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झालावाड़: भारी बारिश के चलते किसानों की 90 प्रतिशत फसलें खराब - crops were damaged

झालावाड़ में इस बार भारी बारिश के चलते किसानों की 90 प्रतिशत तक फसलें खराब हुई है. इनमें सोयाबीन और मक्के की फसलों में इल्ली लग चुकी है. वहीं कई जगह पर अभी भी पानी भरा होने की वजह से फसल गल चुकी है.

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Published : Sep 8, 2019, 11:36 AM IST

झालावाड़. जिले ंमें इस बार मानसून की जबरदस्त मार देखने को मिली है. मानसून के दौरान भारी बारिश के चलते यूं तो सभी लोगों को परेशानी उठानी पड़ी है लेकिन अगर कोई वर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है तो वह किसान वर्ग.

बारिश के चलते किसानों की फसलें हुई खराब

वहीं भारी बारिश के चलते जहां कई खेतों में फसलें नष्ट हो गई तो कई खेतों में अभी भी पानी भरा हुआ है. लेकिन अभी तक न तो कोई प्रशासनिक अधिकारी और ना ही बीमा कंपनियां फसल खराब होने का मुआयना करने पहुंची है. वहीं इसको लेकर किसानों में जबरदस्त आक्रोश है. इसलिए किसान खुद ही खराब हुई फसलों के पौधे लेकर प्रशासनिक अधिकारियों के पास पहुंच रहे हैं.

पढ़ें- नर कंकाल मामले में पुलिस का बड़ा खुलासा...पत्नी ने प्रेमी संग मिलकर की थी पति की हत्या

इस सीजन में किसानों ने मुख्यतः सोयाबीन, उड़द, मूंगफली और मक्के की फसल बोयी थी जिनमें सबसे ज्यादा सोयाबीन की फसल बोयी गयी थी लेकिन भारी बारिश के चलते सोयाबीन की फसलों में इल्ली लग चुकी है.

वहीं किसानों का कहना है कि खेतों में 90 प्रतिशत तक की फसल खराब हुई है. उसके बावजूद बीमा कम्पनी और प्रशासनिक अधिकारी मुआवजा तो दूर मुआयना भी नहीं करने आये है. किसानों का कहना है कि बीमा कंपनियों की ओर से हर बार उनके अकाउंट में से बीमा के नाम पर पैसे तो काट लिए जाते हैं लेकिन अभी तक क्लेम नहीं दिया गया है.

झालावाड़. जिले ंमें इस बार मानसून की जबरदस्त मार देखने को मिली है. मानसून के दौरान भारी बारिश के चलते यूं तो सभी लोगों को परेशानी उठानी पड़ी है लेकिन अगर कोई वर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है तो वह किसान वर्ग.

बारिश के चलते किसानों की फसलें हुई खराब

वहीं भारी बारिश के चलते जहां कई खेतों में फसलें नष्ट हो गई तो कई खेतों में अभी भी पानी भरा हुआ है. लेकिन अभी तक न तो कोई प्रशासनिक अधिकारी और ना ही बीमा कंपनियां फसल खराब होने का मुआयना करने पहुंची है. वहीं इसको लेकर किसानों में जबरदस्त आक्रोश है. इसलिए किसान खुद ही खराब हुई फसलों के पौधे लेकर प्रशासनिक अधिकारियों के पास पहुंच रहे हैं.

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इस सीजन में किसानों ने मुख्यतः सोयाबीन, उड़द, मूंगफली और मक्के की फसल बोयी थी जिनमें सबसे ज्यादा सोयाबीन की फसल बोयी गयी थी लेकिन भारी बारिश के चलते सोयाबीन की फसलों में इल्ली लग चुकी है.

वहीं किसानों का कहना है कि खेतों में 90 प्रतिशत तक की फसल खराब हुई है. उसके बावजूद बीमा कम्पनी और प्रशासनिक अधिकारी मुआवजा तो दूर मुआयना भी नहीं करने आये है. किसानों का कहना है कि बीमा कंपनियों की ओर से हर बार उनके अकाउंट में से बीमा के नाम पर पैसे तो काट लिए जाते हैं लेकिन अभी तक क्लेम नहीं दिया गया है.

Intro:झालावाड़ में इस बार भारी बारिश के चलते किसानों की 90% तक फसलें खराब हुई है। इनमें सोयाबीन व मक्के की फसलों में इल्ली लग चुकी है तथा कई जगह पर अभी भी पानी भरा होने की वजह से फसल गल चुकी है.


Body:झालावाड़ में इस बार मानसून की जबरदस्त मार देखने को मिली है. मानसून के दौरान भारी बारिश के चलते यूं तो सभी लोगों को परेशानी उठानी पड़ी है लेकिन अगर कोई वर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है तो वह किसान वर्ग... भारी बारिश के चलते जहां कई खेतों में फसलें नष्ट हो गई तो कई खेतों में अभी भी पानी भरा हुआ है लेकिन अभी तक न तो कोई प्रशासनिक अधिकारी और न ही बीमा कंपनियां फसल खराबे का मुआयना करने पहुंची है. इसको लेकर किसानों में जबरदस्त आक्रोश है. इसलिए किसान खुद ही खराब हुए फसलों के पौधे लेकर प्रशासनिक अधिकारियों के पास पहुंच रहे हैं.

इस सीजन में किसानों ने मुख्यतः सोयाबीन, उड़द, मूंगफली व मक्के की फसल बोयी थी जिनमें सबसे ज्यादा सोयाबीन की फसल बोयी गयी थी लेकिन भारी बारिश के चलते सोयाबीन की फसलों में इल्ली लग चुकी है तो कई जगह पानी भरा होने से फसलें गल चुकी है. किसानों का कहना है कि खेतों में 90 प्रतिशत तक का खराबा हुआ है. उसके बावजूद बीमा कंपनियों व प्रशासनिक अधिकारियों मुआवजा तो दूर मुआयना भी नहीं किया गया है. किसानों का कहना है कि बीमा कंपनियों के द्वारा हर बार उनके अकाउंट में से बीमा के नाम पर पैसे तो काट लिए जाते हैं लेकिन अभी तक क्लेम नहीं दिया गया है.


Conclusion:सभी बाइट किसानों की है।
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