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कोरोना से ग्रामीणों की जंग: झालावाड़ की गोविंदपुरा ग्राम पंचायत में 'कोविड-19 दल' ने निभाई योद्धाओं की भूमिका

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Published : Jul 4, 2020, 9:30 PM IST

झालावाड़ के ग्रामीण योद्धाओं की बात की जाए तो गोविंदपुरा ग्राम पंचायत के लोग भी योद्धा से कम नहीं है. यहां के निवासियों ने संयम के साथ लॉकडाउन की पालना की और दूसरों को भी इस बारे में जानकारी दी. इन 'ग्रामीण योद्धाओं' की बदौलत आज ये ग्राम पंचायत पूरी तरह कोरोना मुक्त हो चुकी है. बता दें कि गोविंदपुरा ग्राम पंचायत में 'कोविड-19 दल' ने ग्रामीण योद्धाओं के रूप में कार्य किया है. देखिए ये स्पेशल रिपोर्ट...

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झालावाड़ जिले की गोविंदपुरा ग्राम पंचायत से ग्राउंड रिपोर्ट

झालावाड़. प्रदेश में शहरों के रास्ते कोरोना का खतरा गांव तक पहुंचा. प्रवासियों की दस्तक के बाद कोरोना ने गांव के लोगों को भी चपेट में लेना शुरू कर दिया. झालावाड़ जिला मुख्यालय से 6 और कोरोना के हॉटस्पॉट रहे झालरापाटन से महज 2 किलोमीटर की दूरी पर गोविंदपुरा ग्राम पंचायत स्थित है. जहां की कुल आबादी 4,500 है. ग्राम पंचायत के अंतर्गत चार बड़े गांव आते हैं. जिनमें गोविंदपुरा, धानोदा, खैरासी और मालीपुरा शामिल हैं.

कोविड-19 दल से मिली पहचान

गोविंदपुरा ग्राम पंचायत अपने कोविड-19 दल की वजह से जिले में विशेष चर्चा का कारण बनी है, क्योंकि यहां की ग्राम पंचायत द्वारा बनाए गए कोविड-19 दल ने गांव को कोरोना से महफूज रखने में सबसे अहम भूमिका निभाई है. गोविंदपुरा ग्राम पंचायत के प्रत्येक गांव से तीन चार लोग लिए गए और एक कोविड-19 दल का गठन किया गया. गांव से बाहर जाने वाले व्यक्तियों पर नजर रखते हुए उनको बाहर जाने से रोकना और बाहर से आने वाले व्यक्ति का नाम पता लिखते हुए क्वॉरेंटाइन करने की व्यवस्था करना इनका मुख्य काम रहा. इसके साथ-साथ ग्रामीणों को जरूरत की हर सामग्री कोविड-19 दल की ओर से उपलब्ध करवाई गई. गांव में सैनिटाइजर का छिड़काव करवाने में भी इसी कोविड-19 दल की महत्वपूर्ण भूमिका रही है.

झालावाड़ जिले की गोविंदपुरा ग्राम पंचायत से ग्राउंड रिपोर्ट

पंचायत भवन में क्वॉरेंटाइन की व्यवस्था

गोविंदपुरा ग्राम पंचायत के सरपंच राकेश भील ने बताया कि लॉकडाउन की घोषणा होने के बाद ग्राम पंचायत के लोगों को मास्क का वितरण किया गया. गांव में सोडियम हाइपोक्लोराइट का छिड़काव करवाया गया. इसके अलावा एएनएम और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के माध्यम से घर-घर जाकर लोगों का सर्वे भी करवाया गया. सब्जी और दूध बेचने के लिए बाहर जाने वाले लोगों को गांव में वापस लौटने पर पूरी तरह सैनिटाइज करने की व्यवस्था करवाई गई. इसके अलावा प्रदेश के अन्य जिलों से गांव में आए प्रवासी मजदूरों को शुरुआती 14 दिनों के लिए पंचायत भवन में क्वॉरेंटाइन किया गया. जहां पर उनके लिए खाने-पीने और रहने की उचित व्यवस्था की गई.

यह भी पढ़ें : ग्रामीणों की कोरोना से जंग: बेहतर रणनीति और युवाओं के सहारे राजसमंद का ये गांव लड़ रहा कोरोना से जंग

गोविंदपुरा ग्राम पंचायत पूरी तरह से कोरोना मुक्त

सरपंच ने बताया कि गांव में लोगों को समय पर राशन कार्ड से राशन दिलवाया गया. इसके अलावा जिनका राशन कार्ड नहीं था उनको भामाशाहों और निजी तौर पर भी राशन और भोजन किट वितरित किए गए. सरपंच ने बताया कि गांव में एक महिला फ्रैक्चर होने के कारण जिला अस्पताल में इलाज करवाने गई थी. जिसके चलते वो कोरोना संक्रमित हो गई थी, लेकिन कुछ दिनों बाद उसकी रिपोर्ट भी कोरोना नेगेटिव आ गई थी. ऐसे में आज गोविंदपुरा ग्राम पंचायत पूरी तरह से कोरोना मुक्त हो चुकी है.

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किराना दुकानदार, गोविंदपुरा ग्राम पंचायत

समय पर मिली सभी चीजें

ग्रामीणों ने बताया कि कोरोना से बचने के लिए वे हमेशा मुंह पर रूमाल, मास्क या गमछा बांध कर रखते हैं. इसके अलावा लोगों से 2 मीटर की दूरी बनाते हुए ही बात करते हैं. साथ ही अब उन्होंने झालरापाटन और झालावाड़ शहर में जाना पूरी तरह से बंद कर दिया है. फिर भी जरूरी काम की वजह से बाजार या गांव के बाहर जाते हैं तो आकर नहा लेते हैं. ग्रामीणों ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान उनके लिए ग्राम पंचायत की ओर से समय पर राशन की व्यवस्था करवाई गई. जिसके चलते उनको ज्यादा परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा.

सरकार से मांग

ग्रामीणों कहना है कि लॉकडाउन के कारण उनकी फसलों को काफी नुकसान हुआ है. साथ ही वे अपनी पैदावार को भी कहीं बेच नहीं पाए. ऐसे में सरकार से उनकी मांग है कि किसानों के लिए उचित मुआवजे की घोषणा की जाए. किसानों ने बताया कि सरकार ने अभी तक बिजली के बिल माफ नहीं किए हैं, जबकि पेनल्टी और लगाई जा रही है. ऐसे में उनकी मांग है कि बिजली के बिलों को माफ किया जाना चाहिए.

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गोविंदपुरा ग्राम पंचायत के ग्रामीण

गोविंदपुरा ग्राम पंचायत के कई ऑटो ड्राइवर झालरापाटन में ऑटो चलाने के लिए जाते हैं. ऑटो ड्राइवरों ने बताया कि लॉकडाउन की घोषणा होते ही उन्हें झालरापाटन जाना बंद कर दिया था. फिर उसके बाद झालरापाटन में बड़ी संख्या में कोरोना पॉजिटिव केस भी सामने आए थे. ऐसे में उन्होंने ऑटो चलाने का काम पूरी तरह से बंद किया है. अब गांव में ही रहते हुए खेती करने लग गए हैं.

दुकानदारों ने बताया कि लॉकडाउन के दौर में प्रशासन के निर्देशों के हिसाब से ही उन्होंने दुकानें खोली और सामान का वितरण किया. अब जब भी कोई ग्राहक आता है तो मुंह पर कपड़ा बांधकर दूरी से ही उसे सामान देते हैं. इसके अलावा उन्होंने दुकान के बाहर सोशल डिस्टेंसिंग के लिए गोले बना रखे हैं. ऐसे में ग्राहकों को दूर से ही माल देते हैं और बार-बार हाथों को सैनिटाइज भी करते रहते हैं.

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रास्ते से गुजरती महिला

यह भी पढ़ें. ग्रामीणों की कोरोना से जंग: पाली में सबसे ज्यादा प्रवासी आए सोजत में, खास व्यवस्था के चलते कोरोना मुक्त

अनलॉक होने के बाद ज्यादातर जगह लोग घरों से बाहर निकलने लगे हैं. गोविंदपुरा ग्राम पंचायत के लोग जिस तरह सावधानी बरतते हुए कोरोना को गंभीरता से ले रहे हैं, वह काबिले तारीफ है. गोविंदपुरा ग्राम पंचायत के युवा भी जिम्मेदारी निभाते हुए सजगता से कार्यरत हैं, यह एक सराहनीय पहल है. फिलहाल, ग्रामीण योद्धाओं की वजह से गोविंदपुरा ग्राम पंचायत पूरी तरह से कोरोना फ्री है.

झालावाड़. प्रदेश में शहरों के रास्ते कोरोना का खतरा गांव तक पहुंचा. प्रवासियों की दस्तक के बाद कोरोना ने गांव के लोगों को भी चपेट में लेना शुरू कर दिया. झालावाड़ जिला मुख्यालय से 6 और कोरोना के हॉटस्पॉट रहे झालरापाटन से महज 2 किलोमीटर की दूरी पर गोविंदपुरा ग्राम पंचायत स्थित है. जहां की कुल आबादी 4,500 है. ग्राम पंचायत के अंतर्गत चार बड़े गांव आते हैं. जिनमें गोविंदपुरा, धानोदा, खैरासी और मालीपुरा शामिल हैं.

कोविड-19 दल से मिली पहचान

गोविंदपुरा ग्राम पंचायत अपने कोविड-19 दल की वजह से जिले में विशेष चर्चा का कारण बनी है, क्योंकि यहां की ग्राम पंचायत द्वारा बनाए गए कोविड-19 दल ने गांव को कोरोना से महफूज रखने में सबसे अहम भूमिका निभाई है. गोविंदपुरा ग्राम पंचायत के प्रत्येक गांव से तीन चार लोग लिए गए और एक कोविड-19 दल का गठन किया गया. गांव से बाहर जाने वाले व्यक्तियों पर नजर रखते हुए उनको बाहर जाने से रोकना और बाहर से आने वाले व्यक्ति का नाम पता लिखते हुए क्वॉरेंटाइन करने की व्यवस्था करना इनका मुख्य काम रहा. इसके साथ-साथ ग्रामीणों को जरूरत की हर सामग्री कोविड-19 दल की ओर से उपलब्ध करवाई गई. गांव में सैनिटाइजर का छिड़काव करवाने में भी इसी कोविड-19 दल की महत्वपूर्ण भूमिका रही है.

झालावाड़ जिले की गोविंदपुरा ग्राम पंचायत से ग्राउंड रिपोर्ट

पंचायत भवन में क्वॉरेंटाइन की व्यवस्था

गोविंदपुरा ग्राम पंचायत के सरपंच राकेश भील ने बताया कि लॉकडाउन की घोषणा होने के बाद ग्राम पंचायत के लोगों को मास्क का वितरण किया गया. गांव में सोडियम हाइपोक्लोराइट का छिड़काव करवाया गया. इसके अलावा एएनएम और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के माध्यम से घर-घर जाकर लोगों का सर्वे भी करवाया गया. सब्जी और दूध बेचने के लिए बाहर जाने वाले लोगों को गांव में वापस लौटने पर पूरी तरह सैनिटाइज करने की व्यवस्था करवाई गई. इसके अलावा प्रदेश के अन्य जिलों से गांव में आए प्रवासी मजदूरों को शुरुआती 14 दिनों के लिए पंचायत भवन में क्वॉरेंटाइन किया गया. जहां पर उनके लिए खाने-पीने और रहने की उचित व्यवस्था की गई.

यह भी पढ़ें : ग्रामीणों की कोरोना से जंग: बेहतर रणनीति और युवाओं के सहारे राजसमंद का ये गांव लड़ रहा कोरोना से जंग

गोविंदपुरा ग्राम पंचायत पूरी तरह से कोरोना मुक्त

सरपंच ने बताया कि गांव में लोगों को समय पर राशन कार्ड से राशन दिलवाया गया. इसके अलावा जिनका राशन कार्ड नहीं था उनको भामाशाहों और निजी तौर पर भी राशन और भोजन किट वितरित किए गए. सरपंच ने बताया कि गांव में एक महिला फ्रैक्चर होने के कारण जिला अस्पताल में इलाज करवाने गई थी. जिसके चलते वो कोरोना संक्रमित हो गई थी, लेकिन कुछ दिनों बाद उसकी रिपोर्ट भी कोरोना नेगेटिव आ गई थी. ऐसे में आज गोविंदपुरा ग्राम पंचायत पूरी तरह से कोरोना मुक्त हो चुकी है.

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किराना दुकानदार, गोविंदपुरा ग्राम पंचायत

समय पर मिली सभी चीजें

ग्रामीणों ने बताया कि कोरोना से बचने के लिए वे हमेशा मुंह पर रूमाल, मास्क या गमछा बांध कर रखते हैं. इसके अलावा लोगों से 2 मीटर की दूरी बनाते हुए ही बात करते हैं. साथ ही अब उन्होंने झालरापाटन और झालावाड़ शहर में जाना पूरी तरह से बंद कर दिया है. फिर भी जरूरी काम की वजह से बाजार या गांव के बाहर जाते हैं तो आकर नहा लेते हैं. ग्रामीणों ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान उनके लिए ग्राम पंचायत की ओर से समय पर राशन की व्यवस्था करवाई गई. जिसके चलते उनको ज्यादा परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा.

सरकार से मांग

ग्रामीणों कहना है कि लॉकडाउन के कारण उनकी फसलों को काफी नुकसान हुआ है. साथ ही वे अपनी पैदावार को भी कहीं बेच नहीं पाए. ऐसे में सरकार से उनकी मांग है कि किसानों के लिए उचित मुआवजे की घोषणा की जाए. किसानों ने बताया कि सरकार ने अभी तक बिजली के बिल माफ नहीं किए हैं, जबकि पेनल्टी और लगाई जा रही है. ऐसे में उनकी मांग है कि बिजली के बिलों को माफ किया जाना चाहिए.

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गोविंदपुरा ग्राम पंचायत के ग्रामीण

गोविंदपुरा ग्राम पंचायत के कई ऑटो ड्राइवर झालरापाटन में ऑटो चलाने के लिए जाते हैं. ऑटो ड्राइवरों ने बताया कि लॉकडाउन की घोषणा होते ही उन्हें झालरापाटन जाना बंद कर दिया था. फिर उसके बाद झालरापाटन में बड़ी संख्या में कोरोना पॉजिटिव केस भी सामने आए थे. ऐसे में उन्होंने ऑटो चलाने का काम पूरी तरह से बंद किया है. अब गांव में ही रहते हुए खेती करने लग गए हैं.

दुकानदारों ने बताया कि लॉकडाउन के दौर में प्रशासन के निर्देशों के हिसाब से ही उन्होंने दुकानें खोली और सामान का वितरण किया. अब जब भी कोई ग्राहक आता है तो मुंह पर कपड़ा बांधकर दूरी से ही उसे सामान देते हैं. इसके अलावा उन्होंने दुकान के बाहर सोशल डिस्टेंसिंग के लिए गोले बना रखे हैं. ऐसे में ग्राहकों को दूर से ही माल देते हैं और बार-बार हाथों को सैनिटाइज भी करते रहते हैं.

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रास्ते से गुजरती महिला

यह भी पढ़ें. ग्रामीणों की कोरोना से जंग: पाली में सबसे ज्यादा प्रवासी आए सोजत में, खास व्यवस्था के चलते कोरोना मुक्त

अनलॉक होने के बाद ज्यादातर जगह लोग घरों से बाहर निकलने लगे हैं. गोविंदपुरा ग्राम पंचायत के लोग जिस तरह सावधानी बरतते हुए कोरोना को गंभीरता से ले रहे हैं, वह काबिले तारीफ है. गोविंदपुरा ग्राम पंचायत के युवा भी जिम्मेदारी निभाते हुए सजगता से कार्यरत हैं, यह एक सराहनीय पहल है. फिलहाल, ग्रामीण योद्धाओं की वजह से गोविंदपुरा ग्राम पंचायत पूरी तरह से कोरोना फ्री है.

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