध्वज तिरंगा फहराया.
बचपन से ही निडर और साहसी थे अनिल
हवलदार अनिल धनखड़ का जन्म सोलाना के किसान परिवार में हुआ है. देश प्रेम ने उन्हें 17 साल की उम्र में भारतीय सेना में ले आया. बचपन से ही होनहार, निडर और साहसी अनिल ने आठ महार रेजीमेंट में पोस्टिंग के दौरान अपनी जीत दर्ज की.
कई चोटियों पर फहराया है तिरंगा
हवलदार अनिल धनखड़ वर्तमान में नेहरू पर्वतारोहण संस्थान उत्तरकाशी में मॉन्टेनरिंग इंस्ट्रक्टर के पद पर कार्यरत हैं. उन्होंने हाई एल्टीट्यूड वार फेयर स्कूल गुलमर्ग से वर्ष 2009-10 में माउंटेनियरिंग का कोर्स करने के बाद 2010 से 2017 तक हाई एल्टीट्यूड वार फेयर स्कूल हौस में इंस्ट्रक्टर के तौर पर सेवाएं दी. इस दौरान पर्वतारोहण के अपने अभियान में वर्ष 2011 में मचोई चोटी 5420 मीटर, वर्ष 2013 में त्रिशूल चोटी 7120 मीटर, वर्ष 2016 में हरमुख चोटी 5660 मीटर, वर्ष 2019 में दूसरी बार त्रिशूल चोटी 7120 मीटर. वर्ष 2019 में ही मुंबा चोटी 5236 मीटर, पर सफलतापूर्वक आरोहण किया.