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लॉकडाउन में 'बेजुबानों' के रहनुमा...ये युवा

झालावाड़ शहर में बेजुबान आवारा जानवरों के चारे की व्यवस्था के लिए कुछ युवक आगे आये हैं. ये युवक गांव से जाकर चारा खरीदते हैं और दिन में तीन वक्त शहर में घूम-घूमकर बेजुबान जानवरों को चारा डालते हैं. वहीं कुत्तों के लिए बाटियां बनाकर डालते हैं.

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जानवरों के लिए दिन में 3 वक्त के चारे की व्यवस्था कर रहे हैं झालावाड़ के युवा
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Published : Apr 17, 2020, 4:44 PM IST

झालावाड़. कोरोना वायरस के चलते घोषित किये गए लॉकडाउन में लोगों के लिए सबसे बड़ी समस्या खाद्य सामग्री की है. लॉकडाउन में जहां आम व्यक्ति भी रोजी-रोटी से परेशान हो रहा है. ऐसे में बेजुबान जानवरों की हालत और भी ज्यादा बदतर हो गयी है. झालावाड़ में सैकड़ों गायें, गोवंश, कुत्ते और आवारा जानवर हैं. जो लॉकडाउन में दाने-दाने के मोहताज हो गए हैं.

जानवरों के लिए दिन में 3 वक्त के चारे की व्यवस्था कर रहे हैं झालावाड़ के युवा

जहां सामान्य दिनों में जानवरों को खाने के लिए कुछ भी डाल दिया करते थे. वहीं अब लोग खुद घरों में कैद हैं तो बेजुबान जानवरों के लिए मुसीबत और बढ़ गई है. ऐसे में इन बेजुबान जानवरों की पीड़ा को समझते हुए झालावाड़ के कुछ युवा आगे आएं हैं और इनके लिए चारे की व्यवस्था कर रहे हैं. ये युवक दिन में तीन वक्त सुबह, दोपहर और शाम को पूरे शहर में घूमकर गौवंश और गायों के लिए हरे चारे की व्यवस्था कर रहे हैं.

यह भी पढ़ेंः आखिर ये आस और उम्मीद कब तक...? साहब कई दिनों से चूल्हे भी नहीं जले

युवकों ने बताया कि लॉकडाउन की वजह से शहर के अनेक बेजुबान आवारा पशुओं को चारा और खाने के लिए कुछ भी नहीं मिल पा रहा है. ऐसे में हम इनके लिए चारे की व्यवस्था कर रहे हैं. शुरुआत में हम खुद ही गांवों में जाकर चारा लेकर आते थे. बाद में आम जनता और विभिन्न संगठनों को साथ लेते हुए इन बेजुबान जानवरों के लिए चारे की व्यवस्था कर रहे हैं.

इनको दिन में 3 बार हरा चारा टेंपो से भरकर शहर में घूम-घूम कर डाला जाता है. युवकों ने बताया कि लॉकडाउन की वजह से लोग घरों से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं. ऐसे में जानवरों को भी खाना मिलना मुश्किल हो गया है. ऐसे में अब हमारे द्वारा उनके लिए चारे की व्यवस्था की जा रही है.

झालावाड़. कोरोना वायरस के चलते घोषित किये गए लॉकडाउन में लोगों के लिए सबसे बड़ी समस्या खाद्य सामग्री की है. लॉकडाउन में जहां आम व्यक्ति भी रोजी-रोटी से परेशान हो रहा है. ऐसे में बेजुबान जानवरों की हालत और भी ज्यादा बदतर हो गयी है. झालावाड़ में सैकड़ों गायें, गोवंश, कुत्ते और आवारा जानवर हैं. जो लॉकडाउन में दाने-दाने के मोहताज हो गए हैं.

जानवरों के लिए दिन में 3 वक्त के चारे की व्यवस्था कर रहे हैं झालावाड़ के युवा

जहां सामान्य दिनों में जानवरों को खाने के लिए कुछ भी डाल दिया करते थे. वहीं अब लोग खुद घरों में कैद हैं तो बेजुबान जानवरों के लिए मुसीबत और बढ़ गई है. ऐसे में इन बेजुबान जानवरों की पीड़ा को समझते हुए झालावाड़ के कुछ युवा आगे आएं हैं और इनके लिए चारे की व्यवस्था कर रहे हैं. ये युवक दिन में तीन वक्त सुबह, दोपहर और शाम को पूरे शहर में घूमकर गौवंश और गायों के लिए हरे चारे की व्यवस्था कर रहे हैं.

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युवकों ने बताया कि लॉकडाउन की वजह से शहर के अनेक बेजुबान आवारा पशुओं को चारा और खाने के लिए कुछ भी नहीं मिल पा रहा है. ऐसे में हम इनके लिए चारे की व्यवस्था कर रहे हैं. शुरुआत में हम खुद ही गांवों में जाकर चारा लेकर आते थे. बाद में आम जनता और विभिन्न संगठनों को साथ लेते हुए इन बेजुबान जानवरों के लिए चारे की व्यवस्था कर रहे हैं.

इनको दिन में 3 बार हरा चारा टेंपो से भरकर शहर में घूम-घूम कर डाला जाता है. युवकों ने बताया कि लॉकडाउन की वजह से लोग घरों से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं. ऐसे में जानवरों को भी खाना मिलना मुश्किल हो गया है. ऐसे में अब हमारे द्वारा उनके लिए चारे की व्यवस्था की जा रही है.

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