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मजदूर महिला का सपना, बेटी और पोती को कुश्ती में प्रशिक्षित कर बदल रहीं उनकी तकदीर

हरियाणा की रहने वाली सुशीला मजदूरी करके अपनी बेटी और पोती को भरतपुर में कुश्ती का प्रशिक्षण दिलवा रही हैं.

दलित बेटियां बनी पहलवान
दलित बेटियां बनी पहलवान (ETV Bharat GFX)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : 17 hours ago

भरतपुर : सुशीला और उसका पति रोजाना घर से मजदूरी करने निकलते हैं और अपनी कमाई से परिवार का पालन-पोषण करते हैं. आर्थिक तंगी के बावजूद, सुशीला अपनी बेटी और पोती को सशक्त बनाने में लगी हुई हैं. यह कहानी है एक दलित महिला की, जो अपनी बेटी और पोती को कुश्ती में प्रशिक्षित कर रही है. हरियाणा के दादरी की निवासी सुशीला अपनी बेटी मुस्कान और पोती काजल को कुश्ती में प्रशिक्षण देने के लिए भरतपुर के महारानी किशोरी केसरी दंगल में लेकर आई हैं. इन दलित बेटियों ने बताया कि उनका सपना ओलंपिक में मेडल जीतकर देश का नाम रोशन करने का है.

हाल ही में आयोजित अखिल भारतीय महारानी किशोरी केसरी दंगल में, सुशीला अपनी बेटी मुस्कान और पोती काजल को लेकर पहुंची. मुस्कान और काजल दोनों ही कुश्ती में राज्य स्तर पर मेडल जीत चुकी हैं. सुशीला ने बताया कि वह, उनका पति, बेटा और बहू सभी मजदूरी करते हैं, लेकिन फिर भी वे अपनी बेटियों और पोती को पहलवानी में प्रशिक्षित कर रहे हैं. सुशीला ने बताया कि वे जो भी कमाते हैं, उसी से बेटियों की पहलवानी की तैयारी कराते हैं. सुशीला ने यह भी बताया कि एक बार उनकी बेटी मुस्कान को स्कूल के शिक्षक ने बिना तैयारी के हिसार में दंगल लड़वाने भेजा था. उसी से मुस्कान को पहलवानी का शौक लगा और उसके बाद से उन्होंने इसे नियमित रूप से अभ्यास में लिया.

दंगल में दलित बेटियां (ETV Bharat Bharatpur)

इसे भी पढ़ें- राज्य स्तरीय कुश्ती प्रतियोगिता का दूसरा दिन, बेटियों ने दिखाए दांवपेच - Wrestling competition

ओलंपिक में मेडल जीतने का सपना : मुस्कान ने बताया कि जब वह पांचवीं कक्षा में थी, तब टीचर ने उसे बिना किसी तैयारी के हिसार में दंगल में भेजा था, जहां उसने राज्य स्तरीय दंगल में सिल्वर मेडल जीता. इसके बाद उसने पहलवानी की नियमित प्रैक्टिस शुरू कर दी. मुस्कान का सपना है कि वह ओलंपिक में देश के लिए मेडल जीते. सुशीला की पोती काजल ने बताया कि उसने अपनी बुआ मुस्कान को देखकर एक साल पहले कुश्ती शुरू की थी. काजल भी मुस्कान की तरह राज्य स्तर पर सिल्वर मेडल जीत चुकी है. काजल का सपना है कि वह भारतीय सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करे.

भरतपुर : सुशीला और उसका पति रोजाना घर से मजदूरी करने निकलते हैं और अपनी कमाई से परिवार का पालन-पोषण करते हैं. आर्थिक तंगी के बावजूद, सुशीला अपनी बेटी और पोती को सशक्त बनाने में लगी हुई हैं. यह कहानी है एक दलित महिला की, जो अपनी बेटी और पोती को कुश्ती में प्रशिक्षित कर रही है. हरियाणा के दादरी की निवासी सुशीला अपनी बेटी मुस्कान और पोती काजल को कुश्ती में प्रशिक्षण देने के लिए भरतपुर के महारानी किशोरी केसरी दंगल में लेकर आई हैं. इन दलित बेटियों ने बताया कि उनका सपना ओलंपिक में मेडल जीतकर देश का नाम रोशन करने का है.

हाल ही में आयोजित अखिल भारतीय महारानी किशोरी केसरी दंगल में, सुशीला अपनी बेटी मुस्कान और पोती काजल को लेकर पहुंची. मुस्कान और काजल दोनों ही कुश्ती में राज्य स्तर पर मेडल जीत चुकी हैं. सुशीला ने बताया कि वह, उनका पति, बेटा और बहू सभी मजदूरी करते हैं, लेकिन फिर भी वे अपनी बेटियों और पोती को पहलवानी में प्रशिक्षित कर रहे हैं. सुशीला ने बताया कि वे जो भी कमाते हैं, उसी से बेटियों की पहलवानी की तैयारी कराते हैं. सुशीला ने यह भी बताया कि एक बार उनकी बेटी मुस्कान को स्कूल के शिक्षक ने बिना तैयारी के हिसार में दंगल लड़वाने भेजा था. उसी से मुस्कान को पहलवानी का शौक लगा और उसके बाद से उन्होंने इसे नियमित रूप से अभ्यास में लिया.

दंगल में दलित बेटियां (ETV Bharat Bharatpur)

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ओलंपिक में मेडल जीतने का सपना : मुस्कान ने बताया कि जब वह पांचवीं कक्षा में थी, तब टीचर ने उसे बिना किसी तैयारी के हिसार में दंगल में भेजा था, जहां उसने राज्य स्तरीय दंगल में सिल्वर मेडल जीता. इसके बाद उसने पहलवानी की नियमित प्रैक्टिस शुरू कर दी. मुस्कान का सपना है कि वह ओलंपिक में देश के लिए मेडल जीते. सुशीला की पोती काजल ने बताया कि उसने अपनी बुआ मुस्कान को देखकर एक साल पहले कुश्ती शुरू की थी. काजल भी मुस्कान की तरह राज्य स्तर पर सिल्वर मेडल जीत चुकी है. काजल का सपना है कि वह भारतीय सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करे.

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