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जालोर की पहाड़ियों में स्थित है 900 साल पुराना मां सुंधा माता का मंदिर, जानिए क्या है महत्व - jalore sundha mata temple

राजस्थान अपने पर्यटन क्षेत्रों के साथ ही ऐतिहासिक किलों, इमारतों और मंदिरों के बेजोड़ नमूनों के लिए जाना जाता है. प्रदेश में कई दर्शनीय मंदिर हैं. इन्हीं में से एक है, जालोर के सुंधा पहाड़ियों में स्थित मां सुधा का मंदिर. मान्यता है कि मां का यह मंदिर करीब 900 साल पुराना है. इस मंदिर से भक्त कभी खाली हाथ और निराश नहीं लौटते हैं.

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900 साल पुराना मां सुंधा माता का मंदिर
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Published : Oct 25, 2020, 2:56 PM IST

रानीवाड़ा (जालोर): संपूर्ण भारत देश तीर्थों, ऋषियों, संतों और वीरों की भूमि है. मरुभूमि राजस्थान का कोसों तक फैला रेत का सुनहरा समंदर अपनी अलग ही छटा बिखेरता है. इसी अरावली पर्वतमाला की श्रृंखला में जालोर जिले का ऐतिहासिक और पौराणिक सौगंध पर्वत स्थित है. जिसे सुंधा पहाड़ के रूप में जाना जाता है. इस पहाड़ पर सुंधा माता का मंदिर बना हुआ है. जो लाखों लोगों की आस्था का केंद्र है. मंदिर के बाहर ही बने झरने मां के दरबार को शोभा को और भी बढ़ा देते हैं.

900 साल पुराना मां सुंधा माता का मंदिर

कहा जाता है कि मां चामुंडा देवी का यह मंदिर 900 साल से भी पुराना है. यह मंदिर राजस्थान के एक मात्र हिल स्टेशन माउंट आबू से 64 किमी और भीनमाल महानगर से 20 किमी दूर है. अरावली की पहाड़ियों में 1220 मीटर की ऊंचाई पर स्थित चामुंडा देवी का यह मंदिर भक्तों के लिए एक पवित्र धार्मिक स्थल है. गुजरात और राजस्थान के बहुत से पर्यटक इस मंदिर में दर्शन करने के लिए आते हैं. इस मंदिर के पास का वातावरण बेहद ताजा और आकर्षक है. यहां पर साल भर झरने बहते हैं. जैसलमेर के पीले बलुआ पत्थर से निर्मित यह मंदिर हर किसी को अपनी खूबसूरती से आकर्षित करता है.

पढ़ें: शारदीय नवरात्र का आज अंतिम दिन, मां सिद्धिदात्री की करें आराधना, जानें लाभ..

इस मंदिर के अंदर 3 ऐतिहासिक शिलालेख हैं. जो इस जगह के इतिहास के बारे में बताते हैं. यहां का पहला शिलालेख 1262 ईस्वी का है. जो चौहानों की जीत और परमार के पतन का वर्णन करता है. दूसरा शिलालेख 1326 और तीसरा 1727 का है. नवरात्रि के समय यहां पर मेले के आयोजन किया जाता है. इस दौरान गुजरात और आसपास के क्षेत्रों से पर्यटक बड़ी संख्या में सुंधा माता की यात्रा करते हैं. लेकिन इस बार कोरोना की वजह से मेले स्थगित कर दिए गए हैं.

रानीवाड़ा (जालोर): संपूर्ण भारत देश तीर्थों, ऋषियों, संतों और वीरों की भूमि है. मरुभूमि राजस्थान का कोसों तक फैला रेत का सुनहरा समंदर अपनी अलग ही छटा बिखेरता है. इसी अरावली पर्वतमाला की श्रृंखला में जालोर जिले का ऐतिहासिक और पौराणिक सौगंध पर्वत स्थित है. जिसे सुंधा पहाड़ के रूप में जाना जाता है. इस पहाड़ पर सुंधा माता का मंदिर बना हुआ है. जो लाखों लोगों की आस्था का केंद्र है. मंदिर के बाहर ही बने झरने मां के दरबार को शोभा को और भी बढ़ा देते हैं.

900 साल पुराना मां सुंधा माता का मंदिर

कहा जाता है कि मां चामुंडा देवी का यह मंदिर 900 साल से भी पुराना है. यह मंदिर राजस्थान के एक मात्र हिल स्टेशन माउंट आबू से 64 किमी और भीनमाल महानगर से 20 किमी दूर है. अरावली की पहाड़ियों में 1220 मीटर की ऊंचाई पर स्थित चामुंडा देवी का यह मंदिर भक्तों के लिए एक पवित्र धार्मिक स्थल है. गुजरात और राजस्थान के बहुत से पर्यटक इस मंदिर में दर्शन करने के लिए आते हैं. इस मंदिर के पास का वातावरण बेहद ताजा और आकर्षक है. यहां पर साल भर झरने बहते हैं. जैसलमेर के पीले बलुआ पत्थर से निर्मित यह मंदिर हर किसी को अपनी खूबसूरती से आकर्षित करता है.

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इस मंदिर के अंदर 3 ऐतिहासिक शिलालेख हैं. जो इस जगह के इतिहास के बारे में बताते हैं. यहां का पहला शिलालेख 1262 ईस्वी का है. जो चौहानों की जीत और परमार के पतन का वर्णन करता है. दूसरा शिलालेख 1326 और तीसरा 1727 का है. नवरात्रि के समय यहां पर मेले के आयोजन किया जाता है. इस दौरान गुजरात और आसपास के क्षेत्रों से पर्यटक बड़ी संख्या में सुंधा माता की यात्रा करते हैं. लेकिन इस बार कोरोना की वजह से मेले स्थगित कर दिए गए हैं.

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