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विश्व कल्याण की कामना में भीषण गर्मी में चारों ओर आग लगाकर तप कर रहा ये संत - rajasthan news

जहां पूरे प्रदेश में गर्मी अपने चरम पर हैं और लोग अपने घरों से बाहर निकलने से जितना हो सके बच रहे हैं तो वहीं एक संत इस भीषण गर्मी में भी अपने चारों तरफ आग लगाकर तप कर रहा है.

झुंझुनू में तपिश भरी गर्मी में चारों ओर आग लगाकर तप कर रहा यह संत,
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Published : Jun 10, 2019, 3:20 PM IST

झुंझुनू. शेखावाटी की सम मरुस्थली पट्टी इस समय 50 डिग्री तापमान में धधक रही है और इस धधकती धरती मे अपने चारों और आग लगाकर संत रामहजारी तप कर रहे हैं. राम हजारी ने तपस्या का समय भी वह तय कर रखा है, जिस समय सूर्य अपने पूरे प्रचंड रूप रहता हैं.

झुंझुनू में तपिश भरी गर्मी में चारों ओर आग लगाकर तप कर रहा यह संत,

संत रामहजारी बताते हैं कि वो विश्वकल्याण और मानव में सद्भावना की कामना लिए यह तप कर रहे हैं. प्रतिदिन सुबह 11 बजे से लेकर दोपहर 3 बजे तक तप के लिए तपस्यारत होते हैं. इस दौरान संत के चारों ओर गोबर के उपलों की सात ढेरियां प्रज्वलित होती रहती हैं. जेष्ठ माह की शुरुआत से शुरू हुआ बाबा का यह तप पूर्णिमा तक चलेगा.

चौरंगीनाथ आश्रम में कर रहे हैं तप

चिड़ावा शहर के मंडेला बाईपास के पास सुल्ताना का बास रोड पर स्थित चौरंगीनाथ आश्रम में यह तप कर रहे हैं. बाबा की मानें तो वे गत 30 वर्षों से यह तप कर रहे हैं. बाबा प्रकाश पुरी के शिष्य संत रामहजारी का कहना है कि वह पहले भगानिया जोहड सिद्ध पीठ पर तप करते थे लेकिन उसके बाद वहां बंजारा बस्ती बस गई और माहौल बिगड़ने लगा. ऐसे में बाबा का एकांत खत्म हो गया तो वे चौरंगी नाथ आश्रम में आ गए.

नाथ संप्रदाय की तपोस्थली है चौरंगीनाथ आश्रम

बाबा चौरंगीनाथ, गोरखनाथ के अनन्य भक्त पूर्णनाथ के शिष्य थे और पुरातन काल में पहुंचे हुए संत बताए जाते हैं. उन्होंने यहां पर धूनी स्थापित की और पावन भूमि पर तप करने का फैसला किया. संत के दर्शन करने प्रतिदिन सैकड़ों लोग बाबा के आश्रम में आते हैं और संत के धोक लगाकर तप के लिए गांव से उपलों का इंतजाम करते हैं. बाबा के इस तप की पूर्णाहुति पूर्णिमा पर होगी और उस दिन सत्संग कार्यक्रम भी होगा.

झुंझुनू. शेखावाटी की सम मरुस्थली पट्टी इस समय 50 डिग्री तापमान में धधक रही है और इस धधकती धरती मे अपने चारों और आग लगाकर संत रामहजारी तप कर रहे हैं. राम हजारी ने तपस्या का समय भी वह तय कर रखा है, जिस समय सूर्य अपने पूरे प्रचंड रूप रहता हैं.

झुंझुनू में तपिश भरी गर्मी में चारों ओर आग लगाकर तप कर रहा यह संत,

संत रामहजारी बताते हैं कि वो विश्वकल्याण और मानव में सद्भावना की कामना लिए यह तप कर रहे हैं. प्रतिदिन सुबह 11 बजे से लेकर दोपहर 3 बजे तक तप के लिए तपस्यारत होते हैं. इस दौरान संत के चारों ओर गोबर के उपलों की सात ढेरियां प्रज्वलित होती रहती हैं. जेष्ठ माह की शुरुआत से शुरू हुआ बाबा का यह तप पूर्णिमा तक चलेगा.

चौरंगीनाथ आश्रम में कर रहे हैं तप

चिड़ावा शहर के मंडेला बाईपास के पास सुल्ताना का बास रोड पर स्थित चौरंगीनाथ आश्रम में यह तप कर रहे हैं. बाबा की मानें तो वे गत 30 वर्षों से यह तप कर रहे हैं. बाबा प्रकाश पुरी के शिष्य संत रामहजारी का कहना है कि वह पहले भगानिया जोहड सिद्ध पीठ पर तप करते थे लेकिन उसके बाद वहां बंजारा बस्ती बस गई और माहौल बिगड़ने लगा. ऐसे में बाबा का एकांत खत्म हो गया तो वे चौरंगी नाथ आश्रम में आ गए.

नाथ संप्रदाय की तपोस्थली है चौरंगीनाथ आश्रम

बाबा चौरंगीनाथ, गोरखनाथ के अनन्य भक्त पूर्णनाथ के शिष्य थे और पुरातन काल में पहुंचे हुए संत बताए जाते हैं. उन्होंने यहां पर धूनी स्थापित की और पावन भूमि पर तप करने का फैसला किया. संत के दर्शन करने प्रतिदिन सैकड़ों लोग बाबा के आश्रम में आते हैं और संत के धोक लगाकर तप के लिए गांव से उपलों का इंतजाम करते हैं. बाबा के इस तप की पूर्णाहुति पूर्णिमा पर होगी और उस दिन सत्संग कार्यक्रम भी होगा.

Intro:झुंझुनू। शेखावाटी की सम मरुस्थली पट्टी इस समय 50 डिग्री तापमान में धधक रही है और इस धधकती धरती मे अपने चारों और आग लगाकर संत रामहजारी तप कर रहे हैं। राम हजारी ने तपस्या का समय भी वह तय कर रखा है, जिस समय सूर्य देवता अपने पूरे प्रचंड रूप में आते हैं। प्रतिदिन सुबह 11:00 से दोपहर 3:00 बजे तक तप के लिए तपस्यारत होते हैं। इस दौरान संत के चारों ओर गोबर के उपलों की सात ढेरियां प्रज्वलित होती रहती हैं। जेष्ठ माह की शुरुआत से शुरू हुआ बाबा का यह तप पूर्णिमा तक चलेगा।





Body:चौरंगीनाथ आश्रम में कर रहे हैं तप
बाबा चिड़ावा शहर के मंडेला बाईपास के पास सुल्ताना का बास रोड पर स्थित चौरंगीनाथ आश्रम में विश्वकल्याण और मानव में सद्भावना की कामना लिए यह तप कर रहे हैं। बाबा की मानें तो वे गत 30 वर्षों से यह तप कर रहे हैं। बाबा प्रकाश पुरी के शिष्य संत राम हजारी का कहना है कि वह पहले भगानिया जोहड सिद्ध पीठ पर तप करते थे लेकिन उसके बाद वहां बंजारा बस्ती बस गई और माहौल बिगड़ने लगा। ऐसे में बाबा का एकांत खत्म हो गया तो वे चौरंगी नाथ आश्रम में आ गए।


Conclusion:नाथ संप्रदाय की तपोस्थली है चौरंगीनाथ आश्रम
बाबा चौरंगीनाथ गोरखनाथ के अनन्य भक्त पूर्णनाथ के शिष्य थे और पुरातन काल में पहुंचे हुए संत बताए जाते हैं। उन्होंने यहां पर धूनी स्थापित की और पावन भूमि पर तप करने का फैसला किया। संत के दर्शन करने प्रतिदिन सैकड़ों लोग बाबा के आश्रम में आते हैं और संत के धोक लगाकर तप के लिए गांव से उपलों का इंतजाम करते हैं। बाबा के इस तक की पूर्णाहुति पूर्णिमा पर होगी और उस दिन सत्संग कार्यक्रम भी होगा।


बाइट
संत रामहजारी


......... मुख्यालय से दूर चिड़ावा उपखंड का मामला है, इसलिए विजुअल और बाइट मेल से भेजे हैं।
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