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इलाज में मदद के नाम पर 54 लाख की ठगी, TDP का फर्जी NRI संयोजक गिरफ्तार - CYBER FRAUD

आंध्र प्रदेश में राज्य के बड़े नेताओं की तस्वीर लगाकर साइबर फ्रॉड करने का मामला सामने आया है. एपी सीआईडी ने अपराधी को गिरफ्तार किया.

Cyber Fraud
साइबर अपराध. (सांकेतिक तस्वीर) (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 21, 2025, 3:00 PM IST

अमरावती: आंध्र प्रेदशे में सीआईडी ​​साइबर अपराध पुलिस ने एक ऐसे जालसाज को गिरफ्तार किया है जो एक राजनीतिक पार्टी का एनआरआई संयोजक बनकर मरीजों के इलाज में वित्तीय सहायता देने के बहाने ठगता था. गिरफ्तार किये गये आरोपी की पहचान श्री सत्य साईं जिले के राचुवारीपल्ले के कोंडूरी राजेश (34) के रूप में की गयी. आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में कथित रूप से पीड़ितों से लगभग 54.34 लाख रुपये ठगे.

कैसे फंसाता था लोगों कोः राजेश ने लोगों को झांसा देने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ का इस्तेमाल किया. उसने #HelpAtNaraLokesh, #HelpAtPawanKalyan और #HelpAtNCBN जैसे हैशटैग के साथ पोस्ट डालकर पीड़ितों में मदद मिलने की उम्मीद जगायी. लोग उपचार के लिए वित्तीय सहायता मांगने के लिए उनसे संपर्क करने लगे. लोगों में और विश्वसनीय दिखने के लिए अमेरिका स्थित नंबर का उपयोग करके व्हाट्सएप के माध्यम से उनसे संपर्क किया.

फंड रिलीज करने के लिए वसूलता था पैसाः लोगों के बीच विश्वास बढ़ाने के लिए राजेश ने अपनी व्हाट्सएप प्रोफ़ाइल तस्वीर में मंत्री नारा लोकेश की तस्वीर लगा रखी थी. उसने खुद को टीडीपी एनआरआई संयोजक बताया और फर्जी बैंक क्रेडिट रसीदें भेजीं. पीड़ितों को यकीन हो गया कि वह उनकी मदद के लिए फंड ट्रांसफर कर रहा है. बाद में, उसने बैंक मैनेजर बनकर पीड़ितों को फोन किया और फंड रिलीज करने के लिए प्रेषण शुल्क की मांग की.

साइबर अपराध विभाग की सलाहः

  1. वित्तीय सहायता का वादा करने वाले विदेशी नंबरों से आने वाले फ़ोन कॉल से सावधान रहें.
  2. वैध बैंक अधिकारियों से धन प्रेषण या प्रसंस्करण शुल्क के दावों की पुष्टि करें.
  3. बिना पुष्टि के कभी भी अज्ञात खातों में पैसा जमा न करें.

सीमा पार भागना चाहता थाः राजेश के खिलाफ नौ मामल दर्ज हैं. सात आंध्र प्रदेश में और दो तेलंगाना में हैं. भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र के 1930 टोल-फ्री नंबर पर कुल 16 शिकायतें दर्ज की गईं. इन अपराधों को अंजाम देने के बाद, राजेश गोवा फिर अंडमान द्वीप और उसके बाद नेपाल भाग गया. वहां से भी धोखाधड़ी गतिविधियां जारी रखी. एपी सीआईडी ​​ने पिछले साल दर्ज एक मामले के तहत उसे ट्रैक किया. पश्चिम बंगाल में उसका पता लगा और उसे गिरफ्तार कर लिया.

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फंड रिलीज करने के लिए वसूलता था पैसाः लोगों के बीच विश्वास बढ़ाने के लिए राजेश ने अपनी व्हाट्सएप प्रोफ़ाइल तस्वीर में मंत्री नारा लोकेश की तस्वीर लगा रखी थी. उसने खुद को टीडीपी एनआरआई संयोजक बताया और फर्जी बैंक क्रेडिट रसीदें भेजीं. पीड़ितों को यकीन हो गया कि वह उनकी मदद के लिए फंड ट्रांसफर कर रहा है. बाद में, उसने बैंक मैनेजर बनकर पीड़ितों को फोन किया और फंड रिलीज करने के लिए प्रेषण शुल्क की मांग की.

साइबर अपराध विभाग की सलाहः

  1. वित्तीय सहायता का वादा करने वाले विदेशी नंबरों से आने वाले फ़ोन कॉल से सावधान रहें.
  2. वैध बैंक अधिकारियों से धन प्रेषण या प्रसंस्करण शुल्क के दावों की पुष्टि करें.
  3. बिना पुष्टि के कभी भी अज्ञात खातों में पैसा जमा न करें.

सीमा पार भागना चाहता थाः राजेश के खिलाफ नौ मामल दर्ज हैं. सात आंध्र प्रदेश में और दो तेलंगाना में हैं. भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र के 1930 टोल-फ्री नंबर पर कुल 16 शिकायतें दर्ज की गईं. इन अपराधों को अंजाम देने के बाद, राजेश गोवा फिर अंडमान द्वीप और उसके बाद नेपाल भाग गया. वहां से भी धोखाधड़ी गतिविधियां जारी रखी. एपी सीआईडी ​​ने पिछले साल दर्ज एक मामले के तहत उसे ट्रैक किया. पश्चिम बंगाल में उसका पता लगा और उसे गिरफ्तार कर लिया.

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