झालावाड़. जिले में इन दिनों काले सोने यानी अफीम की फसल परवान पर है. खेतों में चारों ओर अफीम की फसल लहलहा रही है. जहां तक नजरें जाती हैं, वहां तक खेतों में सफेद फूलों की चादर बिछी हुई नजर आ रही है. अफीम की फसल में सफेद फूल आने के साथ ही डोडे भी आकार लेने लगे हैं. ऐसे में कुछ दिनों बाद इन डोडों में चीरा लगना भी शुरू हो जाएगा. लेकिन, अब किसानों की मुसीबत भी बढ़ती जा रही है. देखें ये खास रिपोर्ट
24 घंटे करनी पड़ रही रखवाली...
दरअसल, किसानों की अफीम पर पक्षी आसमान से आफत बरसा रहे हैं, तो वहीं जमीन पर जंगली सुअरों और नीलगाय की मार झेलनी पड़ रही है. ऐसे में किसानों को 24 घंटे खेत में रखवाली करनी पड़ रही है.
इसके अलावा अफीम में बढ़ते रोग के प्रकोप ने भी किसानों की चिंता बढ़ा रखी है. ऐसे में किसानों ने अपनी अफीम की फसल को बचाने के लिए अनेक प्रकार के जतन करने शुरू कर दिए हैं.
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किसानों ने लगाया जुगाड़...
किसानों ने पक्षियों से बचाने के लिए अफीम की फसल के ऊपर खेत में मछली पकड़ने की जाली लगाई है, जिससे आसमान से कोई परिंदा फसलों को नुकसान नहीं पहुंचा सके. वहीं, जमीन पर जानवरों से अफीम को बचाने के लिए खेतों के चारों तरफ जाल बंदी कर दी गई.
जिससे आवारा जानवरों से रक्षा हो सके. तारबंदी के साथ-साथ किसान थाली बजाकर और पटाखे फोड़कर अफीम की फसल को बचाने का प्रयास में जुटे रहते हैं.
पटाखे फोड़कर कर रहे बचाव...
किसानों ने बताया कि पिछले 3 महीनों से वो अफीम की फसल की देखभाल कर रहे हैं. ऐसे में अब फसलों में डोडे आने के कारण 24 घंटे अफीम की फसल की देखभाल करनी पड़ रही है.
किसानों ने बताया अभी वो रात दिन बच्चे की तरह अफीम की फसल का ध्यान रख रहे हैं. क्योंकि, पलक झपकते ही पशु पक्षी अफीम के पौधे को नष्ट कर देते हैं. इसके अलावा नीलगाय और जंगली सूअर से भी फसल को बचाने के लिए हमेशा एक व्यक्ति खेत में ही मौजूद रहता है. इस दौरान वो फसल को बचाने के लिए पटाखे फोड़ता है और थाली बजाकर पक्षियों और जानवरों को भगाता है.