झुंझुनू. राजस्थान पैरामेडिकल काउंसिल से जुड़े हुए मेडिकल और शिक्षकों ने जिला कलेक्ट्री पर प्रदर्शन किया. उन्होंने बताया कि राजस्थान पैरामेडिकल काउंसिल के पत्रांक 1750 और 462 के अनुसार निजी और राजकीय अस्पतालों में काम कर रहे डॉक्टरों का पंजीकरण होना अनिवार्य है. यह आदेश अप्रैल 2016 में जारी किया गया था, जो भी पैरामेडिकोज इस क्षेत्र में बिना पंजीकरण के कार्यरत हैं. वह अवैध और गैरकानूनी हैं.
उन्होंने बताया कि राजस्थान पैरामेडिकल काउंसिल अधिनियम- 2008 के तहत राज्य सरकार ने साल 2014 में राजस्थान पैरामेडिकल काउंसिल का गठन किया था. इस अधिनियम की धारा- 38 में साफतौर पर लिखा गया है कि राजस्थान राज्य क्षेत्र में यदि कोई भी मेडिकोज बिना पंजीकरण के कार्य करता है तो यह ग़ैर क़ानूनी माना जाएगा.
यह भी पढ़ें: भारी पुलिस बल की मौजूदगी में नगर परिषद ने सात भूखंडों से हटवाया अतिक्रमण
ज़िला अध्यक्ष को पंजीकृत पैरामेडिकोज की तरफ से दिए गए इस ज्ञापन में यह मांग की गई है कि जो कोई भी पैरामेडिकल और चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े व्यक्ति बिना पंजीकरण के कार्य कर रहे हैं, उन्हें रोका जाए. साथ ही उनका पंजीकरण करने के बाद ही उन्हें पैरामेडिकोज काम करने की अनुमति दी जाए.