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स्पेशल: बिजली कटौती 'धरती पुत्रों' के माथे पर ला रही चिंता की लकीरें, जब सुनाया...

अच्छी कृषि के लिए खाद, बीज और उपकरणओं के साथ-साथ बिजली एक मुख्य आवश्यकता है. लेकिन इन दिनों झालावाड़ जिले में हो रही बिजली कटौती धरती पुत्रों के लिए परेशानी का सबब बन रही है, जानिए खास रिपोर्ट के जरिए...

farmers in jhalawar, झालावाड़ की ताजा खबर
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Published : Nov 25, 2019, 11:06 AM IST

झालावाड़. किसी भी देश की आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए कृषि एक अहम हिस्सा होती है. कृषि में अधिक से अधिक किया गया सुधार उस देश को बुलंदियों पर ले जाता है. अच्छी कृषि के लिए खाद, बीज और उपकरणओं के साथ-साथ बिजली एक मुख्य आवश्यकता होती है. वहीं देश के अन्नदाता तक बिजली पहुंचे, यह सत्ता में बैठे नेताओं की जिम्मेदारी होती है. लेकिन झालावाड़ जिले के नांदेड़ा में जिस तरह बिजली के अभाव में किसान खेती से वंचित हो रहे हैं, वह चिंता का विषय है.

farmers in jhalawar, झालावाड़ की ताजा खबर

क्षेत्र में किसानों को इस समय सुचारू रूप से 6 घंटे बिजली आपूर्ति की अति आवश्यक है. परन्तु जयपुर डिस्कॉम केवल 4 घंटे बिजली दे पा रहा है, और उसमें भी भारी कटौती देखने को मिल रही है. इस समय रबी की फसल मे गेहूं की बुवाई का अनुकूल समय चल रहा है, परन्तु बिजली के अभाव मे गेहूं की बुवाई समय पर नहीं हो पा रही है. किसानों को इस समय गेहूं की खेती के साथ-साथ आलू की बुवाई के लिए पलेवा करना है और दो सप्ताह बाद ही सरसों की फसल के लिए भी खेतों में पानी देना होगा. लेकिन बिजली विभाग का बिजली सप्लाई का यही रवैया रहा तो इस साल किसानों को रबी की फसल में काफी लम्बा नुकसान उठाना पड़ सकता है. नान्देडा, कामखेड़ा, सरेडी, आदि गांवों में बिजली सप्लाई की परेशानी बनी हुई है.

किसानों की भी एक अलग ही संघर्ष पूर्ण कहानी होती है. सूखा, बारिश, सर्दी और गर्मी जैसी तकलीफों से जूझ कर भी जब वह सरकार से अच्छी बिजली की उम्मीद नहीं रखे तो क्या करें.! पर यहां भी उसके हाथ निराशा लग रही है. बारिश की मार झेल चुके अब बिजली की मार झेल रहे है, ऐसे में किसान बिजली कटौती को लेकर धरना करें या खेती पर ध्यान दें.

वहीं किसान विनोद ने बताया कि लाइट नहीं आती है, और आती भी है तो रात में आती है. अब यदि रात में काम करे तो जहरीले जानवर सांप, बिच्छु आदि का डर बना रहता है. ऐसे में रात में काम करने पर जान का खतरा भी होता है. वहीं किसानों की मांग है कि कम से कम खेती के लिए दिन में भी बिजली उपलब्ध हो जाए तो वे खेती कर पाएंगे.

पढ़ें: Special: गहलोत सरकार के पिछले कार्यकाल में शुरू हुए Affordable Housing Project को लगा 'ग्रहण', महज 40 प्रतिशत काम हुआ पूरा

वहीं एक अन्य किसान ने बताया कि बिजली तो नहीं मिल रही है, लेकिन बिजली का बिल हर माह बिजली कंपनी किसानों को थमा जाती है. टुकड़ों में और कम बिजली मिलने से किसान को एक खेत की सिंचाई करने में ही दो से तीन दिन लग रहे हैं. जिससे वह अपने सभी खेतों को बुवाई के लिए तैयार नहीं कर पा रहा है. बार-बार बिजली जाने से किसानों के ट्यूबवेल की मोटर व स्टार्टर भी खराब हो रहे हैं. जिन्हें सुधरवाने के लिए उन्हें अधिक खर्च करना पड़ता है.

एक ओर प्रशासन का दूसरा चेहरा यह भी है कि किसान बिजली आपूर्ति न मिलने पर जब बिजली कंपनी के अफसरों और कर्मचारियों से बात करते हैं तो पहले तो वे फोन ही रिसीव नहीं करते. फोन रिसीव कर भी लेते हैं तो समस्या दूर करने की जगह उन्हें टाल देते हैं.

झालावाड़. किसी भी देश की आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए कृषि एक अहम हिस्सा होती है. कृषि में अधिक से अधिक किया गया सुधार उस देश को बुलंदियों पर ले जाता है. अच्छी कृषि के लिए खाद, बीज और उपकरणओं के साथ-साथ बिजली एक मुख्य आवश्यकता होती है. वहीं देश के अन्नदाता तक बिजली पहुंचे, यह सत्ता में बैठे नेताओं की जिम्मेदारी होती है. लेकिन झालावाड़ जिले के नांदेड़ा में जिस तरह बिजली के अभाव में किसान खेती से वंचित हो रहे हैं, वह चिंता का विषय है.

farmers in jhalawar, झालावाड़ की ताजा खबर

क्षेत्र में किसानों को इस समय सुचारू रूप से 6 घंटे बिजली आपूर्ति की अति आवश्यक है. परन्तु जयपुर डिस्कॉम केवल 4 घंटे बिजली दे पा रहा है, और उसमें भी भारी कटौती देखने को मिल रही है. इस समय रबी की फसल मे गेहूं की बुवाई का अनुकूल समय चल रहा है, परन्तु बिजली के अभाव मे गेहूं की बुवाई समय पर नहीं हो पा रही है. किसानों को इस समय गेहूं की खेती के साथ-साथ आलू की बुवाई के लिए पलेवा करना है और दो सप्ताह बाद ही सरसों की फसल के लिए भी खेतों में पानी देना होगा. लेकिन बिजली विभाग का बिजली सप्लाई का यही रवैया रहा तो इस साल किसानों को रबी की फसल में काफी लम्बा नुकसान उठाना पड़ सकता है. नान्देडा, कामखेड़ा, सरेडी, आदि गांवों में बिजली सप्लाई की परेशानी बनी हुई है.

किसानों की भी एक अलग ही संघर्ष पूर्ण कहानी होती है. सूखा, बारिश, सर्दी और गर्मी जैसी तकलीफों से जूझ कर भी जब वह सरकार से अच्छी बिजली की उम्मीद नहीं रखे तो क्या करें.! पर यहां भी उसके हाथ निराशा लग रही है. बारिश की मार झेल चुके अब बिजली की मार झेल रहे है, ऐसे में किसान बिजली कटौती को लेकर धरना करें या खेती पर ध्यान दें.

वहीं किसान विनोद ने बताया कि लाइट नहीं आती है, और आती भी है तो रात में आती है. अब यदि रात में काम करे तो जहरीले जानवर सांप, बिच्छु आदि का डर बना रहता है. ऐसे में रात में काम करने पर जान का खतरा भी होता है. वहीं किसानों की मांग है कि कम से कम खेती के लिए दिन में भी बिजली उपलब्ध हो जाए तो वे खेती कर पाएंगे.

पढ़ें: Special: गहलोत सरकार के पिछले कार्यकाल में शुरू हुए Affordable Housing Project को लगा 'ग्रहण', महज 40 प्रतिशत काम हुआ पूरा

वहीं एक अन्य किसान ने बताया कि बिजली तो नहीं मिल रही है, लेकिन बिजली का बिल हर माह बिजली कंपनी किसानों को थमा जाती है. टुकड़ों में और कम बिजली मिलने से किसान को एक खेत की सिंचाई करने में ही दो से तीन दिन लग रहे हैं. जिससे वह अपने सभी खेतों को बुवाई के लिए तैयार नहीं कर पा रहा है. बार-बार बिजली जाने से किसानों के ट्यूबवेल की मोटर व स्टार्टर भी खराब हो रहे हैं. जिन्हें सुधरवाने के लिए उन्हें अधिक खर्च करना पड़ता है.

एक ओर प्रशासन का दूसरा चेहरा यह भी है कि किसान बिजली आपूर्ति न मिलने पर जब बिजली कंपनी के अफसरों और कर्मचारियों से बात करते हैं तो पहले तो वे फोन ही रिसीव नहीं करते. फोन रिसीव कर भी लेते हैं तो समस्या दूर करने की जगह उन्हें टाल देते हैं.

Intro:अकलेरा झालावाड़ हेमराज शर्मा




अकलेरा/झालावाड़/ जिले के
नान्देडा
क्षेत्र में किसानों को इस समय सुचारू रूप से 6 घंटे बिजली आपूर्ति की अति आवश्यक है परन्तु जयपुर डिस्कॉम द्वारा इस समय किसानों को मात्र 4 घंटे बिजली मिल पा रही है वह भी कई छोटे-छोटे टुकड़ों में जिससे खेती का काम पिछड़ता जा रहा है। किसानों का कहना है कि चार घंटे की विद्युत आपूर्ति में भी कई बार बिजली की ट्रिप हो जाती है। इस समय रबी की फसल मे गेहूं की बुवाई का अनुकूल समय चल रहा है परन्तु बिजली के अभाव मे गेहूं की बुवाई समय पर होना संभव दिख नहीं रहा है। किसानों को इस समय गेहूं की खेती के साथ-साथ आलू की बुवाई के लिए पलेवा करना है और दो सप्ताह बाद ही सरसों की फसल के लिए भी खेतों में पानी देना होगा परन्तु बिजली विभाग का बिजली सप्लाई का यही रवैया रहा तो इस वर्ष किसानों को रबी की फसल में काफी लम्बा नुकसान उठाना पड़ सकता है । नान्देडा, कामखेड़ा,सरेडी, आदि गांवों में बिजली सप्लाई के परेशानी बनी हुई है।Body:धरती के अन्नदाता किसान कहें जाने वाले अन्नदाता करें पुकार अब तो सुनो पुकार सरकार पहले ही बारिश की मार झेल चुके अब बिजली की मार झेल रहे है ऐसे में किसान बिजली कटौती को लेकर धरना प्रदर्शन की भी नहीं कर सकते हैं क्यूंकि कहीं फसलें प्रभावित नहीं हो जाए करें तो क्या करें अब तो भगवान भरोसा है। धरना प्रदर्शन करें या सरकार से मांगे पूरी करने के लिए पुकार करें ऐसे में धरती का अन्नदाता अपनी खेती को सूचित करें या बिजली विभाग के चक्कर काटे जब भी देखा गया अन्नदाता किसान ही छला गया । अब तो कर करके पुकार आंखें नम हो गई एक तरफ बारिश की मार ने सताया दूसरी ओर बिजली विभाग ने सताया तीसरी ओम रात को सिंचाई करते हैं तो जीव जंतुओं का डर सता रहा ऐसे में अन्नदाता पुकार करे तो किससे करें बस अब तो भगवान ही तेरा भरोसा है।

खबर में किसानों की बाइटConclusion:. धरती के अन्नदाता कहे जाने वाले किसान वैसे तो किसानों को अन्नदाता कहा जाता है परंतु वही रात के समय सिंचाई करता है जहरीले जीव जंतुओं का शिकार हो जाता है ऐसे में बिजली विभाग की लापरवाही सीधे-सीधे नजर आ रही है।


रबी सीजन में किसानों के सामने एक बार फिर बिजली कटौती से आफत आ खड़ी हुई है। विगत एक सप्ताह से क्षेत्र के किसान विद्युत की आंख मिचौली और कम वोल्टेज से खासे परेशान हैं। कम वोल्टेज मिलने से किसानों की विद्युत मोटर जलकर खराब हो रही हैं और उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।


- यदि किसी वजह से दिन के समय बिजली नहीं मिल रही है तो कंपनी रात में भी आपूर्ति देकर किसानों को बिजली नहीं दे रही है। ऐसे में किसानों को बिजली मिल ही नहीं पा रही है। जबकि बिजली कंपनी किसानों को बिल जरूर हर माह थमा रही है।



टुकड़ों में और कम बिजली मिलने से किसान को एक खेत की सिंचाई करने में ही दो से तीन दिन लग रहे हैं। इससे वह अपने सभी खेतों को बुवाई के लिए तैयार नहीं कर पा रहा है।

- बार बार बिजली जाने से किसानों के ट्यूबवेल की मोटर व स्टार्टर भी खराब हो रहे हैं। जिन्हें सुधरवाने के लिए उन्हें अधिक खर्च करना पड़ता है।

- किसान बिजली आपूर्ति न मिलने पर जब बिजली कंपनी के अफसरों व कर्मचारयिों से बात करते हैं तो पहले तो वे फोन ही रिसीव नहीं करते। फोन रिसीव कर भी लेते हैं तो समस्या दूर करने की जगह उन्हें टाल देते हैं। साथ ही ऑफिस व बिजली घर में वे नहीं मिलते। ऐसे में किसानों की समस्या दूर नहीं हो पा रही है।
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