झालावाड़. ईटीवी भारत की टीम ने झालावाड़ शहर के चार प्रमुख चौराहों पर जाकर ट्रैफिक व्यवस्थाओं को कैमरे में कैद किया. वीडियो में जो आप चार अलग-अलग तस्वीरें देख रहे हैं ये शहर के मामा भांजा चौराहा, खण्डिया तिराहा, बस स्टैंड सर्किल और मंगलपुरा की हैं.
रियलिटी चैक में आगे बढ़ने से पहले हम आपको इस बात से अवगत करा दें कि झालावाड़ शहर में एक भी चौराहे पर 'रेड अलर्ट बत्ती' नहीं है. आपको इसी से अंदाजा हो जाएगा कि शहर में ट्रैफिक व्यवस्था के क्या हाल हो सकते हैं. इस बारे में जब हमने ट्रैफिक इन्चार्ज से बात कि तो उन्होंने कहा कि अभी तक सरकारी स्तर पर बत्ती लगाने का कोई प्रस्ताव ही नहीं आया है.
रियलिटी चेक में शहर वाले बैखोफ और यातायात नियमों से अनजान ही नजर आए....ट्रैफिक पुलिस की तैनाती देख भले ही कोई हेलमेट लगाते हुए निकला, वरना पूरे शहर में कुछएक जागरूक लोगों को छोड़ किसी में भी हेलमेट लगाने की परंपरा नजर नहीं आई. यहां बाइक पर ट्रिपल राइडिंग और चलती गाड़ी में फोन पर बात करना आम बात है...
तैनात पुलिसकर्मियों ने हमारे सामने एक बिना हेलमेट के बाइक चालक का चालान बनाया. जब हमने उनसे बात कि तो उनका जवाब था कि उनके घर में हेलमेट ही नहीं है. वहीं एक समझदार और जागरूक बाइक चालक भी हमें मिला, जिन्होंने ट्रैफिक नियमों के पालन की अपील भी की.
इतनों के कटे चालान
शहर में चालान काटने की कार्रवाईयों के आंकड़े भी ना के बराबर नजर आते हैं. पुलिस ने 2018 में कुल 6828 चालान काटे. जिनमें बिना हेलमेट के 569, बिना सीट बेल्ट के 170, ओवर स्पीड के 323 और ड्रिंक विद ड्राइव के 69 चालान बनाए गए. वहीं 2019 में अगस्त तक 11, 216 चालान काटे हैं. जिनमें बिना हेलमेट के 2581, बिना सीट बेल्ट के 230, ओवर स्पीड के 895 व ड्रिंक विद ड्राइव के 40 चालान काटे गए हैं.
शहर के 'डेथ पॉइन्ट'
शहर के ब्लैक स्पॉटस की बात करें तो यहां 14 डेथ पॉइन्ट यानि कि दुर्घटना संभावित क्षेत्र हैं. जिनमें झिरनिया घाटी, खंड्या चौराहा, असनावर, एसआरजी अस्पताल चौराहा मुख्य हैं.
शहर में सड़क हादसों के आंकड़े
वहीं हादसों के आंकड़ों की बात करें तो 2017 में 303 सड़क हादसों में 111 लोगों की मौत हुई जबकि 403 लोग घायल हुए. साल 2018 में 346 दुर्घटनाओं में 104 लोग मारे गए और 512 घायल हुए. वहीं साल 2019 में अगस्त तक 362 सड़क दुर्घटनाओं में 99 लोगों की मौत हो चुकी है और 493 लोग घायल हुए हैं.
झालावाड़ शहर में ट्रैफिक व्यवस्था संभालने का जिम्मा यातायातकर्मियों के कंधे पर है...शहर में जब रेड सिग्नल ही नहीं है तो जेब्रा क्रॉसिंग की बात करना ही बेमानी है. यही वजह है कि शहर में सरेआम नियमों की धज्जियां उड़ती हैं.