अकलेरा (झालावाड़). कोरोना वायरस जैसी महामारी के चलते मध्यप्रदेश और राजस्थान बार्डर दो दिनों से सील हैं. दोनों ओर से लोगों का आवागमन बंद है सिर्फ राशन, दूध और आवश्यक वस्तुओं के वाहनों के आवजाही दोनों ओर से चालू हैं. वहीं उच्च अधिकारियों के पास वाले वाहनों भी आ-जा रहे हैं. गुरुवार को ईटीवी रिपोर्टर ने रियलिटी चेक किया. दोपहर को यहाँ सन्नाटा पसरा पड़ा था, ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर ने बताया कि बुधवार को लगभग 800 लोगों की स्क्रिनिंग की गई थी, वहीं गुरुवार शाम तक 35 लोगों की स्क्रिनिंग की जा चुकी है. हालांकि बार्डर सील है, पुलिस मुस्तैद है पर दोनों ओर से आने जाने वाले कच्चे, और पगडंडी रास्तों से निकल कर अपने गंतव्य स्थान को जा रहे हैं.
राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ सहित कई अन्य प्रदेशों से दिहाड़ी मजदूर जैसे-तैसे अपने गंतव्य स्थान पर पहुंच रहे हैं. सीमाएं 2 दिनों से सील की जा चुकी है. ऐसे में ये लोग चोरी छुपे जंगल के मार्गों से निकल रहे हैं. संवाददाता ने जब इसका रियलिटी चेक किया और लोगों से जानी उनकी परेशानी उन्हीं की जुबानी.
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गाँव के आगे रास्ते मे तीन लोग बैग सिर पर रखे भारी गर्मी में पैदल जा रहे थे. जिनको रोककर उनसे पूछा तो नेनाराम जाट, सूरज, श्रवण ने बताया कि हम तीनों कोरबा छतीसगढ़ से पैदल राजस्थान जा रहे हैं. हम खदान में काम करते थे, वहां काम बंद होने के बाद हम अपने गाँव जोधपुर के मोडकालसनी जा रहा हैं.
कोरोना वायरस जैसी महामारी के चलते सबसे ज्यादा दिक्कत उन मजदूरों को हुई है, जो दूसरे प्रदेशों में काम के लिए गए थे और इस महामारी के चलते वहां की फैक्ट्रियां ओर काम बंद हो गया है. वो ही मजदूर दर दर भटकने को मजबूर हर मजदूर की एक ही आस है कि, वो जल्द ही अपने गाँव पहुच जाएं. हालांकि प्रशासन ने चेक पोस्ट पर करीब 150 मजदूरों के ठहरने की व्यस्था की थी, परंतु आज वो यहां नहीं थे आखिर वो सीमा सील होने के बाद कहा चले गए, इसका उत्तर किसी के पास नहीं है. कुल मिलाकर सीमाएं जरूर सील है पर चोर रास्तों से आवजाही बदस्तूर जारी है.