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ट्रैफिक रेड सिग्नल: बिना 'बत्ती' वाले शहर झालावाड़ का 'रियलिटी चेक'...इनके आगे ट्रैफिक पुलिस भी लाचार.. - झालावाड़ की सड़कें

पूर्व मुख्यमंत्री के गृहजिले झालावाड़ में सड़कों पर चलने वाले वाहन चालक ट्रैफिक नियमों का कितना पालन कर रहे हैं. इसकी पड़ताल करने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने रियलिटी चेक किया. जिसमें कई हैरान कर देने वाले नजारे सामने आए...देखिए ये स्पेशल रिपोर्ट...ट्रैफिक रेड सिग्नल...

reality check of jhalawar, झालावाड़ में यातायात
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Published : Sep 21, 2019, 11:09 PM IST

झालावाड़. ईटीवी भारत की टीम ने झालावाड़ शहर के चार प्रमुख चौराहों पर जाकर ट्रैफिक व्यवस्थाओं को कैमरे में कैद किया. वीडियो में जो आप चार अलग-अलग तस्वीरें देख रहे हैं ये शहर के मामा भांजा चौराहा, खण्डिया तिराहा, बस स्टैंड सर्किल और मंगलपुरा की हैं.

रियलिटी चैक में आगे बढ़ने से पहले हम आपको इस बात से अवगत करा दें कि झालावाड़ शहर में एक भी चौराहे पर 'रेड अलर्ट बत्ती' नहीं है. आपको इसी से अंदाजा हो जाएगा कि शहर में ट्रैफिक व्यवस्था के क्या हाल हो सकते हैं. इस बारे में जब हमने ट्रैफिक इन्चार्ज से बात कि तो उन्होंने कहा कि अभी तक सरकारी स्तर पर बत्ती लगाने का कोई प्रस्ताव ही नहीं आया है.

ऐसा शहर जहां न सिग्नल और न ही ज़ेब्रा क्रोसिंग, फिर कैसे हो यातायात नियमों का पालन?

पढ़ेंः जयपुर वाले हेलमेट पहनते हैं, सीट बेल्ट लगाते हैं...पुलिस भी मुस्तैद, लेकिन 'रियलिटी चेक' में नजर आए कई 'बेफिक्रे' भी...

रियलिटी चेक में शहर वाले बैखोफ और यातायात नियमों से अनजान ही नजर आए....ट्रैफिक पुलिस की तैनाती देख भले ही कोई हेलमेट लगाते हुए निकला, वरना पूरे शहर में कुछएक जागरूक लोगों को छोड़ किसी में भी हेलमेट लगाने की परंपरा नजर नहीं आई. यहां बाइक पर ट्रिपल राइडिंग और चलती गाड़ी में फोन पर बात करना आम बात है...

तैनात पुलिसकर्मियों ने हमारे सामने एक बिना हेलमेट के बाइक चालक का चालान बनाया. जब हमने उनसे बात कि तो उनका जवाब था कि उनके घर में हेलमेट ही नहीं है. वहीं एक समझदार और जागरूक बाइक चालक भी हमें मिला, जिन्होंने ट्रैफिक नियमों के पालन की अपील भी की.

पढ़ेंः ट्रैफिक रेड सिग्नल: हनुमागढ़ के ट्रैफिक सिस्टम में नहीं कोई सुधार...कई जगह तो पुलिसकर्मी भी नहीं तैनात

इतनों के कटे चालान
शहर में चालान काटने की कार्रवाईयों के आंकड़े भी ना के बराबर नजर आते हैं. पुलिस ने 2018 में कुल 6828 चालान काटे. जिनमें बिना हेलमेट के 569, बिना सीट बेल्ट के 170, ओवर स्पीड के 323 और ड्रिंक विद ड्राइव के 69 चालान बनाए गए. वहीं 2019 में अगस्त तक 11, 216 चालान काटे हैं. जिनमें बिना हेलमेट के 2581, बिना सीट बेल्ट के 230, ओवर स्पीड के 895 व ड्रिंक विद ड्राइव के 40 चालान काटे गए हैं.

reality check of jhalawar, झालावाड़ में यातायात
चालान काटने के आंकड़े

शहर के 'डेथ पॉइन्ट'
शहर के ब्लैक स्पॉटस की बात करें तो यहां 14 डेथ पॉइन्ट यानि कि दुर्घटना संभावित क्षेत्र हैं. जिनमें झिरनिया घाटी, खंड्या चौराहा, असनावर, एसआरजी अस्पताल चौराहा मुख्य हैं.

पढ़ेंः ट्रैफिक रेड सिग्नल: झुंझुनूं में लोगों ने नए मोटर व्हीकल एक्ट को सराहा...कहा- हेलमेट हमारी सुरक्षा के लिए

शहर में सड़क हादसों के आंकड़े
वहीं हादसों के आंकड़ों की बात करें तो 2017 में 303 सड़क हादसों में 111 लोगों की मौत हुई जबकि 403 लोग घायल हुए. साल 2018 में 346 दुर्घटनाओं में 104 लोग मारे गए और 512 घायल हुए. वहीं साल 2019 में अगस्त तक 362 सड़क दुर्घटनाओं में 99 लोगों की मौत हो चुकी है और 493 लोग घायल हुए हैं.

reality check of jhalawar, झालावाड़ में यातायात
शहर में हादसों के आंकड़े

झालावाड़ शहर में ट्रैफिक व्यवस्था संभालने का जिम्मा यातायातकर्मियों के कंधे पर है...शहर में जब रेड सिग्नल ही नहीं है तो जेब्रा क्रॉसिंग की बात करना ही बेमानी है. यही वजह है कि शहर में सरेआम नियमों की धज्जियां उड़ती हैं.

झालावाड़. ईटीवी भारत की टीम ने झालावाड़ शहर के चार प्रमुख चौराहों पर जाकर ट्रैफिक व्यवस्थाओं को कैमरे में कैद किया. वीडियो में जो आप चार अलग-अलग तस्वीरें देख रहे हैं ये शहर के मामा भांजा चौराहा, खण्डिया तिराहा, बस स्टैंड सर्किल और मंगलपुरा की हैं.

रियलिटी चैक में आगे बढ़ने से पहले हम आपको इस बात से अवगत करा दें कि झालावाड़ शहर में एक भी चौराहे पर 'रेड अलर्ट बत्ती' नहीं है. आपको इसी से अंदाजा हो जाएगा कि शहर में ट्रैफिक व्यवस्था के क्या हाल हो सकते हैं. इस बारे में जब हमने ट्रैफिक इन्चार्ज से बात कि तो उन्होंने कहा कि अभी तक सरकारी स्तर पर बत्ती लगाने का कोई प्रस्ताव ही नहीं आया है.

ऐसा शहर जहां न सिग्नल और न ही ज़ेब्रा क्रोसिंग, फिर कैसे हो यातायात नियमों का पालन?

पढ़ेंः जयपुर वाले हेलमेट पहनते हैं, सीट बेल्ट लगाते हैं...पुलिस भी मुस्तैद, लेकिन 'रियलिटी चेक' में नजर आए कई 'बेफिक्रे' भी...

रियलिटी चेक में शहर वाले बैखोफ और यातायात नियमों से अनजान ही नजर आए....ट्रैफिक पुलिस की तैनाती देख भले ही कोई हेलमेट लगाते हुए निकला, वरना पूरे शहर में कुछएक जागरूक लोगों को छोड़ किसी में भी हेलमेट लगाने की परंपरा नजर नहीं आई. यहां बाइक पर ट्रिपल राइडिंग और चलती गाड़ी में फोन पर बात करना आम बात है...

तैनात पुलिसकर्मियों ने हमारे सामने एक बिना हेलमेट के बाइक चालक का चालान बनाया. जब हमने उनसे बात कि तो उनका जवाब था कि उनके घर में हेलमेट ही नहीं है. वहीं एक समझदार और जागरूक बाइक चालक भी हमें मिला, जिन्होंने ट्रैफिक नियमों के पालन की अपील भी की.

पढ़ेंः ट्रैफिक रेड सिग्नल: हनुमागढ़ के ट्रैफिक सिस्टम में नहीं कोई सुधार...कई जगह तो पुलिसकर्मी भी नहीं तैनात

इतनों के कटे चालान
शहर में चालान काटने की कार्रवाईयों के आंकड़े भी ना के बराबर नजर आते हैं. पुलिस ने 2018 में कुल 6828 चालान काटे. जिनमें बिना हेलमेट के 569, बिना सीट बेल्ट के 170, ओवर स्पीड के 323 और ड्रिंक विद ड्राइव के 69 चालान बनाए गए. वहीं 2019 में अगस्त तक 11, 216 चालान काटे हैं. जिनमें बिना हेलमेट के 2581, बिना सीट बेल्ट के 230, ओवर स्पीड के 895 व ड्रिंक विद ड्राइव के 40 चालान काटे गए हैं.

reality check of jhalawar, झालावाड़ में यातायात
चालान काटने के आंकड़े

शहर के 'डेथ पॉइन्ट'
शहर के ब्लैक स्पॉटस की बात करें तो यहां 14 डेथ पॉइन्ट यानि कि दुर्घटना संभावित क्षेत्र हैं. जिनमें झिरनिया घाटी, खंड्या चौराहा, असनावर, एसआरजी अस्पताल चौराहा मुख्य हैं.

पढ़ेंः ट्रैफिक रेड सिग्नल: झुंझुनूं में लोगों ने नए मोटर व्हीकल एक्ट को सराहा...कहा- हेलमेट हमारी सुरक्षा के लिए

शहर में सड़क हादसों के आंकड़े
वहीं हादसों के आंकड़ों की बात करें तो 2017 में 303 सड़क हादसों में 111 लोगों की मौत हुई जबकि 403 लोग घायल हुए. साल 2018 में 346 दुर्घटनाओं में 104 लोग मारे गए और 512 घायल हुए. वहीं साल 2019 में अगस्त तक 362 सड़क दुर्घटनाओं में 99 लोगों की मौत हो चुकी है और 493 लोग घायल हुए हैं.

reality check of jhalawar, झालावाड़ में यातायात
शहर में हादसों के आंकड़े

झालावाड़ शहर में ट्रैफिक व्यवस्था संभालने का जिम्मा यातायातकर्मियों के कंधे पर है...शहर में जब रेड सिग्नल ही नहीं है तो जेब्रा क्रॉसिंग की बात करना ही बेमानी है. यही वजह है कि शहर में सरेआम नियमों की धज्जियां उड़ती हैं.

Intro:झालावाड़ में यातायात व्यवस्था को लेकर स्टोरी दी गई थी जिसके लिए रॉक फुटेज मांग गए थे ऐसे में रॉ फुटेज भेजे जा रहे हैं स्क्रिप्ट के साथ।


Body:सड़क हादसों को रोकने के लिए सरकार व संस्थाओं द्वारा अनेक जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं लेकिन फिर भी सड़क हादसों में हो रही मौत का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है. ऐसे में ईटीवी भारत की टीम ने जिले में यातायात व्यवस्था की पड़ताल की. ईटीवी भारत की टीम ने शहर के मुख्य चौराहों पर जाते हुए वहां से गुजरने वाले वाहन चालकों पर नजर डाली तो सामने आया कि यातायात के व्यवस्था के लिए पूरे शहर में एक भी जगह न तो सिग्नल लाइट है और न ही ज़ेब्रा क्रोसिंग है. जिसके चलते वाहन चालकों द्वारा नियमो की धज्जियां उड़ाई जाती है. ऐसे में मुख्य चौराहों पर पुलिस के द्वारा व्यवस्था बनाने का प्रयास किया जाता है और यातायात नियमों का उल्लंघन करने वाले लोगों का चालान काटा जा रहा है तथा कई मौकों पर समझाइश भी की जाती है लेकिन उसके बावजूद लोग यातायात के नियमों का उल्लंघन करते हुए नजर आते हैं. झालावाड़ जिले में मुख्य रूप से दोपहिया वाहनों में बिना हेलमेट व चार पहिया वाहनों में बिना सीट बेल्ट लगाए वाहन चलाने के मामले सबसे ज्यादा नजर आते हैं. साथ ही बाइक पर ट्रिपल राइडिंग और फोर व्हीलर में ओवरलोडिंग की भी शिकायत देखने को मिलती है.

झालावाड़ जिले में यातायात के नियमों का उल्लंघन करने वाले लोगों हुई कार्यवाई की बात करें तो शहर में मुख्य रूप से 10 चौराहे चिन्हित किए गए हैं जिनमें मामा भांजा चौराहा, खंड्या तिराहा, मंगलपुरा व बस स्टैंड चौराहा मुख्य है. इन जगहों पर पुलिस ने 2017 में कुल 12239 चालान काटे जिनमें बिना हेलमेट के 920, बिना सीट बेल्ट के 711, तेज़ ड्राइव के 2833 व ड्रिंक विथ ड्राइव के 173 चालान काटे गए.
वहीं 2018 में कुल 6828 चालान काटे गए जिनमें बिना हेलमेट के 569, बिना सीट बेल्ट के 170, तेज़ ड्राइव के 323 व ड्रिंक विथ ड्राइव वाहन के 69 चालान काटे गए.
2019 में अगस्त तक 11216 चालान काटे है जिनमें बिना हेलमेट के 2581, बिना सीट बेल्ट के 230, तेज़ स्पीड के 895 व ड्रिंक विथ ड्राइव के 40 चालान काटे गए हैं.
पुलिस ने जिले में 14 ब्लैक स्पॉट्स भी तय कर रखे हैं. जिनमें झिरनिया घाटी, खंड्या चौराहा, असनावर, एसआरजी अस्पताल मुख्य है.

पूरे जिले में हुई दुर्घटनाओं की अगर हम बात करे तो पिछले 3 वर्षों में अब तक 1011 दुर्घटनाएं हुई हैं. जिनमें 314 लोगों की मौत हो चुकी है वह 1242 लोग घायल हुए हैं.
2017 में 303 दुर्घटनाएं हुई जिनमें 111 लोगों की मौत हुई व 403 लोग घायल हुए है. वहीं 2018 में 346 दुर्घटनाएं हुई जिनमें 104 लोगों की मौत हुई वह 512 लोग घायल हुए. वही 2019 अगस्त तक 362 दुर्घटनाएं हुई है जिनमें 99 मौत हो चुकी है व 493 लोग घायल हुए हैं.

शहर में एक भी जगह सिग्नल व ज़ेब्रा क्रोसिंग नहीं होने के सवाल पर टीआई शंकरलाल का कहना है कि सरकार के द्वारा शहर में सिग्नल व ज़ेब्रा क्रोसिंग के बनवाने के लिए कभी प्रस्ताव ही नहीं मांगे गए ऐसे में अब मांगे जाएंगे तो भिजवा दिए जायेगें बाकी शहर में सिग्नल की तो आवश्यकता है.


Conclusion:विसुअल 1 - मामा भांजा चौराहा
विसुअल 2 - खण्डिया तिराहा
विसुअल 3 - बस स्टैंड सर्किल
विसुअल 4 - मंगलपुरा
बाइट 1 - शंकर
बाइट 2 - भवानी शंकर शर्मा
बाइट 3- समर सिंह ( पुलिसकर्मी)
बाइट 4 - राधेश्याम (पुलिसकर्मी)
बाइट 5 - रमेश मीना ( पुलिस कर्मी)
बाइट 6 शंकर लाल ( टीआई)
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