नई दिल्ली: बिजनेस टाइकून और इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति ने सोमवार को 70 घंटे के वर्किंग आवर पर अपनी विवादास्पद टिप्पणी पर स्पष्टीकरण जारी किया.उन्होंने अपने बयान पर सफाई देते हुए कहा कि ऐसा शेड्यूल 'उनकी व्यक्तिगत पसंद है' और इसे किसी पर थोपा नहीं जाना चाहिए.
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार नारायण मूर्ति ने सोमवार को इंडियन मर्चेंट्स चैंबर (IMC) द्वारा आयोजित किलाचंद मेमोरियल लेक्चर के दौरान यह टिप्पणी की. रिपोर्ट में इंफोसिस के सह-संस्थापक के हवाले से कहा गया है, "ऐसा कोई नहीं है जो कह सके कि आपको यह करना चाहिए, आपको यह नहीं करना चाहिए." उनका स्पष्टिकरण तब आया है जब उद्योगपति ने काम की नैतिकता और अपने काम के प्रति प्रतिबद्धता पर अपना दृष्टिकोण साझा करते हुए निजी कर्मचारियों के लिए लंबे समय तक काम करने पर बहस छेड़ दी थी.
'70 घंटे काम करने का लक्ष्य '
हालांकि, उन्होंने पहले सुझाव दिया था कि युवा भारतीयों को सप्ताह में 70 घंटे काम करने का लक्ष्य रखना चाहिए, लेकिन मूर्ति ने अपने हालिया बयान में इस बात पर जोर दिया कि ऐसी लाइफस्टाइल उनकी व्यक्तिगत पसंद है और इसे उनके कर्मचारियों पर थोपी जाने वाली सिफारिश के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए.
आलोचकों और समर्थकों को जवाब
मूर्ति ने अपने करियर के शुरुआती वर्षों के दौरान अपने वर्क शेड्यूल के बारे में बताते हुए आलोचकों और समर्थकों दोनों को जवाब दिया. उन्होंने कहा, "कोई भी ऐसा नहीं है जो यह कह सके कि आपको यह करना चाहिए, आपको यह नहीं करना चाहिए. मैं सुबह 6 बजे ऑफिस पहुंच जाता था."
नारायण मूर्ति ने अपने कार्य विकल्पों पर कहा, "मैं सुबह 6 बजकर 20 मिनट पर ऑफिस पहुंच जाता था और रात साढ़े 8 बजे ऑफिस से निकलता था. मैंने ऐसा 40 साल से किया है. यह एक तथ्य है. इसलिए कोई भी यह नहीं कह सकता कि यह गलत है."
मूर्ति ने आगे स्पष्ट किया कि जब उन्होंने इस रूटीन का पालन किया, तो उन्हें दूसरों से इसे दोहराने की उम्मीद नहीं थी, उन्होंने जोर देकर कहा कि काम करने की आदतें व्यक्तिपरक होती हैं और उन्हें सार्वजनिक बहस का हिस्सा नहीं बनाया जाना चाहिए.
मूर्ति ने कहा, "ये ऐसे मुद्दे नहीं हैं जिन पर चर्चा और बहस होनी चाहिए. ये ऐसे मुद्दे हैं जिन पर कोई आत्मनिरीक्षण कर सकता है, कोई इसे ग्रहण कर सकता है और कोई किसी निष्कर्ष पर पहुंच सकता है और जो चाहे कर सकता है."
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