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झालावाड़ में नेत्रदान को मिलेगा बढ़ावा, मेडिकल कॉलेज 'आई रिट्रीवल सेंटर' के लिए अधिकृत - Eye Retrieval Center

झालावाड़ मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल को आई रिट्रीवल सेंटर के रूप में अधिकृत कर दिया गया है. ऐसे में अब इच्छुक लोगों के नेत्रदान करने पर कॉर्निया निकालने के लिए बाहर से डॉक्टरों की टीम नहीं बुलानी पड़ेगी. इससे मृतकों के परिजनों को परेशानी नहीं होगी, साथ ही नेत्रदान के प्रति लोगों में रुझान बढ़ेगा.

Authorized for Medical College Eye Retrieval Center
मेडिकल कॉलेज आई रिट्रीवल सेंटर के लिए अधिकृत
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Published : Aug 28, 2020, 10:34 PM IST

झालावाड़. सरकार नेत्रदान के प्रति लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए समय-समय पर अभियान चलाती है. इससे प्रेरित होकर काफी संख्या में लोग नेत्रदान कर भी रहे हैं जिससे हर साल प्रदेश में हजारों दृष्टि बाधित लोग फिर से दुनिया देख पा रहे हैं. पहले नेत्रदान करने पर बड़े शहरों से डॉक्टरों की टीम बुलानी पड़ती थी जो ऑपरेट कर कार्निया निकाल लेते थे. इसमें कभी-कभी वक्त लग जाता था, लेकिन अब झालावाड़ मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल को आई रिट्रीवल सेंटर के रूप में अधिकृत कर दिया गया है. जिससे समय रहते कॉर्निया निकाला जा सकेगा.

मेडिकल कॉलेज आई रिट्रीवल सेंटर के लिए अधिकृत

झालावाड़ में कोरोना वायरस के फैलते प्रकोप के बीच हेल्थ सेक्टर में एक बड़ी सुविधा शुरू होेने जा रही है. आई रिट्रीवल सेंटर के लिए झालावाड़ मेडिकल कॉलेज को अधिकृत कर लिया गया है. ऐसे में अब यहीं पर रिट्रीवल सेंटर होने से लोगों में नेत्रदान करने की प्रवृत्ति भी बढ़ेगी. अब तक झालावाड़ में आई रिट्रीवल सेंटर नहीं होने के कारण नेत्रदान के इच्छुक लोगों के लिए जयपुर या कोटा से टीम बुलानी पड़ती थी जिसमें समय अधिक लग जाता था जिससे कभी-कभी मृतकों का कॉर्निया खराब हो जाता था या फिर परिजन इंतजार नहीं करते थे.

यह भी पढ़ें: Special: स्मार्ट सिटी योजना के तहत अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस होगा अजमेर का JLN अस्पताल

ऐसे में आई रिट्रीवल सेंटर बनने से नेत्रदान के इच्छुक लोगों का कॉर्निया मरणोपरांत तुरंत निकाल लिया जाएगा. वहीं झालावाड़ में वर्तमान में करीब 200 ऐसे लोग हैं जिनको कॉर्निया की जरूरत है. ऐसे में मृतकों के परिजनों को भी परेशानी नहीं होगी. झालावाड़ मेडिकल कॉलेज एवं चिकित्सालय को आई रिट्रीवल सेंटर के लिए अधिकृत करने को लेकर जिला कलेक्टर निकया गोहाएन ने हर्ष जताते हुए कहा कि राज्य सरकार द्वारा मेडिकल कॉलेज झालावाड़ को आई रिट्रीवल सेंटर के लिए अधिकृत करना जिले की बड़ी उपलब्धि है. इससे नेत्रदान जैसे पुण्य कार्य को बढ़ावा मिलेगा.

यह भी पढ़ें: MDM अस्पताल की 'पोस्ट कोरोना ओपीडी' में आने लगे मरीज, इन 'खास' परेशानियों की होगी जांच

मेडिकल कॉलेज झालावाड़ के डीन डॉ. दीपक गुप्ता ने कहा कि राजकीय अस्पताल में आई रिट्रीवल सेन्टर बनने के पश्चात् झालावाड़ जिले में नेत्रदान करने वालों की संख्या में इजाफा होगा. मेडिकल कॉलेज में नेत्रदान की प्रक्रिया शुरू करने से पहले यहां से एक टीम जयपुर भेजी जाएगी जिसको 15 दिन की ट्रेनिंग दी जाएगी. उसके बाद नेत्रदान करवाने के लिए हमें जयपुर या कोटा से टीम बुलवाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. झालावाड़ में ही कम समय में नेत्रदान करवाया जा सकेगा.

एसआरजी चिकित्सालय के अधीक्षक डॉ. राजेन्द्र गुप्ता ने बताया कि आई रिट्रीवल सेन्टर खुलने के उपरांत जिले में मरणोपरांत नेत्रदान करने वाले लोगों का कार्निया तुरंत प्राप्त कर संग्रहीत किया जा सकेगा. इससे जिले में लोग नेत्रदान करने के लिए प्रेरित होंगे.

जिले में फरवरी 2020 से ही नेत्र उत्सर्जन केन्द्र खोलने के प्रयास शुरू कर दिए गए थे. तत्कालीन जिला कलेक्टर द्वारा इसका प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा गया था. इसके बाद राज्य सरकार द्वारा झालावाड़ मेडिकल कॉलेज में नेत्र उत्सर्जन केन्द्र खोलने की स्वीकृति प्रदान कर दी गई.

झालावाड़. सरकार नेत्रदान के प्रति लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए समय-समय पर अभियान चलाती है. इससे प्रेरित होकर काफी संख्या में लोग नेत्रदान कर भी रहे हैं जिससे हर साल प्रदेश में हजारों दृष्टि बाधित लोग फिर से दुनिया देख पा रहे हैं. पहले नेत्रदान करने पर बड़े शहरों से डॉक्टरों की टीम बुलानी पड़ती थी जो ऑपरेट कर कार्निया निकाल लेते थे. इसमें कभी-कभी वक्त लग जाता था, लेकिन अब झालावाड़ मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल को आई रिट्रीवल सेंटर के रूप में अधिकृत कर दिया गया है. जिससे समय रहते कॉर्निया निकाला जा सकेगा.

मेडिकल कॉलेज आई रिट्रीवल सेंटर के लिए अधिकृत

झालावाड़ में कोरोना वायरस के फैलते प्रकोप के बीच हेल्थ सेक्टर में एक बड़ी सुविधा शुरू होेने जा रही है. आई रिट्रीवल सेंटर के लिए झालावाड़ मेडिकल कॉलेज को अधिकृत कर लिया गया है. ऐसे में अब यहीं पर रिट्रीवल सेंटर होने से लोगों में नेत्रदान करने की प्रवृत्ति भी बढ़ेगी. अब तक झालावाड़ में आई रिट्रीवल सेंटर नहीं होने के कारण नेत्रदान के इच्छुक लोगों के लिए जयपुर या कोटा से टीम बुलानी पड़ती थी जिसमें समय अधिक लग जाता था जिससे कभी-कभी मृतकों का कॉर्निया खराब हो जाता था या फिर परिजन इंतजार नहीं करते थे.

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ऐसे में आई रिट्रीवल सेंटर बनने से नेत्रदान के इच्छुक लोगों का कॉर्निया मरणोपरांत तुरंत निकाल लिया जाएगा. वहीं झालावाड़ में वर्तमान में करीब 200 ऐसे लोग हैं जिनको कॉर्निया की जरूरत है. ऐसे में मृतकों के परिजनों को भी परेशानी नहीं होगी. झालावाड़ मेडिकल कॉलेज एवं चिकित्सालय को आई रिट्रीवल सेंटर के लिए अधिकृत करने को लेकर जिला कलेक्टर निकया गोहाएन ने हर्ष जताते हुए कहा कि राज्य सरकार द्वारा मेडिकल कॉलेज झालावाड़ को आई रिट्रीवल सेंटर के लिए अधिकृत करना जिले की बड़ी उपलब्धि है. इससे नेत्रदान जैसे पुण्य कार्य को बढ़ावा मिलेगा.

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मेडिकल कॉलेज झालावाड़ के डीन डॉ. दीपक गुप्ता ने कहा कि राजकीय अस्पताल में आई रिट्रीवल सेन्टर बनने के पश्चात् झालावाड़ जिले में नेत्रदान करने वालों की संख्या में इजाफा होगा. मेडिकल कॉलेज में नेत्रदान की प्रक्रिया शुरू करने से पहले यहां से एक टीम जयपुर भेजी जाएगी जिसको 15 दिन की ट्रेनिंग दी जाएगी. उसके बाद नेत्रदान करवाने के लिए हमें जयपुर या कोटा से टीम बुलवाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. झालावाड़ में ही कम समय में नेत्रदान करवाया जा सकेगा.

एसआरजी चिकित्सालय के अधीक्षक डॉ. राजेन्द्र गुप्ता ने बताया कि आई रिट्रीवल सेन्टर खुलने के उपरांत जिले में मरणोपरांत नेत्रदान करने वाले लोगों का कार्निया तुरंत प्राप्त कर संग्रहीत किया जा सकेगा. इससे जिले में लोग नेत्रदान करने के लिए प्रेरित होंगे.

जिले में फरवरी 2020 से ही नेत्र उत्सर्जन केन्द्र खोलने के प्रयास शुरू कर दिए गए थे. तत्कालीन जिला कलेक्टर द्वारा इसका प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा गया था. इसके बाद राज्य सरकार द्वारा झालावाड़ मेडिकल कॉलेज में नेत्र उत्सर्जन केन्द्र खोलने की स्वीकृति प्रदान कर दी गई.

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