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झालावाड़: करोड़ों खर्च करने के बावजूद 4 महीने में दूसरी बार कालीसिंध पावर प्लांट की यूनिट ठप

कालीसिंध थर्मल पावर प्लांट की एक यूनिट मरम्मत के चार माह बाद फिर से ठप हो गई है. वहीं उत्पादन प्रभावित होने से भारी नुकसान हो रहा है.

कालीसिंध पावर प्लांट
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Published : Apr 21, 2019, 8:09 PM IST

झालावाड़. कालीसिंध थर्मल पावर प्लांट चाइना की आधुनिक तकनीक पर बना राजस्थान का पहला पावर प्लांट है. लेकिन थर्मल की पहली व दूसरी यूनिट 1 साल में ही 2 बार खराब हो चुकी है.

दरअसल, राजस्थान में कालीसिंध थर्मल पावर प्लांट अत्याधुनिक तकनीकि से बना है. लेकिन इसमें लगातार खराबी आती रही है. थर्मल प्लांट की दूसरी यूनिट अप्रैल 2018 में पहली बार खराब हुई थी. जिसे सही करवा कर दिसंबर में ही चालू किया गया था. वहीं 4 महीने बाद ही थर्मल की दूसरी यूनिट फिर से खराब हो गई है. ऐसे में अत्याधुनिक तकनीक से बने होने पर और करोड़ों की लागत से रिपेयरिंग होने के बावजूद भी दूसरी यूनिट का 4 महीने में ही खराब हो जाना सवालिया निशान खड़ा करता है.

4 महीने में दूसरी बार कालीसिंध पावर प्लांट की यूनिट ठप

दूसरी यूनिट को शुरू हुए 2 वर्ष 8 माह ही हुए थे. इसके बाद अप्रैल 2018 को जनरेटर में बड़ी तकनीकी खामी आ गई थी. जिसके चलते वह बंद हो गई थी. इसको सही करवाने के लिए भेल व डोंग-फोंग जैसी कंपनियों के एक्सपर्ट को भी बुलाया गया था. तब इसको सही करवाने में तकरीबन 26 करोड़ का खर्चा आया था. दूसरी यूनिट से दिसंबर 2018 में उत्पादन शुरू ही हुआ था कि अचानक इसी माह जनरेटर में तकनीकी खामी आने से फिर से बंद हो गई. इस यूनिट से 4 माह में करीब 16000 यूनिट का ही उत्पादन हुआ था. ऐसे में थर्मल अधिकारियों की एक बार फिर से चिंता बढ़ गई है.

दूसरी यूनिट के बंद होने से करीब साढे तीन करोड़पति दिन का नुकसान थर्मल पावर प्लांट को हो रहा है. इसके चलते पावर प्लांट का नुकसान बढ़ने की संभावना है. वहीं समस्या को लेकर थर्मल पावर प्लांट के चीफ इंजीनियर एम एल शर्मा से बताया कि दूसरी यूनिट अभी गारंटी पीरियड में है. इसको सही करवाने के लिए भेल के इंजीनियरों से संपर्क किया जा रहा है. टीम आने के बाद ही सही हो पाएगी.

झालावाड़. कालीसिंध थर्मल पावर प्लांट चाइना की आधुनिक तकनीक पर बना राजस्थान का पहला पावर प्लांट है. लेकिन थर्मल की पहली व दूसरी यूनिट 1 साल में ही 2 बार खराब हो चुकी है.

दरअसल, राजस्थान में कालीसिंध थर्मल पावर प्लांट अत्याधुनिक तकनीकि से बना है. लेकिन इसमें लगातार खराबी आती रही है. थर्मल प्लांट की दूसरी यूनिट अप्रैल 2018 में पहली बार खराब हुई थी. जिसे सही करवा कर दिसंबर में ही चालू किया गया था. वहीं 4 महीने बाद ही थर्मल की दूसरी यूनिट फिर से खराब हो गई है. ऐसे में अत्याधुनिक तकनीक से बने होने पर और करोड़ों की लागत से रिपेयरिंग होने के बावजूद भी दूसरी यूनिट का 4 महीने में ही खराब हो जाना सवालिया निशान खड़ा करता है.

4 महीने में दूसरी बार कालीसिंध पावर प्लांट की यूनिट ठप

दूसरी यूनिट को शुरू हुए 2 वर्ष 8 माह ही हुए थे. इसके बाद अप्रैल 2018 को जनरेटर में बड़ी तकनीकी खामी आ गई थी. जिसके चलते वह बंद हो गई थी. इसको सही करवाने के लिए भेल व डोंग-फोंग जैसी कंपनियों के एक्सपर्ट को भी बुलाया गया था. तब इसको सही करवाने में तकरीबन 26 करोड़ का खर्चा आया था. दूसरी यूनिट से दिसंबर 2018 में उत्पादन शुरू ही हुआ था कि अचानक इसी माह जनरेटर में तकनीकी खामी आने से फिर से बंद हो गई. इस यूनिट से 4 माह में करीब 16000 यूनिट का ही उत्पादन हुआ था. ऐसे में थर्मल अधिकारियों की एक बार फिर से चिंता बढ़ गई है.

दूसरी यूनिट के बंद होने से करीब साढे तीन करोड़पति दिन का नुकसान थर्मल पावर प्लांट को हो रहा है. इसके चलते पावर प्लांट का नुकसान बढ़ने की संभावना है. वहीं समस्या को लेकर थर्मल पावर प्लांट के चीफ इंजीनियर एम एल शर्मा से बताया कि दूसरी यूनिट अभी गारंटी पीरियड में है. इसको सही करवाने के लिए भेल के इंजीनियरों से संपर्क किया जा रहा है. टीम आने के बाद ही सही हो पाएगी.

Intro:मरम्मत के 4 महीने बाद ही जवाब दे गई थर्मल की दूसरी यूनिट,

करोड़ों रुपए से रिपेयरिंग होने के बावजूद भी 4 महीने में ही खराब हो गई थर्मल की दूसरी यूनिट

इसमें चीफ इंजीनियर एम एल शर्मा ने बाइट देने से मना कर दिया. उनका कहना है कि मेरी बाइट का राजनीतिक फायदा उठाया जा सकता है.


Body:झालावाड़ का कालीसिंध थर्मल पावर प्लांट चाइना की आधुनिक तकनीक पर बना राजस्थान का पहला पावर प्लांट है लेकिन थर्मल की पहली व दूसरी यूनिट 1 साल में ही 2 बार खराब हो चुकी है. थर्मल की दूसरी यूनिट अप्रैल 2018 में पहली बार खराब हुई थी जिसे सही करवा कर दिसंबर में ही चालू किया गया था लेकिन अब 4 महीने बाद ही थर्मल की दूसरी यूनिट फिर से खराब हो गई है. ऐसे में अत्याधुनिक तकनीक से बने होने पर और करोड़ों की लागत से रिपेयरिंग होने के बावजूद भी दूसरी यूनिट का 4 महीने में ही खराब हो जाना सवालिया निशान खड़ा करता है.


Conclusion:दूसरी यूनिट को शुरू हुए 2 वर्ष 8 माह ही हुए थे कि अप्रैल 2018 को जनरेटर में बड़ी तकनीकी खामी आ गई थी जिससे वह बंद हो गई थी. इसको सही करवाने के लिए भेल व डोंग-फोंग जैसी कंपनियों के एक्सपर्ट को भी बुलाया गया था. तब इसको सही करवाने में तकरीबन 26 करोड़ का खर्चा आया था. दूसरी यूनिट से दिसंबर 2018 में उत्पादन शुरू ही हुआ था कि अचानक इसी माह जनरेटर में तकनीकी खामी आने से फिर से बंद हो गई. इस यूनिट से 4 माह में करीब 16000 यूनिट का ही उत्पादन हुआ था. ऐसे में थर्मल अधिकारियों की एक बार फिर से चिंता बढ़ गई है. दूसरी यूनिट के बंद होने से करीब साढे तीन करोड़पति दिन का नुकसान थर्मल पावर प्लांट को हो रहा है. इसके चलते पावर प्लांट का नुकसान बढ़ने की संभावना है.

वही जब हमने थर्मल पावर प्लांट के चीफ इंजीनियर एम एल शर्मा से बात की तो उनका कहना था कि दूसरी यूनिट अभी गारंटी पीरियड में है. इसको सही करवाने के लिए भेल के इंजीनियरों से संपर्क किया जा रहा है. वहां से टीम आने के बाद ही सही हो पाएगी.
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