झुन्झुनू. राजस्थान के शिक्षित जिलों में शुमार किया जाता है झुंझुनू जिला. लिहाजा यहां पर बड़ी संख्या में लोग सरकारी नौकरी करते हैं. यही कारण है कि स्थानीय स्तर पर लगभग सभी विभागों में यहां स्टाफ सरप्लस रहता है. ऐसे में दिव्यांगों के प्रमाणपत्र बनाने के लिए भी पर्याप्त स्टाफ है. अधिक स्टाफ होने पर शिकायत होते ही तबादलों का भी डर है. इसलिए यहां प्रमाण पत्र बनाने में कोई पैंडेसी नहीं है. दिव्यांगजन को कई बार सरकारी प्रक्रियाओं के दौरान परेशानियों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में दिव्यांगों के लिए कार्य करने वाले संगठन राजस्थान दिव्यांग सेवा संस्थान दिव्यांगों की राह आसान कर रहा है.
दिव्यांग प्रमाण पत्र मिलना हुआ आसान
दिव्यांगों के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है विकलांग प्रमाण पत्र. 40 फीसदी से अधिक विकलांगता होने पर जिला अस्पताल में यह प्रमाण पत्र दिया जाता है. सेवा संस्थान ने कई दिव्यांगों को इस प्रमाण पत्र को सुलभ कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. जिला बीडीके अस्पताल में भी सोमवार और गुरुवार को दिव्यांगजन का प्रमाण पत्र बनाया जाता है. इसके लिए दिव्यांगजन से उनका आधार कार्ड और दो फोटो मांगी जाती है. सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए यह प्रमाण पत्र होना जरूरी है.
हरचंद महला कर रहे दिव्यांगों की मदद
सिर्फ प्रमाण पत्र हासिल हो जाने से दिव्यांगों की परेशानियां खत्म नहीं होती. दिव्यांगजन सरकारी योजनाओं के लाभ के लिए आम आदमी की तरह दफ्तरों के चक्कर नहीं लगा सकते. पब्लिक ट्रांसपोर्ट से सफर करना भी बहुत दुरूह हो जाता है. फिर बैंक से किसी योजना के तहत ऋण लेना हो तो बैंक वाले बहुत चक्कर कटवाते हैं. ऐसे में सेवा संस्थान के अध्यक्ष हरचंद महला कई वर्षों से दिव्यांगजन के इन कार्यों में उनकी मदद कर रहे हैं.
बैंक से ऋण लेने में आती है दिव्यांगों को दिक्कत
दिव्यांग किसी पर बोझ नहीं बनना चाहते इसलिए रोजगार के लिए जरूरी दस्तावेज के लिए दफ्तरों के चक्कर लगाना भी लाजिमी है. कई दिव्यांग खुद के रोजगार या कियोस्क के लिए सरकारी दफ्तरों की परिक्रमा करते हैं. बैंक ऐसे लोगों से कन्नी काटते हैं. राजस्थान दिव्यांग सेवा संस्थान के अध्यक्ष हरंचद महला का कहना है कि वे कई बार कलक्टर के माध्यम से बैंकों की बैठक रख चुके हैं, एक बार थोड़ा कार्य चलता है लेकिन जैसे ही अधिकारी बदलते हैं, वैसे ही काम भी रुक जाता है. ऐसे में बैंकों से ऋण लेना दिव्यांगों के लिए बेहद मुश्किल काम बन जाता है.
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मीटिंग में समस्याएं लेकर आते हैं दिव्यांग
दिव्यांग महिला सुलोचना का कहना है कि उसका बिजली का बिल हजारों में आ रहा है. उसे ठीक करवाने के लिए उसे लगातार चक्कर कटाने पड रहे हैं. फिर भी सुनवाई नहीं हो रही है. सुलोचना का कहना है कि वह बमुश्किल लाइट और पंखा चलाती है, लेकिन बिल इतना आ जाता है कि उसका भरना बस की बात नहीं रही. ऐसे में गरीब दिव्यांगों के लिए हरचंद महला आशा कार्ड को बीपीएल सूची में शामिल करने की भी मांग सरकार से करते रहे हैं. दिव्यांगों के लिए बने हुए आशा कार्ड के ऑनलाइन नहीं होने की वजह से दिव्यांगों को उसका पूरा फायदा नहीं मिल पा रहा है.
दिव्यांगों के लिए निशुल्क ऑटो चलाते हैं संस्था अध्यक्ष
राजस्थान दिव्यांग संस्थान के अध्यक्ष हरंचद महला हर माह की 10 तारीख को बैठक बुलाते हैं. वे खुद टैक्सी चलाते हैं और उन्होंने बाकायदा अपनी टैक्सी पर लिख रखा है विकलांग फ्री. यानि उनकी टैक्सी में कोई विकलांग आ जाए तो उससे किसी भी तरह का कोई शुल्क नहीं लिया जाता. हर माह की 10 तारीख की बैठक में दिव्यांगों की समस्याओं चर्चा होती है. भामाशाहों को उनको कंबल या अन्य कोई सामान देने के लिए तैयार भी किया जाता है. इस तरह हरचंद महला और दिव्यांग सेवा संस्थान दिव्यांगों के लिए पूरी तरह समर्पित होकर कार्य कर रहे हैं.