भीनमाल (जालोर). नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति स्वतंत्रता संग्राम के यौद्धाओ के सपनो को पूरा करने वाली नीति है. जिस भारत के निर्माण को लेकर आजादी की लड़ाई लड़ी गई, वैसे स्वावलंबी, आत्मनिर्भर, विश्वगुरू भारत का निर्माण करने में नई शिक्षा नीति सफल सिद्ध होगी. यह विचार विद्या भारती के प्रांतीय सचिव महेंद्र कुमार ने व्यक्त किया. वे नई शिक्षा नीति पर आयोजित एक गोष्ठी को संबोधित कर रहे थे. कार्यक्रम का आयोजन शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास एवं आदर्श विद्या मंदिर परिवार के संयुक्त तत्वाधान में किया गया था.
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि आजादी के बाद भारत में भारतीयता की शिक्षा नीति लागू करने हेतु विभिन्न आयोग गठित हुए लेकिन उन सभी आयोगों की सिफारिशें लागू नहीं हुई. उन्होंने कहा कि हमारी वर्तमान शिक्षा व्यवस्था यूरोप पर आधारित हैं अतः अधिकांश फैसले यूरोप के अनुसार होते हैं. उन्होंने बताया कि एनईपी को तैयार करते समय एक समावेशी, सहभागी और समग्र दृष्टिकोण के लिए एक परामर्श प्रक्रिया का पालन किया गया. जो विशेषज्ञों के विचारों, क्षेत्रों के अनुभवों, अनुभवजन्य अनुसंधान, हितधारकों (स्टेकहोल्डर्स) की प्रतिक्रिया के साथ-साथ सर्वोत्तम अभ्यासों से सीखे गए पाठों को ध्यान में रखता हो. एक समावेशी, सहभागी तथा समग्र दृष्टिकोण हेतु, जिसमें बहु-हितधारकों की राय तथा सुझावों को धयान में रखा गया था.
उन्होंने कहा कि राष्टीय शिक्षा नीति 2020 के सबसे महत्त्वपूर्ण बिन्दुओं में से एक है. शिक्षा के बजट को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के लगभग 6 % तक बढ़ाना, यह 2030 तक स्कूली शिक्षा में 100 % सकल नामांकन अनुपात के साथ प्री-स्कूल से सेकेंड्री लेवल तक शिक्षा के सार्वभौमिकरण की परिकल्पना करता है. नई शिक्षा नीति के अनुसार, भारत के पास अब नया 5+3+3+4 स्कूली पाठ्यक्रम के साथ 12 साल की स्कूली शिक्षा और 3 साल की आंगनबाड़ी / प्री-स्कूलिंग की व्यवस्था होगी, जो सभी छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए तथा आधुनिक विश्व की आवश्यकताओं के अनुरूप होगी. इसने मूलभूत साक्षरता तथा संख्यात्मकता पर ज़ोर दिया है, साथ ही इसमें स्कूलों में अकादमिक विषयों, पाठ्येतर (एक्स्ट्राकैरिकुलर) या व्यवसायिक विषयों के मध्य कठोर विभाजन नहीं है.
सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह कि व्यवसायिक शिक्षा इंटर्नशिप के साथ कक्षा 6 से ही शुरू होती है. कक्षा 5 तक की शिक्षा मातृभाषा / क्षेत्रीय भाषा में दी जाएगी. यह बहुत ही स्वागत योग्य है, क्योंकि अंग्रेजी भाषा को अनुचित महत्त्व देने की मौजूदा प्रवृत्ति है. इस नीति ने शास्त्रीय भारतीय भाषा को प्राथमिकता दी है. उच्च शिक्षा तथा स्कूली स्तर की शिक्षा में बहुभाषावाद एनईपी 2020 के प्रमुख योगदानों में से एक है. बोर्ड की परीक्षाएं जारी रहेंगी, लेकिन इन्हें समग्र विकास हेतु तैयार किया जाएगा। शिक्षा नीति की चर्चा करते हुए महेंद्र दवे ने कहा कि एक नया राष्ट्रीय मूल्यांकन केंद्र "परख " स्थापित किया जाएगा. इसके साथ ही NCTE (नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन) द्वारा NCERT के परामर्श से एक व्यापक राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा, शिक्षक शिक्षा (NCFTE) 2021 के लिए तैयार की जाएगी. 2030 तक शिक्षण के लिए आवश्यक न्यूनतम योग्यता 4 वर्षीय एकीकृत बी.एड. डिग्री होगी.
नई शिक्षा नीति पर आयोजित गोष्ठी को संबोधित करते हुए अजय गुप्ता ने कहा कि इस नीति में राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन उच्च शिक्षा हेतु एक मज़बूत अनुसंधान संस्कृति को बढ़ावा देने तथा अनुसंधान क्षमता के निर्माण के लिए एक शीर्ष निकाय के रूप में बनाया जाना है. सभी विषयों में उत्कृष्ट अनुसंधान प्रस्तावों के लिए प्रतिस्पर्धी वित्तपोषण प्रदान करना एनईपी का बहुत ही महत्त्वपूर्ण हिस्सा है, क्योंकि यह देश में अनुसंधान की एक मज़बूत संस्कृति विकसित करने में मदद करेगा. गुप्ता ने कहा कि इस नीति का एक अन्य प्रमुख भाग यह है कि इसमे व्यवसायिक शिक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है और यह भी लक्षित किया गया है कि 2025 तक सभी शिक्षार्थियों में से 50% को व्यवसायिक शिक्षा प्राप्त हो सके.
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कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सेवानिवृत उपनिदेशक माध्यमिक शिक्षा चेतन प्रकाश सेन ने कहा कि इस नीति के अनुसार, राष्ट्रीय शिक्षा आयोग (RSA) की स्थापना की जाएगी. जिसके अध्यक्ष प्रधानमंत्री होंगे तथा यह आयोग देश में शिक्षा के विकास, स्पष्ट उच्चारण, मूल्यांकन और शैक्षणिक दृष्टि का पुनरीक्षण करेगा. इसमें राष्ट्रीय पुलिस विश्वविद्यालय तथा राष्ट्रीय फॉरेंसिक विश्वविद्यालय के लिए भी प्रस्ताव है.
उन्होंने कहा कि एनइपी विशेषज्ञों के उच्च स्तरीय पैनल द्वारा तैयार किया गया एक दूरदर्शी दस्तावेज है, इसे सभी हितधारकों के सुझावों और राय को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है, जो निश्चित रूप से भारत को एक वैश्विक महाशक्ति बना देगा तथा सतत विकास लक्ष्य (सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल) 2030 के सपने को पूरा करेगा. कार्यक्रम स्थल पर सभी के लिए मास्क एवं उसकी व्यवस्था की गई थी तथा सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए 6 फीट की दूरी पर कुर्सियां लगाई गई थीं.