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झालावाड़ः राशन कार्ड होते हुए भी राशन सामग्री से वंचित हैं लोग - झालावाड़ नगर पालिका

कोरोना वायरस के चलते खड़े हुए महासंकट में सरकार लोगों को राशन सामग्री पहुंचाने में कहां तक सफल हो पा रही है इसे लेकर ईटीवी भारत की टीम ने झालावाड़ जिले की वास्तविक स्थिति देखी. यहां पर लोग राशन कार्ड होते हुए भी राशन सामग्री के लिए जूझते हुए मिले.

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राशन सामग्री से वंचित है लोग
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Published : May 30, 2020, 2:48 PM IST

झालावाड़. जहां एक तरफ सरकार दावा कर रही है कि लॉकडाउन में कागजी प्रक्रिया को बेहद सहज कर दिया गया है, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग राशन सामग्री प्राप्त कर सकें, लेकिन इन्हीं कागजों के फेर में उलझकर लोग अभी भी कार्यालयों के चक्कर लगाते हुए नजर आ रहे हैं. जहां उनको सिवाय आश्वासन और डांट फटकार के अलावा और कुछ नहीं मिल रहा है.

राशन सामग्री से वंचित हैं लोग...

कोरोना वायरस के चलते खड़े हुए महासंकट में सरकार लोगों को राशन सामग्री पहुंचाने में कहां तक सफल हो पा रही है इसी को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने झालावाड़ जिले की वास्तविक स्थिति देखी. जहां पर लोग राशन कार्ड होते हुए भी राशन सामग्री के लिए जूझते हुए मिले.

झालावाड़ में कुल 11 लाख 62 हजार उपभोक्ता हैं, जिनमें से करीबन 2 हजार लोगों के राशन कार्ड बीते 1 वर्ष में बन्द हुए हैं. ऐसे में कई लोग राशन कार्ड बंद होने की वजह से राशन सामग्री प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं.

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राशन सामग्री का महासंकट...

इधर से उधर दौड़ाया जाता है

लोगों ने बताया कि जब भी राशन कार्ड को चालू करवाने के लिए ई-मित्र वाले के पास जाते हैं तो वहां से नगरपालिका भेज दिया जाता है, नगरपालिका से रसद विभाग और वहां से मिनी सचिवालय. ऐसे में इन कार्यालयों में लगातार चक्कर काटने पड़ रहे हैं, लेकिन फिर भी राशन कार्ड चालू नहीं हो पा रहा है.

पढ़ेंः BJP के समर्थन में खुलकर उतरे गहलोत के मंत्री...कहा- SHO विष्णुदत्त सुसाइड मामले की हो CBI जांच

ई-मित्र संचालक काफी ज्यादा पैसे वसूलते हैं

वहीं, जब राशन कार्ड को खाद्य सुरक्षा योजना में जोड़ने की बात की जाती है तो ई-मित्र संचालक काफी ज्यादा पैसे वसूलते हैं. जोकि इस लॉकडाउन में देना संभव ही नहीं है. ऐसे में लॉकडाउन की वजह से कहीं भी काम नहीं मिल रहा है तो परिवार का गुजर बसर करना भी मुश्किल हो गया है. लोगों से पैसे उधार लेकर परिवार चलाना पड़ रहा है. हद तो तब हो जाती है जब राशन डीलर देखते ही डांटकर भगा देता है.

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राशन कार्ड होते हुए भी राशन से वंचित

पढ़ेंः COVID अस्पताल में तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया मरीज, पास खड़ा व्यक्ति बनाता रहा Video

लोगों ने बताया कि इन दिनों प्रवासी मजदूरों को तो स्वयंसेवी संगठनों के द्वारा राशन किट और भोजन के पैकेट दिए जा रहे हैं. वहींं, जिनके राशन कार्ड चालू हैं उनको सरकार के द्वारा राशन सामग्री उपलब्ध करवाई जा रही है. लेकिन इस बीच वो लोग जो प्रवासी मजदूर नहीं हैं और जिनके राशन कार्ड भी चालू नहीं है उनके लिए दो वक्त की रोटी के भी लाले पड़ गए हैं.

राशन कार्ड के अलावा सरकार की अन्य किसी योजना का लाभ भी उनको नहीं मिल पा रहा है. इसके अलावा जब भी स्थानीय पार्षद और जनप्रतिनिधि से संपर्क किया जाता है तो वहां से भी उनको कोई जवाब नहीं दिया जाता है, जिसके चलते परेशान होना पड़ रहा है.

झालावाड़. जहां एक तरफ सरकार दावा कर रही है कि लॉकडाउन में कागजी प्रक्रिया को बेहद सहज कर दिया गया है, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग राशन सामग्री प्राप्त कर सकें, लेकिन इन्हीं कागजों के फेर में उलझकर लोग अभी भी कार्यालयों के चक्कर लगाते हुए नजर आ रहे हैं. जहां उनको सिवाय आश्वासन और डांट फटकार के अलावा और कुछ नहीं मिल रहा है.

राशन सामग्री से वंचित हैं लोग...

कोरोना वायरस के चलते खड़े हुए महासंकट में सरकार लोगों को राशन सामग्री पहुंचाने में कहां तक सफल हो पा रही है इसी को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने झालावाड़ जिले की वास्तविक स्थिति देखी. जहां पर लोग राशन कार्ड होते हुए भी राशन सामग्री के लिए जूझते हुए मिले.

झालावाड़ में कुल 11 लाख 62 हजार उपभोक्ता हैं, जिनमें से करीबन 2 हजार लोगों के राशन कार्ड बीते 1 वर्ष में बन्द हुए हैं. ऐसे में कई लोग राशन कार्ड बंद होने की वजह से राशन सामग्री प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं.

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राशन सामग्री का महासंकट...

इधर से उधर दौड़ाया जाता है

लोगों ने बताया कि जब भी राशन कार्ड को चालू करवाने के लिए ई-मित्र वाले के पास जाते हैं तो वहां से नगरपालिका भेज दिया जाता है, नगरपालिका से रसद विभाग और वहां से मिनी सचिवालय. ऐसे में इन कार्यालयों में लगातार चक्कर काटने पड़ रहे हैं, लेकिन फिर भी राशन कार्ड चालू नहीं हो पा रहा है.

पढ़ेंः BJP के समर्थन में खुलकर उतरे गहलोत के मंत्री...कहा- SHO विष्णुदत्त सुसाइड मामले की हो CBI जांच

ई-मित्र संचालक काफी ज्यादा पैसे वसूलते हैं

वहीं, जब राशन कार्ड को खाद्य सुरक्षा योजना में जोड़ने की बात की जाती है तो ई-मित्र संचालक काफी ज्यादा पैसे वसूलते हैं. जोकि इस लॉकडाउन में देना संभव ही नहीं है. ऐसे में लॉकडाउन की वजह से कहीं भी काम नहीं मिल रहा है तो परिवार का गुजर बसर करना भी मुश्किल हो गया है. लोगों से पैसे उधार लेकर परिवार चलाना पड़ रहा है. हद तो तब हो जाती है जब राशन डीलर देखते ही डांटकर भगा देता है.

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राशन कार्ड होते हुए भी राशन से वंचित

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लोगों ने बताया कि इन दिनों प्रवासी मजदूरों को तो स्वयंसेवी संगठनों के द्वारा राशन किट और भोजन के पैकेट दिए जा रहे हैं. वहींं, जिनके राशन कार्ड चालू हैं उनको सरकार के द्वारा राशन सामग्री उपलब्ध करवाई जा रही है. लेकिन इस बीच वो लोग जो प्रवासी मजदूर नहीं हैं और जिनके राशन कार्ड भी चालू नहीं है उनके लिए दो वक्त की रोटी के भी लाले पड़ गए हैं.

राशन कार्ड के अलावा सरकार की अन्य किसी योजना का लाभ भी उनको नहीं मिल पा रहा है. इसके अलावा जब भी स्थानीय पार्षद और जनप्रतिनिधि से संपर्क किया जाता है तो वहां से भी उनको कोई जवाब नहीं दिया जाता है, जिसके चलते परेशान होना पड़ रहा है.

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