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नन्हे मुन्ने बच्चे रोटी की जुगत में गली-गली घूमकर बेच रहे गोलगप्पे

लॉकडाउन की इस मुश्किल घड़ी में झालावाड़ शहर की गलियों में भावुक कर देने वाले दृश्य देखने को मिल रहे हैं, जिनमें नन्हे मुन्ने बच्चें दो रोटी के जुगत में तपती गर्मी में भी गली-गली घूमकर पानी-पूरी बेचने को मजबूर हैं.

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गली-गली घूमकर बेच रहे हैं पानी-पूरी
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Published : Jun 5, 2020, 8:16 PM IST

झालावाड़. वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के चलते घोषित किए गए लॉकडाउन के कारण लोगों के सामने बड़ा आर्थिक संकट खड़ा हो गया है. लॉकडाउन में काम नहीं मिल पाने की वजह से आमजन की जेब पर भारी मार पड़ी है. ऐसे वक्त में अब लोग दो वक्त की रोटी के लिए कड़ा संघर्ष करते हुए नजर आ रहे हैं.

गली-गली घूमकर बेच रहे हैं पानी-पूरी

ऐसा ही एक नजारा झालावाड़ शहर की गलियों में भी देखने को मिला. जहां पर 8 और 10 वर्ष के दो बच्चे महज चंद पैसों के लिए घर-घर जाकर पानी-पूरी बेच रहे हैं ताकि परिवार के सदस्यों के भूखे पेट के लिए दो रोटी का इंतजाम हो पाए. लॉकडाउन में काम के अभाव में बच्चों के माता-पिता के पास कोई भी काम नहीं बचा है. जिसके चलते घर में पैसों के साथ साथ खाने-पीने के जरूरी सामान भी खत्म हो गए हैं. ऐसे में अब बच्चे घर घर जाकर पानी पूरी बेच रहे हैं, जिसके बदले में उनको 10 से 20 रुपये तक मिल जाते हैं.

पढ़ेंः गहलोत जी भाजपा आपको क्यों अस्थिर करेगी, झगड़ा तो आपके घर में है: सतीश पूनिया

पानी-पूरी बेच रहे देवराज नाम के बच्चे ने बताया कि उनके पिता नहीं है और उनकी मां स्कूल में काम करती है, लेकिन अभी स्कूल खुले हुए नहीं है तो काम भी नहीं मिल रहा है. ऐसे में वो उनके पड़ोस में पानी-पूरी बनाने वाले के लिए गली-गली घूमकर पानी-पूरी बेचने का काम करता है. जिसके बदले में उसे 10-20 रुपये मिल जाते हैं.

पढ़ेंः CM गहलोत ने दी विश्व पर्यावरण दिवस पर बधाई

बच्चें बताते है वो दिनभर घूमकर पानी-पूरी की 15 से 20 थैलियां बेचते हैं. जिनमें एक थैली की कीमत 10 रुपये होती है. बच्चे ने बताया कि उनको ये सब इसलिए करना पड़ रहा है क्योंकि घर में खाने का कुछ भी नहीं है. ऐसे में इन पैसों से उनके परिवार की सहायता हो जाती है, जिससे खाने के लिए घर में कुछ आ जाता है.

झालावाड़. वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के चलते घोषित किए गए लॉकडाउन के कारण लोगों के सामने बड़ा आर्थिक संकट खड़ा हो गया है. लॉकडाउन में काम नहीं मिल पाने की वजह से आमजन की जेब पर भारी मार पड़ी है. ऐसे वक्त में अब लोग दो वक्त की रोटी के लिए कड़ा संघर्ष करते हुए नजर आ रहे हैं.

गली-गली घूमकर बेच रहे हैं पानी-पूरी

ऐसा ही एक नजारा झालावाड़ शहर की गलियों में भी देखने को मिला. जहां पर 8 और 10 वर्ष के दो बच्चे महज चंद पैसों के लिए घर-घर जाकर पानी-पूरी बेच रहे हैं ताकि परिवार के सदस्यों के भूखे पेट के लिए दो रोटी का इंतजाम हो पाए. लॉकडाउन में काम के अभाव में बच्चों के माता-पिता के पास कोई भी काम नहीं बचा है. जिसके चलते घर में पैसों के साथ साथ खाने-पीने के जरूरी सामान भी खत्म हो गए हैं. ऐसे में अब बच्चे घर घर जाकर पानी पूरी बेच रहे हैं, जिसके बदले में उनको 10 से 20 रुपये तक मिल जाते हैं.

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पानी-पूरी बेच रहे देवराज नाम के बच्चे ने बताया कि उनके पिता नहीं है और उनकी मां स्कूल में काम करती है, लेकिन अभी स्कूल खुले हुए नहीं है तो काम भी नहीं मिल रहा है. ऐसे में वो उनके पड़ोस में पानी-पूरी बनाने वाले के लिए गली-गली घूमकर पानी-पूरी बेचने का काम करता है. जिसके बदले में उसे 10-20 रुपये मिल जाते हैं.

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बच्चें बताते है वो दिनभर घूमकर पानी-पूरी की 15 से 20 थैलियां बेचते हैं. जिनमें एक थैली की कीमत 10 रुपये होती है. बच्चे ने बताया कि उनको ये सब इसलिए करना पड़ रहा है क्योंकि घर में खाने का कुछ भी नहीं है. ऐसे में इन पैसों से उनके परिवार की सहायता हो जाती है, जिससे खाने के लिए घर में कुछ आ जाता है.

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